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Last Modified: रविवार, 6 सितम्बर 2020 (20:18 IST)

मेरठ मेडिकल कॉलेज की लापरवाही, कोरोना शवों की अदला-बदली, अंतिम संस्कार के दौरान खुली पोल

मेरठ मेडिकल कॉलेज की लापरवाही, कोरोना शवों की अदला-बदली, अंतिम संस्कार के दौरान खुली पोल - Negligence of Meerut Medical College
मेरठ मेडिकल कॉलेज में कोरोना लाशों की अदला-बदली का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मेरठ मेडिकल कॉलेज की बड़ी लापरवाही ने 2 परिवारों की संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है, लाश बदलने का पता अंतिम संस्कार के दौरान चेहरा देखने पर पता चला। पीड़ित परिवार ने मेरठ प्रशासन को घटना की जानकारी दी तो हड़कंप मच गया।

घटना की जानकारी मिलते ही डीएम ने मेडिकल कॉलेज की बड़ी लापरवाही की जांच के लिए एक टीम गठित करते हुए कहा है कि दोषियों को बख्शा नही जाएगा जबकि मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने जांच का जिम्मा तीन प्रोफेसरों को सौंपा है।

मामला गाजियाबाद जिले से जुड़ा है। थाना मोदीनगर के रहने वाले गुरु वचन लाल को तबीयत खराब होने के चलते मेरठ मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। इसी दौरान पता चला कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं।

शनिवार शाम को मेरठ मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान गुरु वचन की मौत हो गई। उसके बाद परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए शव पैक करके दे दिया गया। इस कोरोना पेशेंट के परिवार का कहना है कि पैकिंग शव पर गुरु वचन मोदीनगर लिखा हुआ था। साथ ही पैकिंग पर लिखा हुआ था कि शव को चेहरा देखने के लिए न खोलें। 

आज सुबह 8.30 बजे जब शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो परिजनों ने अचानक से शव का चेहरा देखा, तो वे हैरान रह गए, क्योंकि वह शव गुरु वचन लाल का नहीं था। तुरंत मेरठ प्रशासन को सूचना दी गई। मेरठ डीएम अनिल ढींगरा ने तुरंत इस मामले में संज्ञान लेते हुए एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी और सीएमओ डॉक्टर राजकुमार को जांच टीम गठित कर मेडिकल कॉलेज भेज दिया है।
डीएम ने कहा जांच के उपरांत दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं इस घटना की जानकारी मिलते ही मेरठ मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने भी इस गड़बड़ी की जांच के लिए टीम गठित कर दी है।
मोदीनगर के रहने वाले गुरु वचन लाल के परिवार के लोगों का कहना है कि जब घटना की जानकारी मेडिकल कॉलेज स्टाफ को दी तो, उन्होंने अपनी गलती मानने की जगह उल्टा पीड़ित परिवार को धमकाना शुरू कर दिया और कहा कि जब शव खोलने से मना किया था तो खोला क्यों? मेडिकल कॉलेज की लापरवाही और उसके बाद धमकाने की हिमाकत को देखकर यही कहा जा सकता है कि पहले चोरी, फिर सीनाजोरी।

मेरठ मेडिकल कॉलेज में लापरवाही की ये कोई पहली घटना नहीं है। मेडिकल में कभी उपचार न मिलने पर मरीज की तड़प-तड़प कर मौत होती है, तो कभी शव के स्ट्रेचर पर मरीजों को खाना परोसा जाता है। इतना ही नही कोविड जांच के सैंपल लैब से बंदर लेकर भाग जाते हैं। अब तो मेरठ मेडिकल कॉलेज की लापरवाही की हद ही हो गई, कोरोना शवों को ही बदल दिया।
प्रशासन और मेडिकल प्राचार्य भले ही कितनी जांच कमेटी गठित कर दें। जांच रिपोर्ट के बाद गाज तो छोटी ही मछली पर गिरती है, बड़ी मछली दाना चट कर साफ निकल जाती है।
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