सेक्सुअल प्राथमिकताएं, नए जमाने का चलन या मानसिक विकार आमतौर पर शारीरिक संबंधों की बात होती है तो यह माना जाता है कि ऐसा संबंध एक स्त्री और पुरुष के बीच का रिश्ता है। हालांकि शारीरिक संबंध (सेक्सुअलिटी) में हमारी प्राथमिकता क्या है, यह एक बेहद निजी मामला है। लेकिन वक्त बदलने के साथ न सिर्फ सेक्सुअलिटी की परिभाषा बदली है, बल्कि अब इसके बारे में खुलकर बात भी की जा रही है।
जब सेक्सुअलिटी के बारे में बात की जाती है तो गे, लेस्बियन और बाइसेक्सुअल जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है। लेकिन हाल ही में अमेरिकी सिंगर और एक्ट्रेस मोनिका डोगरा ने अपनी सेक्सुअलिटी के बारे में एक खुलासा कर के पूरी दुनिया को चौंका दिया है। साथ ही एक नई बहस भी छेड़ दी है। दरअसल, मोनिका डोगरा ने कहा है कि वे पैनसेक्सुअल हैं। अपनी सेक्सुअलिटी को लेकर किए गए इस खुलासे के बाद पूरी दुनिया में इसके बारे में जानने को लेकर उत्सुकता है।
आइए जानते हैं आखिर क्या होता है पैनसेक्सुअल और यह किस तरह एलजीबीटीक्यू यानी गे, लेस्बियन, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीर जैसी दूसरी सेक्सुअल प्राथमिकताओं से अलग है।
अमेरिकी सिंगर और एक्ट्रेस मोनिका डोगरा ने अपनी सेक्सुअलिटी को लेकर कहा है कि वे पैनसेक्सुअल हैं। सेक्सुअलिटी की इस प्राथमिकता के बारे में न तो किसी ने अब तक सुना था और न ही कोई जानकारी थी।दरअसल, मोनिका डोगरा को खुद भी नहीं पता था कि उनकी सेक्सुअलिटी क्या है। करीब 33 साल की उम्र तक उन्हें नहीं पता था कि सेक्सुअली उनका झुकाव किस तरफ है। एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि 6 साल पहले उन्हें पता चला कि वो पैनसेक्सुअल हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने खुद भी पहली बार यह शब्द सुना था।
क्या होता है पैनसेक्सुअल?
दरअसल, पैनसेक्सुअल वो लोग होते हैं, जो हर तरह के जेंडर की तरफ आकर्षित होते हैं। इस कैटेगरी के लोग पुरुष, स्त्री, गे, लेस्बियन और बाइसेक्सुअल हर सेक्सुअलिटी वाले लोगों की तरफ आकर्षित होते हैं। यानी उन्हें संबंध बनाने के लिए पुरुष भी पसंद होते हैं और महिलाएं भी। यही नहीं, वे गे और लेस्बियन लोगों को भी पसंद करते हैं और उनके साथ संबंध बना सकते हैं। कुल मिलाकर पैनसेक्सुअल लोगों के लिए यह मायने नहीं रखता कि किस का जेंडर क्या है और वे किसी के भी साथ संबंध बनाकर शारीरिक सुख ले सकते हैं।
पैनसेक्सुअल और बाइसेक्सुअल में अंतर
अक्सर यह भी देखा गया है कि पैनसेक्सुअल और बाइसेक्सुअल के बीच लोग फर्क नहीं कर पाते। उन्हें लगता है कि दोनों एक ही हैं। लेकिन बता दें कि बाइसेक्सुअल वे लोग होते हैं, जो होमोसेक्सुअल और हेट्रोसेक्सुअल दोनों होते हैं। यानी ऐसे लोग अपने से विपरीत जेंडर के लोगों के प्रति भी सेक्सुअली आकर्षित होते हैं। जबकि पैनसेक्सुअल लोगों के लिए जेंडर कोई मायने नहीं रखता, वो किसी के भी साथ संबंध बना सकते हैं।
कैसी-कैसी सेक्सुअल प्राथमिकताएं?
बता दें कि बदलती दुनिया में लोगों की सेक्सुअल प्राथमिकताएं भी बदली हैं, दुनिया में जिस तरह से लोग मुखर हो रहे हैं उन्होंने अपने संबंधों में प्राथमिकताओं के बारे में भी अब खुलकर बोलना शुरू कर दिया है। बता दें कि पैनसेक्सुअल इस विषय का एक नया शब्द है लेकिन इसके पहले गे, लेस्बियन और बाइसेक्सुअल, क्वीर, एसेक्सुअल, डेमीसेक्सुअल, सैपियोसेक्सुअल, पॉलीसेक्सुअल, ग्रेसेक्सुअल, एंड्रोजेनसेक्सुअल, गायनेसेक्सुअल और स्कोलियोसेक्सुअल भी कैटेगरी होती है।
क्या है सेक्सुअल प्राथमिकता का इतिहास?
