10 किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट कमेटी को दिए सुझाव, सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से कृषि सुधार कानूनों को लेकर गठित समिति की गुरुवार को यहां बैठक हुई। इसमें 10 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया और कानूनों के बेहतर ढंग से कार्यान्वयन के लिए अपने सुझाव दिए। इधर प्रस्ताव पर किसान संगठनों की बैठक हुई।
इसमें सरकार के डेढ़ साल तक कृषि कानून रद्द के लिए जाने के प्रस्ताव को संगठनों ने अस्वीकार कर दिया। सरकार के प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने बैठक की। बैठक में समिति के सदस्य अनिल घनवत, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी ने हिस्सा लिया। किसान नेता भूपिन्दर सिंह मान ने पहले ही इस समिति से अपने को अलग कर लिया था।
कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना तमिलनाडु और उत्तरप्रदेश के किसान संगठनों ने हिस्सा लिया। इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने इस समिति में शामिल होने से इंकार किया है।
किसान संगठन कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर पिछले 57 दिनों से दिल्ली की सीमा के निकट धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार के साथ किसान संगठनों की 10 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका है।
राहुल ने फिर साधा निशाना : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार और किसानों के बीच 10वें दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद सरकार पर हमला करते हुए गुरुवार को कहा कि किसानों को लेकर हर रोज जुमले गढ़ने की बजाय उसे तत्काल कृषि विरोधी तीनों कानून खत्म कर देने चाहिए।
गांधी ने कहा कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर करीब दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं और इस संघर्ष में कई किसानों की जान भी जा चुकी है लेकिन सरकार उनकी मांग मानने की बजाय बातचीत के बहाने उन्हें भटकाने और नए जुमले गढ़ने का काम कर रही है।
गांधी ने ट्वीट किया- रोज़ नए जुमले और ज़ुल्म बंद करो, सीधे-सीधे कृषि-विरोधी क़ानून रद्द करो। उन्होंने किसान आंदोलन से संबंधित एक फोटो और एक खबर भी पोस्ट की है जिसमें किसान और सरकार के बीच बुधवार को हुई बातचीत संबंधी खबर आज भी सरकार और किसानों के बीच नहीं बनी सहमति, अब 22 को फिर होगी बात दी है।