Kali chaudas 2025: कार्तिक मास कर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे नरक चौदस भी कहा जाता है। इस दिन स्वर्ग एवं रूप की प्राप्ति के लिए सूर्योदय से पहले उबटन, स्नान एवं पूजन किया जाता है। लेकिन इस दिन को रूप चौदस और नरक चौदस के अलावा काली चौदस भी कहा जाता है, जो बहुत कम लोग जानते हैं। जानिए इसका कारण-
काली चौदस: नरक चतुर्दशी को बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस कहा जाता है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है। काली चौदस की रात्रि को देवी काली की पूजा नकारात्मक शक्तियों के नाश, शत्रुओं पर विजय और तंत्र साधना की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। हालांकि एक मान्यता के अनुसार इस दिन मध्यरात्रि में माता काली की तंत्रोक्त पूजा करने से धन समृद्धि बढ़ती है। यह पूजा अक्सर मध्य रात्रि के दौरान की जाती है।
काली चौदस की पूजा का समय: काली चौदस पर निशीथ काल में माता काली की पूजा करने से धन समृद्धि का आशीष पाया जा सकता है।
त्रिशक्ति तंत्र: त्रिशक्ति तंत्र का अर्थ तीन मुख्य शक्तियों (सरस्वती, लक्ष्मी और काली) की साधना या पूजा से है, जो ब्रह्मांड की प्रमुख आदि शक्तियां मानी जाती हैं। त्रिशक्ति तंत्र मुख्य रूप से तीन देवियों - माता सरस्वती (ज्ञान की देवी), माता लक्ष्मी (धन की देवी), और माता काली (शक्ति और विनाश की देवी)- की पूजा से संबंधित है। काली चौदस पर इनकी विधिवत पूजा करने से सभी तरह का लाभ मिलता है।
माता काली की पूजा करने का लाभ:-
1. माँ काली को नकारात्मक शक्तियों और बुरी ऊर्जा का नाश करने वाली देवी माना जाता है।
2. इस दिन माता काली की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है।
3: बुरी शक्तियां और काला जादू दूर होते।
4. शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
5. इस दिन पूजा करने से धन समृद्धि का आशीष पाया जा सकता है।
माता काली की सामान्य पूजा विधि (घरेलू साधकों के लिए):-
निशीथ काल समय: काली चौदस पर माता काली की पूजा आमतौर पर रात्रि में या मध्य रात्रि के दौरान की जाती है।
अभ्यंग स्नान: सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर उबटन (तिल का तेल, बेसन, हल्दी आदि) लगाकर स्नान करें। इसके बाद साफ, विशेषकर लाल या काले रंग के वस्त्र धारण करें।
स्थापना: पूजा स्थान पर एक साफ चौकी पर लाल या काला कपड़ा बिछाकर माँ काली की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजा सामग्री: मां काली की प्रतिमा/चित्र, सरसों के तेल का दीपक (या घी का), लाल गुड़हल के फूल (या अन्य लाल फूल), माला, सिंदूर, कुमकुम, हल्दी, कपूर, नारियल, फल, मिठाई (नैवेद्य), धूप, अगरबत्ती।
पूजा विधि का क्रम:
संकल्प: हाथ में जल लेकर शुद्ध मन से पूजा का संकल्प लें।
गणेश वंदना: सबसे पहले भगवान गणेश का आवाहन और पूजा करें।
दीप प्रज्वलन: सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
पुष्प/तिलक: माँ काली को सिंदूर, कुमकुम, हल्दी और लाल फूल अर्पित करें।
नैवेद्य: नारियल, मिठाई और फल का भोग लगाएं।
आरती: कपूर से माँ काली की आरती करें।
मंत्र जाप (अत्यधिक फलदायी):
पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों में से किसी एक की कम से कम 11 माला (या 108 बार) जाप करें:
सामान्य मंत्र: "ॐ क्रीं कालिकायै नमः"
नवार्ण मंत्र का भाग: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे"
माता काली के तांत्रिक/विशेष उपाय:
1. सुझाव: काली चौदस की रात को तंत्र साधक विशेष साधनाएं करते हैं। सामान्य व्यक्ति नकारात्मकता और भय से मुक्ति के लिए कुछ सरल उपाय कर सकते हैं।
2. नकारात्मकता मुक्ति के लिए दीपक: माँ काली के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक में काले तिल डालना भी शुभ माना जाता है।
3. कर्ज और दरिद्रता निवारण: रात्रि में हनुमानजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर 'ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्' मंत्र का जाप करें। (चूँकि इस दिन हनुमान पूजा भी होती है।)
4. बुरी शक्तियों से सुरक्षा: पूजा में माँ काली को काली उड़द दाल और काले तिल अर्पित करें। काली चौदस की रात को हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के भूत-प्रेत और तंत्र बाधाओं से सुरक्षा मिलती है।
डिस्क्लेमर: किसी भी गंभीर तांत्रिक साधना या क्रिया को बिना गुरु के मार्गदर्शन के नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके विपरीत परिणाम हो सकते हैं। घर पर सात्विक भाव से माँ काली की पूजा करना ही सामान्य भक्तों के लिए सबसे सुरक्षित और फलदायी होता है। तंत्र के उपाय एक विशेष विद्या है और इसे हमेशा किसी योग्य, सिद्ध गुरु या तांत्रिक की देखरेख में ही करना चाहिए। यहाँ दी गई जानकारी केवल धार्मिक और सामान्य ज्ञान के उद्देश्य से है। घर पर सामान्य पूजा ही करनी चाहिए।