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  4. How to prevent Yourself from Eye Infection in monsoon
Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 16 जुलाई 2025 (18:09 IST)

बारिश के मौसम में आंखों में हो सकती हैं ये 5 गंभीर बीमारियां, जानिए कैसे करें देखभाल

Eye Infection
monsoon eye care tips in hindi: मॉनसून आते ही मौसम में एक खुशनुमा ताजगी आ जाती है। हरियाली, ठंडी हवाएं और बरसात का आनंद लेना भला किसे पसंद नहीं? लेकिन इस मौसम का एक दूसरा पहलू भी है, जो हमारी सेहत के लिए खतरे की घंटी बन सकता है और वो है इंफेक्शन का बढ़ता खतरा। जहां लोग त्वचा और पाचन संबंधी समस्याओं को लेकर सजग हो जाते हैं, वहीं आंखों की देखभाल को नजरअंदाज कर देते हैं। बारिश के मौसम में हवा में नमी और गंदगी के चलते आंखों में इंफेक्शन की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में आंखों से जुड़ी कुछ गंभीर बीमारियों के प्रति सतर्क रहना बेहद जरूरी है।
 
1. कंजंक्टिवाइटिस (आंख आना या पिंक आई)
बारिश के मौसम में सबसे आम और तेजी से फैलने वाली बीमारी कंजंक्टिवाइटिस होती है। यह आंखों में वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है, जिसमें आंखें लाल हो जाती हैं, पानी बहता है और तेज जलन महसूस होती है। यह एक संक्रामक रोग है जो स्पर्श या संपर्क से आसानी से दूसरों में फैल सकता है। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाना और उनकी व्यक्तिगत चीजें साझा न करना बेहद जरूरी है।
 
2. स्टाई (आंख की फुंसी)
स्टाई यानी आंख की पलकों के पास छोटी सी दर्दनाक फुंसी होना। यह आमतौर पर बैक्टीरियल इंफेक्शन से होती है और मॉनसून में इसकी संभावना अधिक हो जाती है। गंदे हाथों से आंख छूना, पुराना मेकअप यूज़ करना या बासी काजल लगाने से यह समस्या हो सकती है। स्टाई से पलकों में सूजन, दर्द और लालिमा देखने को मिलती है। इलाज के लिए गर्म पानी की सिंकाई और एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स का उपयोग किया जाता है।
 
3. ड्राय आई सिंड्रोम (सूखी आंखें)
बारिश के मौसम में लगातार एसी के संपर्क में रहना या अत्यधिक स्क्रीन टाइम से आंखों में सूखापन आ सकता है। ड्राय आई सिंड्रोम में आंखों में जलन, खुजली, थकान और चुभन जैसी समस्याएं होती हैं। यह समस्या उन लोगों में ज्यादा देखी जाती है जो ऑफिस वर्क में लंबे समय तक कंप्यूटर स्क्रीन पर रहते हैं। ऐसे में समय-समय पर आंखों को ब्रेक देना और आई ड्रॉप्स का प्रयोग करना जरूरी होता है।
 
4. कॉर्नियल अल्सर (आंखों में घाव)
कॉर्निया यानी आंख की पारदर्शी सतह पर अल्सर हो जाना एक गंभीर स्थिति हो सकती है। बारिश में पानी और धूल की वजह से बैक्टीरिया या फंगस कॉर्निया को संक्रमित कर देते हैं। यदि समय रहते इलाज न किया जाए, तो इससे दृष्टि पर स्थायी असर भी पड़ सकता है। इसके लक्षणों में तेज दर्द, आंखों में सफेद धब्बा, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता और धुंधला दिखना शामिल है।
 
5. एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस (एलर्जी से आंखों में सूजन)
बारिश के मौसम में परागकण (pollen), फंगल स्पोर्स और धूल के कण हवा में सक्रिय हो जाते हैं। इससे आंखों में एलर्जी हो सकती है, जिसे एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस कहते हैं। इसमें आंखों में खुजली, पानी आना, लालिमा और कभी-कभी पलकों में सूजन आ जाती है। एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस वायरल नहीं होता लेकिन बार-बार हो सकता है, इसलिए सही इलाज और रोकथाम बेहद जरूरी है।
 
आंखों की देखभाल कैसे करें?
  • हमेशा आंखों को साफ पानी से धोते रहें, खासकर बाहर से आने के बाद।
  • अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोएं और आंखों को बिना धोए हाथों से न छुएं।
  • किसी और का तौलिया, रुमाल या आंखों से जुड़ा कोई भी सामान साझा न करें।
  • घर के आसपास साफ-सफाई रखें ताकि फंगल स्पोर्स न पनपें।
  • कंप्यूटर या मोबाइल इस्तेमाल करते समय हर 20 मिनट पर 20 सेकंड के लिए ब्रेक लें।
  • जरूरत पड़ने पर डॉक्टर द्वारा सुझाई गई आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें।

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