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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 8 अगस्त 2025 (16:16 IST)

लव कुश जयंती 2025: जानें कौन थे और कैसा था इनका जीवन

Luv Kush Birth Anniversary 2025
Luv Kush Janmotsav: लव कुश जयंती, भगवान राम और माता सीता के जुड़वां पुत्रों को समर्पित है। इस साल शनिवार, 9 अगस्त को यह जयंती मनाई जाएगी। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में लोकप्रिय है, जो कि श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। लव कुश का जीवन भारतीय संस्कृति में वीरता, पितृभक्ति और मातृभक्ति का एक अनूठा उदाहरण है। आइए जानते हैं कि लव और कुश कौन थे और उनका जीवन कैसा था:ALSO READ: रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं: अपने प्रिय भाई या बहन को भेजें दिल को छू लेने वाले ये 10 यूनिसेक्स मैसेज
 
कौन थे लव और कुश? लव और कुश त्रेता युग के महान योद्धा थे, जो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और माता सीता के पुत्र थे। उन्हें महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में शिक्षा-दीक्षा मिली थी। वे न केवल धनुष-बाण चलाने में निपुण थे, बल्कि अपनी मां के प्रति असीम प्रेम और गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा के लिए भी जाने जाते थे।
 
जन्म और प्रारंभिक जीवन: जब भगवान राम ने प्रजा के कहने पर गर्भवती माता सीता का त्याग कर दिया था, तब वह वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में रहने लगी थीं। वहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ। उनका बचपन आश्रम के शांत और प्राकृतिक वातावरण में बीता। सीता माता ने अपने दोनों पुत्रों को मर्यादा, धर्म और सदाचार की शिक्षा दी।
 
गुरु का सानिध्य और शिक्षा: लव और कुश ने महर्षि वाल्मीकि के संरक्षण में अपनी शिक्षा पूरी की। उन्होंने न केवल धनुर्विद्या, शस्त्र विद्या और सभी वेदों का ज्ञान प्राप्त किया, बल्कि अपने गुरु से रामायण की पूरी कथा भी सीखी। वे रामायण को संगीतबद्ध तरीके से गाते थे, जिससे उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई थी।ALSO READ: 9 अगस्त: अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन दिवस, जानें महत्व और इतिहास
 
अश्वमेध यज्ञ और श्रीराम से भेंट: भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था, जिसका घोड़ा घूमते हुए वाल्मीकि आश्रम के पास पहुंचा। लव और कुश ने उस घोड़े को पकड़ लिया। जब शत्रुघ्न, लक्ष्मण और भरत जैसे महान योद्धाओं ने घोड़े को छुड़ाने का प्रयास किया, तो लव और कुश ने अपनी वीरता से उन्हें युद्ध में हरा दिया। इस घटना के बाद ही भगवान राम को पता चला कि ये उनके ही पुत्र हैं।
 
पुनर्मिलन और राज्याभिषेक: भगवान राम ने जब लव और कुश को अपने समक्ष रामायण का गायन करते सुना, तो उनका हृदय भावुक हो गया। बाद में महर्षि वाल्मीकि ने राम को लव और कुश का परिचय दिया, जिसके बाद एक भावुक पुनर्मिलन हुआ।
 
लव कुश जयंती, भगवान राम और सीता के जुड़वां पुत्रों, लव और कुश के जन्म का उत्सव है और उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी धर्म, कर्तव्य और सच्चाई का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। उनकी वीरता और ज्ञान ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया।
 
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