आपको बता दें कि सेक्सुअल प्राथमिकता या जिसके प्रति आकर्षण होता है, उस जेंडर से संबंध बनाने वाले लोगों का भी अपना इतिहास रहा है। अपने अधिकारों के लिए LGBTQ यानी लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीर कम्युनिटी के लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी है। जून के महीने में दुनियाभर में इस समुदाय के लोग अपनी आजादी और कानूनी अधिकारों के लिए प्रदर्शन करते हैं, मार्च निकालते हैं।
क्या है कानूनी एंगल?
करीब 53 साल पहले साल 1969 में न्यूयॉर्क की सड़कों पर मार्च पास्ट कर के इस समुदाय के लोगों ने अपने हक में मांग उठाई थी। भारत में भी साल 2018 तक इसे अपराध माना जाता था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को खत्म करके इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। कोर्ट ने कहा था, जिस व्यक्ति की सेक्सुअल प्राथमिकता जो भी है, उसे वैसा ही उसी रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।
आउटर कोर्स- एक सेक्सुअल विकल्प
हालांकि सेक्सुअल डिजायर सिर्फ प्राथमिकताओं तक ही सीमित नहीं है, इन सेक्सुअल प्राथमिकताओं के अलावा आजकल नई जनरेशन में एक और सेक्सुअल प्लेजर का चलन है। सेक्सुअल डेब्यू अंग्रेजी की डिक्शनरी में इस शब्द का अर्थ होता है अपना कौमार्य खोने के बारे में बताते वाला एक शब्द! यह इससे ज्यादा का अर्थ बताता है। दरअसल, सेक्सुअल डेब्यू सिर्फ योनि सेक्स तक सीमित नहीं है, इसमें दूसरे तरीके से किए गए नॉन-पेनेट्रेटिव और ओरल सेक्स भी शामिल हैं। इसलिए आजकल के यंगस्टर्स सीधे- सीधे संभोग के बजाय दूसरे तरीके भी अपना रहे हैं जिन्हें एक तरीके का ऑउटरकोर्स भी कहा जाता है। यह पूरी तरह से इंटरकोर्स नहीं है। इसके पीछे की भावना दरअसल यह है कि इससे प्लेजर तो मिल जाता है, लेकिन नॉन- पेनेट्रेटिव होने की वजह से किसी तरह के गर्भधारण की रिस्क भी नहीं होती है।
बिहार में पापुलेशन कौंसिल के द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक 14.1 प्रतिशत अविवाहित किशोर युवकों और 6.3 प्रतिशत अविवाहित किशोर युवतियों ने शादी के पहले शारीरिक संबंध बनाए। जिनमें ज्यादातर कपल्स ने आउटर कोर्स जैसे विकल्प को अपनाया था।
कौन हैं मोनिका डोगरा?
जिस मोनिका डोगरा की वजह से पैनसेक्सुअल शब्द चर्चा में आया वे मूल रूप से कश्मीर की रहने वाली हैं, लेकिन काफी पहले उनका परिवार अमेरिका में बस गया था। उन्होंने इंटरव्यू में खुलासा किया कि वे पहले टॉमबॉय टाइप की थी। फिर कुछ दिनों बाद महसूस किया कि वे हाईपर फेमिनिन हैं। दोनों तरह से उन्हें खुद को अभिव्यक्त करना पसंद था। वो बताती हैं कि कॉलेज के दिनों में भी उनका कोई सेक्सुअल अनुभव नहीं रहा। कॉलेज के दिनों में हालांकि वो खुद को स्ट्रेट समझती थीं। कभी किसी लड़की को किस नहीं किया। कई बार उन्हें लगता रहा कि शायद वे बाइसेक्सुअल हैं। लेकिन तब तक उन्हें पैनसेक्सुअलिटी के बारे में बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था। वे बताती हैं कि उन्हें पता था कि फेमिनिन और मसकुलिन की तरफ उनका झुकाव होता है। इसी दौरान उन्हें पैनसेक्सुअलिटी के बारे में पता चला। मोनिका डोगरा ने इंटरव्यू में बताया कि जब उन्होंने इस बारे काफी खोजबीन की तो पता चला कि वे पैनसेक्सुअल हैं और इस कैटेगरी में खुद को कंफर्ट और फिट महसूस करती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
यह मनोविकार नहीं है
यह आवश्यक नहीं है कि हमारी लैंगिक आसक्ति सिर्फ विपरीत जेंडर के लिए ही हो और ऐसा नहीं होना मानसिक विकार नहीं है। जैसे- जैसे जागरूकता बढ़ती जाएगी बहुत से लोग सार्वजनिक रूप से इस बारे में बताते जाएंगे, ऐसे में कलंक का भाव भी खत्म होता जाएगा।
- डॉ सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक, भोपाल।
(नोट : इस विषय की अगली सीरिज में हम बात करेंगे सेक्सुअलिटी के इतिहास और प्रतीकों के बारे में। इस लेख का उदेश्य समाज में सेक्स को लेकर पसरी भ्रांतियों के बारे में लोगों को जागरूक करना है।)