दास्ताँ-ए-फेसबुक - 'द सोशल नेटवर्क'
आपने किसी खास शख्सियत, उपन्यास, घटना या किसी पौराणिक कथा पर आधारित फिल्में में तो बहुत देखी होंगी। लेकिन किसी सोशल नेटवर्किंग साइट की कहानी पर आधारित फिल्म के बारे में शायद ही पहले किसी ने सोचा होगा। 'द सोशल नेटवर्क' एक ऐसी हॉलीवुड फिल्म है जो एक बेहद पापुलर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट 'फेसबुक' के आइडिया से लेकर उसके बनने और पापुलर होने की सच्ची (?) कहानी को बयाँ करती है।
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साल में दुनिया भर में फैले 50 करोड़ लोगों को अपनी साइट से कनेक्ट करना और ना सिर्फ कनेक्ट करना बल्कि इसे उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बनाना, यह वाकई अपने आप में रोमांचित कर देने वाली बात है और इसे मुमकिन कर दिखाया फेसबुक के कर्ताधर्ता 'मार्क जुकेरबर्ग' ने। लेकिन कैसे? यही सार है इस फिल्म का। किसी सफल कृति की कहानी में विवादों के पेंच तो होते ही हैं तो वो इस फिल्म में भी हैं। 26 वर्षीय मार्क जुकेरबर्ग ने फरवरी 2004 में जब फेसबुक बनाई तो उनके दो सहपाठियों टायलर और कैमरॉन विंकलेवोस ने उस पर वेबसाइट बनाने का आइडिया चुराने का आरोप लगाया। इन दोनों जुड़वाँ भाइयों का कहना है कि जब उनके दिमाग में यू-कनेक्ट नाम की सोशल नेटवर्किंग साइट बनाने का आइडिया आया तो उन्होंने मार्क को इस काम में अपनी मदद के लिए बुलाया था लेकिन मार्क ने न सिर्फ उनका आइडिया चुराया बल्कि खुद की वेबसाइट भी लॉन्च कर दी।