बुधवार, 25 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. चुनाव 2022
  2. गुजरात विधानसभा चुनाव 2022
  3. न्यूज: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022
  4. Hardik Patel's path is not easy on Viramgam seat in Gujarat
Written By
Last Updated : सोमवार, 21 नवंबर 2022 (17:07 IST)

Gujarat Election : गुजरात में वीरमगाम सीट पर आसान नहीं है हार्दिक पटेल की राह

Gujarat Election : गुजरात में वीरमगाम सीट पर आसान नहीं है हार्दिक पटेल की राह - Hardik Patel's path is not easy on Viramgam seat in Gujarat
वीरमगाम। गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने हाल में उसके खेमे में शामिल हुए युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को कांग्रेस से वीरमगाम विधानसभा सीट छीनने के लिए मैदान में उतारा है। इस सीट को जाति की राजनीति से मुक्त माना जाता है, क्योंकि अल्पसंख्यक समुदाय समेत विभिन्न जातियों व धर्मों के नेता इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

पाटीदार समुदाय से आने वाले 29 वर्षीय पटेल अहमदाबाद के वीरमगाम तालुका के चंद्रनगर गांव के रहने वाले हैं। अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे पटेल का पालन-पोषण वीरमगाम में ही हुआ है। इस सीट पर उनका मुख्य मुकाबला निवर्तमान कांग्रेस विधायक लाखाभाई भारवाड़ से होगा जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की तेजश्री पटेल को 6500 से अधिक मतों के अंतर से हराया था।

वीरमगाम विधानसभा क्षेत्र में अहमदाबाद का वीरमगाम, मंडल और देतरोज तालुका शामिल हैं। इस सीट पर पिछले 10 वर्षों से कांग्रेस का कब्जा है। वीरमगाम और 92 अन्य सीटों पर दूसरे चरण में पांच दिसंबर को मतदान होगा।

दिलचस्प बात यह है कि 2012 के विधानसभा चुनावों में तेजश्री पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और भाजपा के प्रागजी पटेल को 16,000 से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। कांग्रेस विधायक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह सत्तारूढ़ भाजपा की तीखी आलोचना करके अपनी छाप छोड़ी।

सभी को हालांकि उस वक्त हैरानी हुई जब उन्होंने पाला बदलकर 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। उस चुनाव में मतदाताओं ने उन्हें खारिज कर दिया और कांग्रेस के लाखाभाई भारवाड़ को चुना, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से थे।

कुछ मतदाताओं को लगता है कि भारवाड़ अब सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं, जबकि कुछ अन्य मानते हैं कि वह एक विधायक के रूप में सक्रिय रहे हैं और स्थानीय मुद्दों के समाधान के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। इसलिए हार्दिक पटेल के लिए उन्हें हराना आसान नहीं होगा।

वीरमगाम में लगभग तीन लाख मतदाता हैं, जिनमें 65,000 ठाकोर (ओबीसी) मतदाता, 50,000 पाटीदार या पटेल मतदाता, लगभग 35,000 दलित, 20,000 भारवाड़ और रबारी समुदाय के मतदाता, 20,000 मुस्लिम, 18,000 कोली सदस्य और 10,000 कराडिया (ओबीसी) राजपूत शामिल हैं।

वीरमगाम सीट ने दिए हैं विभिन्न जातियों के विधायक : इस सीट ने हालांकि अब तक विभिन्न जातियों के विधायक दिए हैं, जिनमें तेजश्री पटेल (पाटीदार), 1980 में दाउदभाई पटेल (मुस्लिम), 2007 में कामाभाई राठौड़ (कराडिया राजपूत) और लाखाभाई भारवाड़ (ओबीसी) शामिल हैं।

भारवाड़ से जब पूछा गया कि क्या इस बार हार्दिक के नामांकन से उनके लिए मुश्किलें पैदा होंगी, उन्होंने कहा, वीरमगाम के लोग कभी भी जाति के आधार पर वोट नहीं देते। यही कारण है कि दशकों से विभिन्न जातियों के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इस सीट के मतदाता केवल लोगों और पार्टी के प्रति प्रदर्शन और प्रतिबद्धता देखते हैं। मुझे इस सीट को बरकरार रखने का भरोसा है।

भारवाड़ अपने पिछले प्रदर्शन और लोगों के लिए किए गए कार्यों पर भरोसा कर रहे हैं या कम से कम मुद्दों को विधानसभा के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी हल करने के लिए उठा रहे हैं। वीरमगाम नगर पालिका और तालुका पंचायत दोनों पर ही भाजपा काबिज है।

भारवाड़ ने कहा, पहले, निर्वाचन क्षेत्र में सड़कों की स्थिति खराब थी क्योंकि वे सात साल तक फिर से नहीं बनी थीं। लेकिन मेरे लगातार प्रयासों के कारण, वे फिर से बन गई हैं। हालांकि वीरमगाम शहर के लोग परेशान हो रहे हैं क्योंकि भाजपा नगरपालिका पर शासन कर रही है। लोग जानते हैं कि गलती किसकी है और किसने उनका काम किया है। विधायक के तौर पर किए गए काम के बारे में भारवाड़ के दावों का कुछ स्थानीय लोग समर्थन करते हैं।

