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Last Modified: सोमवार, 18 जनवरी 2021 (07:04 IST)

Kisan Andolan: 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने पर अडिग किसान यूनियन, आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Kisan Andolan: 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने पर अडिग किसान यूनियन, आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई - farmers protest supreme court hearing centres plea against proposed farmers tractor rally today
नई दिल्ली। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं किसान यूनियनों ने रविवार को कहा कि वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में अपनी प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड निकालेंगी।
 
यूनियन नेता योगेंद्र यादव ने सिंघू बार्डर स्थित प्रदर्शन स्थल पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में बाहरी रिंग रोड पर एक ट्रैक्टर परेड करेंगे। परेड बहुत शांतिपूर्ण होगी। गणतंत्र दिवस परेड में कोई भी व्यवधान नहीं होगा। किसान अपने ट्रैक्टरों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाएंगे।
प्राधिकारियों ने किसानों द्वारा प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च या ऐसे किसी अन्य प्रकार के विरोध प्रदर्शन पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है ताकि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में किसी तरह की बाधा न आए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका पर आज सुनवाई किए जाने की संभावना है।
 
एक अन्य किसान यूनियन नेता दर्शनपाल सिंह ने आरोप लगाया कि एनआईए उन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर रही है जो विरोध प्रदर्शन का हिस्सा हैं या इसका समर्थन कर रहे हैं। पाल ने कहा कि सभी किसान यूनियन इसकी निंदा करती हैं।
 
पाल का इशारा एनआईए के उन समन की ओर था जो प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ से जुड़े एक मामले में एक किसान यूनियन नेता को कथित तौर पर जारी किए गए हैं।
 
सरकार और प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच 10वें दौर की वार्ता 19 जनवरी को होनी निर्धारित है। गतिरोध को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति भी उसी दिन अपनी पहली बैठक करेगी।
 
केंद्र और 41 किसान यूनियनों के बीच पिछले 9 दौर की औपचारिक वार्ता से दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से जारी विरोध प्रदर्शनों को समाप्त करने के लिए कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया है क्योंकि किसान यूनियन तीनों कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की अपनी मुख्य मांग पर अड़े हुए हैं।
 
सुप्रीम कोर्ट ने गत 11 जनवरी को अगले आदेश तक तीन कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी थी और गतिरोध के समाधान के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। हालांकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने पिछले सप्ताह खुद को समिति से अलग कर लिया था।
शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल के अलावा, कृषि अर्थशास्त्रियों अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी अन्य समिति के अन्य सदस्य हैं। घनवट ने पीटीआई कहा कि हम 19 जनवरी को पूसा परिसर में बैठक कर रहे हैं। आगे के कदम पर निर्णय करने के लिए केवल सदस्य ही बैठक करेंगे।
 
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा कि परेड में वाहनों पर झांकियां शामिल होंगी जो ऐतिहासिक क्षेत्रीय और अन्य आंदोलनों प्रदर्शित करने के अलावा विभिन्न राज्यों की कृषि वास्तविकता को दर्शाएंगी।
 
उसने कहा कि वाहनों पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज लगा होगा और साथ ही उन पर उस किसान संगठन का झंडा भी होगा, जिससे उक्त सदस्य संबद्ध है। किसी राजनीतिक पार्टी का झंडा लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
 
मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली के विभिन्न बार्डर पर एक महीने से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
केंद्र सरकार ने इन कानूनों को किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में प्रस्तुत किया है, लेकिन प्रदर्शनकारी किसान चिंता जता रहे हैं कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और ‘मंडी’ व्यवस्था को कमजोर करेंगे उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे। सरकार का कहना है कि ये आशंकाएं गलत हैं। सरकार कानूनों को निरस्त करने से इनकार कर चुकी है। (भाषा)
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