श्रीसूक्त का पाठ करने का क्या है सही तरीका? शुक्रवार को करें पाठ, दरिद्रता होगी दूर
श्री सूक्त Shri Sukt ऋग्वेद से लिया गया है। शास्त्रों के अनुसार नित्य श्री सूक्त Shri Sukt का पाठ करने वाले जातक को इस संसार में समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। उसे धन यश की कोई भी कमी नहीं होती है। नित्य नहीं कर सकते हैं तो प्रति शुक्रवार के दिन श्रीसूक्त पाठ करना चाहिए। यहां प्रस्तुत है पाठ करने का सही तरीका, नियम और पाठ की लिंक।
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कैसे करें श्री सूक्त का पाठ:
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स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ सफेद या गुलाबी वस्त्र धारण करें।
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फिर एक पाट पर माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति रखें।
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उनके पास ही श्रीयंत्र की स्थापना करें।
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इसके बाद धूप दीप प्रज्वलित करें।
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फिर कमल का पुष्प मां लक्ष्मी को अर्पित करें।
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इसके बाद श्रीयंत्र एवं मां लक्ष्मी के चित्र के सामने खड़े होकर श्री सूक्त का पाठ करें।
यंत्र पूजा : श्री यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, धन वर्षा यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, नवग्रह यंत्र, धनवर्षा यंत्र, लक्ष्मी-कुबेर यंत्र में से कोई सा भी एक यंत्र बनाएं और उसकी नित्य पूजा करें। घर के ईशान कोण में श्री यंत्र को ताम्र पत्र, रजत पत्र या भोज पत्र पर बनवाकर रखें। फिर उनमें प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद उसकी पूजा करें।
श्री सूक्त की ऋचाओं से नियमित हवन करने से विभिन्न कष्ट दूर होकर ऐश्वर्य व भोग की प्राप्ति होती है। अलक्ष्मी की अकृपा प्राप्त होने से एक ओर जहाँ दुःख दरिद्रता, रोग, कर्ज से मुक्ति मिलती है, वहीं दूसरी ओर लक्ष्मी की कृपा से भोग की प्राप्ति होती है। इस मंत्र में श्री सूक्त के पंद्रह छंदों में अक्षर, शब्दांश और शब्दों के उच्चारण से अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी के ध्वनि शरीर का निर्माण किया जाता है।
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मंत्र : माता लक्ष्मी के मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद। श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः॥... इस मंत्र की कमलगट्टे की माला से प्रतिदिन जप करने से लाभ होगा। इसके अलावा दरिद्रता नाशक लक्ष्मी मंत्र या दरिद्रता नाशक हनुमान मंत्र का जप भी कर सकते हैं।