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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 20 मई 2024 (15:45 IST)

Buddha purnima 2024: भगवान बुद्ध के बारे में 10 रोचक जानकारी

गौतम बुद्ध में जानें 10 रोचक बातें...

budhha Jayanti 2022
Highlights : 
 
* भगवान गौतम बुद्ध कौन थे।  
* बुद्ध का जन्म कहां हुआ था।
* गौतम बुद्ध की जयंती के बारे में जानें।  
Buddhas life : वर्ष 2024 में बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाई जा रही है। भगवान गौतम बुद्ध का जीवन दर्शन आज भी बहुत प्रासंगिक है। हर साल वैशाख मास की शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा, बुद्ध जयंती और वैशाख पूर्णिमा कहते हैं।

आइए यहां जानते हैं भगवान गौतम बुद्ध  में जानें 10 रोचक बातें... 
 
- गौतम बुद्ध भारत में जन्मे एक महानतम व्यक्ति थे। वे बौद्ध धर्म के संस्थापक भी हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के अनुसार महात्मा बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं। 
 
- ईसा से 563 साल पहले कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी के यहां बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ। पिता का नाम शुद्धोदन था।  उनके जन्म के 7 दिन बाद ही मां का देहांत हो गया। 
 
- उनका लालन-पालन उनकी मौसी गौतमी ने किया। उनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था। और उन्हें गौतम बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है। 
 
- बुद्ध के जन्म के बाद एक भविष्यकर्ता ने राजा शुद्धोदन से कहा था कि यह बालक चक्रवर्ती सम्राट बनेगा, किन्तु यदि वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया तो इसे बुद्ध होने से कोई नहीं रोक सकता और यह संसार में प्रसिद्ध रहेंगे।
 
सिद्धार्थ की शिक्षा-दीक्षा गुरु विश्वामित्र के पास  हुई थी और उन्होंने वेद, उपनिषद्‌, युद्ध-विद्या, कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हांकने जैसी कई शिक्षाएं ग्रहण की और राजकाज के कार्य में भी उनकी बराबरी कोई नहीं कर पाता था। 
 
- बचपन से मन में करुणा होने के कारण उनसे किसी भी प्राणी का दुःख नहीं देखा जाता था। जैसे कि घुड़दौड़ के समय जब घोड़े दौड़ते हुए थक जाते और उनके मुंह से झाग निकलता तो सिद्धार्थ वहीं रोक देते और खुद हार जीती ही हार जाते। 

 
- उनका विवाह 16 वर्ष की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ हुआ था और भोग-विलास का भरपूर प्रबंध होने पर भी वे संसार से बंधकर नहीं रख सकेन और एक रात अपनी पत्नी और बेटे राहुल के मस्तक पर हाथ रखकर महल से बाहर निकल गए और अपने राजाशाही वस्त्र उतार कर, संन्यास  धारण करके अपने जीवनपर्यंत धम्म का प्रचार किया।
 
- हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव मनाया जाता है । इसी दिन उनकी जयंती और निर्वाण दिवस दोनों ही होता है। 
 
- उनके महापरिनिर्वाण के बारे में कहा जाता है कि सुजाता नाम की एक महिला ने वटवृक्ष से मन्नत मांगी कि यदि मुझे पुत्र हुआ तो खीर का भोग लगाऊंगी। और जब उसकी मन्नत पूरी हो गई, तो उसने गाय के दूध की खीर लेकर वटवृक्ष के नीचे बैठे तपस्या कर रहे सिद्धार्थ को बड़े ही आदर और सत्कार के साथ वह खीर भेंट की और उनसे कहा कि जिस तरह मेरी मनोकामना पूर्ण हुई, यदि आप भी किसी मनोकामना से यहां बैठे हो तो आपकी भी वह कामना अवश्य ही पूर्ण होगी।
 
- मान्यतानुसार इसी दिन उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। अतः बैसाख या वैशाख माह की पूर्णिमा को ही बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। 
 
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