सोमवार, 23 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. एएचएसडी ने कहा, कोविड 19 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने की संशोधित नीति पर पुनर्विचार हो
Written By
Last Modified: सोमवार, 11 मई 2020 (18:31 IST)

एएचएसडी ने कहा, कोविड 19 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने की संशोधित नीति पर पुनर्विचार हो

Corona virus | एएचएसडी ने कहा, कोविड 19 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने की संशोधित नीति पर पुनर्विचार हो
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों की संस्था ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से कोविड-19 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने की संशोधित नीति पर पुनर्विचार करने की मांग की है जिसे आईसीएमआर के परामर्श से तैयार किया गया है।
 
एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स (एएचएसडी) ने रेखांकित किया कि पूरे देश में कोविड-19 की अलग-अलग प्रजाति (स्ट्रेन) सक्रिय हैं और इस की घातकता रोगी को पहले से हुए रोग से भी निर्धारित होती है। इस लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशानिर्देशों का पूरे देश में एक समान लागू नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि फरवरी में वायरस का वर्गीकरण करने वाली अंतरराष्ट्रीय समिति ने नए वायरस का नाम सिवियर एक्यूट रेस्परटॉरी सिंड्रोम कोरोना वायरस (सार्स-कोव-2) रखने की घोषणा की थी।
 
संगठन ने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली में बड़े पैमाने पर नए मामले आ रहे हैं और बिस्तर एवं उपकरणों की कमी है जबकि अस्पताल में भर्ती होने की दर भी अधिक है। ऐसे में आईसीएमआर ने हाल में अस्पताल से छुट्टी देने के नियम में बदलाव किया और वहां कोई और विकल्प नहीं होने की वजह से पृथक-वास का परामर्श लागू हो सकता है।
 
एएचएसडी ने 10 मई को लिखे पत्र में कहा कि लेकिन पश्चिम बंगाल और कई अन्य राज्यों में संक्रमण के भौगोलिक विस्तार का अबतक पता नहीं चला है, ऐसे में कोविड-19 से संक्रमण की पुष्टि होने वाले मरीज के नमूनों की जांच के बिना छुट्टी देना सही विकल्प नहीं होगा। बिना लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण फैलाने की क्षमता है।
 
संगठन ने केंद्र सरकार ने आईसीएमआर के साथ मिलकर राज्य विशेष के आधार पर प्रावधान करने का आह्वान किया। पत्र में रेखांकित किया गया कि कोविड-19 को लेकर सामाजिक भ्रांति है और ऐसे में केवल बुखार नहीं होने के आधार पर मरीज को अस्पताल से छुट्टी दी गई तो उसके पड़ोसी इलाके में उसे स्वीकार नहीं करेंगे।
 
एएचएसडी ने कहा कि यह अनुभव है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति जिसमें हल्के लक्षण हैं या बिना लक्षण के हैं उन्हें परिवार और करीबी रिश्तेदारों द्वारा घर में ही पृथक रखने को लेकर उत्साहित नहीं हैं।
 
संगठन के महासचिव मानस गुमता द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया कि केंद्र द्वारा प्रत्एक जिले में कोरोना योद्धाओं के लिए आरटी-पीसीआर जांच के लिए प्रयोगशाला चिह्नित की जानी चाहिए और क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम को बाधित किए बिना नए उपकरणों की आपूर्ति की जानी चाहिए।
 
उल्लेखनीय है कि गत शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 मरीजों को अस्पतालों से छुट्टी देने की संशोधित नीति की घोषणा की। इसके मुताबिक गंभीर हालत में भर्ती संक्रमितों को रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन पॉलीमेरेस चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी। हल्के या बिना लक्षण वाले लोगों के लिए ऐसी जांच की जरूरत नहीं होगी। (भाषा)
ये भी पढ़ें
COVID-19 : काम शुरू होने से 380 श्रमिकों ने त्यागी घर वापसी की योजना