एक ऑटो चालक कांतिलाल परमार कहते हैं, इसमें कोई शक नहीं कि पटेल अधिक लोकप्रिय हैं। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि भारवाड़ एक विधायक के रूप में सक्रिय थे और उन्होंने हमारे मुद्दों को हल करने के लिए कड़ी मेहनत की, चाहे वह खराब सड़कें हों या बहती गटर हों। हमने उन्हें जमीन पर देखा है। हालांकि वह सभी मुद्दों को हल करने में सक्षम नहीं थे, लेकिन लोग जानते हैं कि उन्होंने कोशिश की थी।

हार्दिक के नामांकन पर भारवाड़ ने दिया यह जवाब : एक अन्य मतदाता ने दावा किया कि भारवाड़ के पुन: नामांकन से हार्दिक के जीतने की संभावना बढ़ गई है।उन्होंने कहा, भारवाड़ सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं। जातिगत समीकरणों को देखते हुए, कांग्रेस को ठाकोर समुदाय से किसी को मैदान में उतारना चाहिए था। अब भारवाड़ के नामांकन के साथ हार्दिक की संभावना बढ़ गई है।

आम आदमी पार्टी भी मैदान में है, जिसने शुरुआत में कुंवरजी ठाकोर को टिकट दिया था, लेकिन अचानक उनकी जगह अमर सिंह ठाकोर को मैदान में उतार दिया। कुंवरजी इससे खुश नहीं हैं। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। 2017 में उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था और 10800 मतों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे। वीरमगाम के जाने माने दलित कार्यकर्ता किरीट राठौड़ भी निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं।

कई लोगों का मानना है कि यह तिकड़ी, अगर मैदान में रहती है तो मतदान समीकरणों को गड़बड़ा सकती हैं और अप्रत्याशित परिणाम दे सकती है। नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 21 नवंबर है। पाटीदार जाति को ओबीसी का दर्जा दिलाने के लिए पाटीदार आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने के बाद सुर्खियों में आए हार्दिक, लगभग दो साल तक कांग्रेस के साथ रहने के बाद जून में भाजपा में शामिल हो गए थे।

वह अब क्षेत्र के गांवों का दौरा कर रहे हैं। उनके द्वारा जारी वादों की सूची में, पहले वादे में कहा गया है कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि वीरमगाम को एक जिले का दर्जा मिले और ग्रामीण लोग पहले से ही इस मुद्दे को उठाने के लिए पटेल को धन्यवाद दे रहे हैं।

एक स्थानीय किसान अमर पटेल कहते हैं, वीरमगाम एक अलग जिला घोषित किए जाने के लिहाज से काफी बड़ा है। लोग पिछले कुछ समय से इसकी मांग कर रहे हैं। इससे हमारी कई समस्याओं का समाधान हो जाएगा क्योंकि कलेक्टर कार्यालय से संबंधित विभिन्न कार्यों के लिए या अदालत से संबंधित मामलों के लिए हमें अहमदाबाद जाना पड़ता है। हार्दिक ने इस मुद्दे को सही उठाया है।

अन्य प्रमुख वादों में एक आधुनिक खेल परिसर, स्कूल, मंडल तालुका, देतरोज तालुका और नल सरोवर के पास 50-शैय्या का अस्पताल, वीरमगाम शहर में 1,000 सरकारी घर, औद्योगिक एस्टेट, उद्यान आदि शामिल हैं।गौतलब है कि चार पन्नों वाली वादों की फेहरिस्त में पाटीदार शब्द का उल्लेख नहीं है। उनके संक्षिप्त परिचय में यह उल्लेख किया गया है कि उनका जन्म गुजरात में एक हिंदू परिवार में हुआ था और उनके दिवंगत पिता भरतभाई इस क्षेत्र के एक सक्रिय भाजपा कार्यकर्ता थे।

आरक्षण के लिए उनके आंदोलन के बाद गुजरात में शुरू किए गए ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटे की ओर इशारा करते हुए कहा गया है कि हार्दिक के ऐतिहासिक आंदोलन ने न केवल एक बल्कि कई समुदायों को कई लाभ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हार्दिक के प्रचार अभियान का प्रबंधन देखने वाले दीपक पटेल ने कहा, हमारा अभियान बहुत मजबूत चल रहा है और लोग हार्दिक पर अपना आशीर्वाद बरसा रहे हैं। लोग कांग्रेस विधायक से खुश नहीं हैं और वे इस बार बदलाव चाहते हैं। हमें विश्वास है कि वीरमगाम सीट के लोग हार्दिक को वोट देंगे और एक बार फिर राज्य में भाजपा को सत्ता में लाएंगे।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour
ये भी पढ़ें
भारत के पहले मालिक आदिवासी हैं, गुजरात की रैली में बोले राहुल गांधी