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Last Updated : गुरुवार, 5 जनवरी 2023 (18:04 IST)

AIIMS ने किया अलर्ट...! कोरोना खराब कर देगा आपके 'स्‍पर्म' की गुणवत्‍ता

AIIMS, Delhi
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शोधकर्ताओं द्वारा 30 पुरुषों पर किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस का वीर्य (स्पर्म) की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने वीर्य की गुणवत्ता और शुक्राणु डीएनए विखंडन सूचकांक (डीएफआई) पर रोग के प्रभाव का भी विश्लेषण किया।
 
एम्स पटना के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19, टेस्टिकुलर ऊतकों में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम-2 रिसेप्टर (एसीई2) के माध्यम से कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
 
एसीई2, सार्स-सीओवी-2 वायरस स्पाइक प्रोटीन के संग्राहक (रिसेप्टर) के रूप में काम करता है जिससे वायरस परपोषी की कोशिकाओं में प्रवेश कर जाता है। हालांकि वीर्य में सार्स-सीओवी-2 के पहुंचने और इसके शुक्राणु बनाने व प्रजनन संभावनों पर असर डालने के बारे में बेहद कम जानकारी मिली है।
 
चिकित्सा विज्ञान की पत्रिका क्यूरियस में प्रकाशित अध्ययन में कोविड-19 की चपेट में आए पुरुषों के वीर्य में सार्स-सीओवी-2 की उपस्थिति की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने वीर्य की गुणवत्ता और शुक्राणु डीएनए विखंडन सूचकांक (डीएफआई) पर रोग के प्रभाव का भी विश्लेषण किया।
 
एम्स पटना अस्पताल में पंजीकृत 19 से 45 साल के आयु वर्ग के कोविड-19 प्रभावित 30 पुरुष मरीजों ने अक्टूबर 2020 और अप्रैल 2021 के बीच हुए इस अध्ययन में हिस्सा लिया। अध्ययन में कहा गया कि हमने सभी वीर्य नमूनों पर रीयल-टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेस परीक्षण किया। संक्रमित होने के दौरान लिए गए नमूनों में शुक्राणु डीएनए विखंडन सूचकांक सहित विस्तृत वीर्य विश्लेषण किया गया।
 
अध्ययन के अनुसार कि पहले नमूने लेने के 74 दिन बाद हमने फिर नमूने लिए और सभी परीक्षण दोहराए। अध्ययन में एम्स मंगलागिरी और एम्स नई दिल्ली के शोधकर्ता भी शामिल थे। अध्ययन के अनुसार पहली और दूसरी बार लिए गए वीर्य के सभी नमूनों में रीयल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) में सार्स-सीओवी-2 नहीं मिला। हालांकि पहले लिए नमूनों में वीर्य की मात्रा, प्रभाव, गतिशीलता, शुक्राणु संकेंद्रण और कुल शुक्राणुओं की संख्या काफी कम थी।
 
शोधकर्ताओं के अनुसार दूसरी बार लिए गए नमूनों के नतीजे इससे उलट थे लेकिन फिर भी वीर्य ईष्टतम गुणवत्ता का नहीं पाया गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी : एआरटी) क्लिनिक और स्पर्म बैंकिंग सुविधाओं को कोविड-19 की चपेट में आए पुरुषों के वीर्य का आकलन करने पर विचार करना चाहिए।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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