गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. सेहत
  3. सेहत समाचार
  4. What is schizophrenia, how to identify symptoms
Written By

क्या है सिजोफ्रेनिया, कैसे पहचानें लक्षण और WHO ने क्‍यों दी इसे लेकर चेतावनी?

schizophrenia
अगर कल्‍पना जैसी कोई चीज दुनिया में नहीं होती तो आधी से ज्‍यादा दुनिया वीरान हो जाती। सारी कलाएं कल्‍पनाओं से ही उपजती हैं। कडवे यथार्थ से बचने के लिए लोग कल्‍पनाओं का ही सहारा लेते हैं। लेकिन अगर कल्‍पनाओं का ओवरडोज हो जाए तो यह बीमारी भी बन सकता है। जिसे मेडिकल की भाषा में ‘सिजोफ्रेनिया’ कहा जाता है।

डब्‍लूएचओ के मुताबिक आने वाले समय में सिजोफ्रेनिया के मरीजों की संख्‍या में इजाफा होगा। क्‍योंकि मानसिक बीमारियों के मरीजों की संख्‍या में वृद्धि होती जा रही है,ऐसे में सिजोफ्रेनिया भी एक तरह से मानसिक रोग से संबंधित बीमारी है।

क्‍या होता है सिजोफ्रेनिया?
दरअसल, कई बार लोग कल्पना की दुनिया में इस कदर आगे बढ़ जाते हैं कि कल्पना और यथार्थ के बीच का अंतर भूल जाते हैं। कल्पना को सच मानकर वे जीते रहते हैं। लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ होता नहीं है, वे अपने भीतर बनाई गई कल्‍पना को ही सच मानने लगते हैं।

मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक दरअसल, मानव मस्तिष्क में डोपामाइन नाम का न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जो दिमाग और शरीर में बीच तालमेल बिठाता है। कई बार डोपामाइन केमिकल किन्हीं वजहों से जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, ऐसे में आपको यानी उस व्‍यक्‍ति को जो कल्‍पना करता है उसे सिजोफ्रेनिया की बीमारी हो सकती है। कुछ रिसर्च में सामने आया है कि यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है।

डॉक्‍टर तो यह भी कहते हैं कि अगर परिजनों में सिजोफ्रेनिया की तकलीफ है तो बच्चों में भी 40 प्रतिशत तक इस बीमारी की आशंका है। अगर माता और पिता में से किसी एक को यह बीमारी है तो बच्‍चे में 10 से 12 प्रतिशत तक इसकी आशंका है।

क्‍या है सिजोफ्रेनिया के कारण?
डॉक्‍टरों के मुताबिक सिजोफ्रेनिया की कई वजह हो सकती है। हालांकि बदलते दौर में भागती जिंदगी, तेज और टेकसेवी लाइफस्‍टाइल, सोशल मीडिया का बहुत ज्‍यादा इस्‍तेमाल, बिखरते संयुक्त परिवार, प्‍यार में नाकामयाबी, करियर का तनाव, पैसे कमाने की होड़ आदि मानसिक बीमारियां इसकी वजह हो सकती है। इतना ही नहीं, कोरोना के बाद आए डिप्रेशन और मानसिक बदलाव भी सिजोफ्रेनिया के कारण बन सकते हैं। कोरोना के बाद अकेलापन, उदासी और तनाव, डर, असुरक्षा की भावना के कारण वैसे ही कई तरह के मानसिक रोग सामने आ रहे हैं।

कैसे समझे क्‍या है सिजोफ्रेनिया?
दरअसल, सिजोफ्रेनिया की स्‍थिति में मरीज कल्पना और हकीकत में फर्क नहीं कर पाता है। वो ज्‍यादातर समय अपनी कल्‍पनाओं में ही खोया रहता है। इसमें मरीज घटनाओं या संयोग की कड़ियों को आपस में जोड़कर देखता है। उसे आवाजें सुनाई देती है, जो हकीकत में नहीं हैं। उसे आकृतियां दिखाई देती हैं। मरीज उदास होने लगता है। उसे किसी भी चीज से ख़ुशी नहीं मिलती। अगर लगातार इस तरह के लक्षण दिखे तो डॉक्‍टर या मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए।

क्या है इलाज?
काउंसलिंग के साथ ही दवाइयां दी जाती हैं। दवाइयों का असर होने में 6 हफ्ते से ज्यादा समय लग सकते हैं। कई बार 1-2 साल भी लग सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 70 प्रतिशत लोग इस बीमारी से इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं। 20 प्रतिशत लोगों में यह बीमारी काफी लंबे समय तक रह सकती है। करीब 10 प्रतिशत लोगों ने इस बीमारी से तंग आकर आत्‍महत्‍या कर ली। रिपोर्ट कहती है कि पूरी दुनिया में लगभग 2.4 करोड़ लोग इस बीमारी से पीडित हैं। जहां तक उम्र की बात करें तो 15 से 35 साल के लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं।
edited by navin rangiyal
ये भी पढ़ें
ठंड में 5 तरह की नमकीन पूरियां जरूर बनाएं