धूम धाम फिल्म अपने नाम के अनुरूप है। खूब धूम धाम है इसमें। दरअसल ऐसी फिल्में ओटीटी पर ही रिलीज होनी चाहिए क्योंकि लोग कई बार हल्की-फुल्की फिल्में ढूंढते रहते हैं जो दो घंटे से भी कम समय में खत्म हो जाए। जिसमें फालतू का तनाव न हो।
धूम धाम की कहानी में थोड़ा पुट रोमांस का है, थोड़ा थ्रिल का है, थोड़ा क्राइम का है और कुछ संवाद और सीन हंसाते भी हैं। लीड एक्टर्स यामी गौतम और प्रतीक गांधी के दिलचस्प किरदार और एक्टिंग भी दर्शकों को बांधे रखते हैं।
कहानी एक रात की है। वीर पोद्दार और कोयल चड्ढा की अरेंज मैरिज हुई है और फाइव स्टार होटल में वे अपनी वेडिंग नाइट के लिए जाते हैं। दरवाजे पर घंटी बजती है। दरवाजा खुलते ही दो लोग अंदर घुसे चले आते हैं और बंदूक तान कर सवाल पूछते हैं चार्ली कहां है, जिसके बारे में दोनों को कोई जानकारी नहीं है।
बात जान पर बन आती है और पूरी रात चार्ली को खोजने में जाती है। डॉट कनेक्ट करते हुए वे आगे बढ़ते हैं। लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है। पीछे गुंडे पड़े हैं। गोलियां चल रही है। पीछा हो रहा है और यह सब करते-करते सुबह हो जाती है। चार्ली क्या है और कैसे ये कपल इसके बारे में पता लगाता है ये कहानी का रहस्य है।
कहानी में भले बहुत ज्यादा नवीनता न हो, लेकिन स्क्रीनप्ले अच्छा लिखा गया है। वीर और कोयल की शख्सियत बिलकुल अलग है, पहले तो वे एक-दूजे को नापसंद करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बात आगे बढ़ती है दोनों एक-दूसरे को चाहने लगते हैं। ये बात को राइटर ने अच्छी तरह से डेवलप किया है। इसमें रोमांस भी है और कॉमेडी भी।
कुछ मजेदार कैरेक्टर जोड़े गए हैं जैसे कोयल की दोस्त जो नाइट क्लब में डीजे है। कोयल का एक्स जिसे प्रतीक बब्बर ने अदा किया है और इस छोटे सीक्वेंस में कुछ मजेदार संवाद सुनने को मिलते हैं।
बिल्डिंग का चौकीदार है जो अरेंज मैरिज के फायदे बताता है। सनी नामक पोल डांसर जिसके बदले में वीर महिलाओं के बीच पोल डांस करता है। बीच-बीच में इस तरह के किरदार आकर मनोरंजन करते रहते हैं।
पुलिस और बदमाशों से लुकाछिपी भी जोरदार है। कार और बाइक से पीछा करने वाले सीन भी अच्छे लगते हैं। क्राइम एंगल को फनी तरह से निर्देशक ने दिखाया है और तनाव के बजाय हास्य पर ज्यादा जोर दिया है। ये संतुलित होने के कारण दर्शकों पर असर करता है।
निर्देशक के तौर पर ऋषभ सेठ एक ठीक कहानी को अपने प्रस्तुतिकरण से देखने लायक बना देते हैं। उन्होंने माहौल हल्का-फुल्का रखा है। अरेंज मैरिज, लव मैरिज, लड़की की आजादी, रिश्तों को लेकर आधुनिक सोच पर ज्ञान भी डाला है, लेकिन बड़ी सहजता के साथ।
फिल्म के संवाद उम्दा हैं और प्रोडक्शन इस तरह का है जो आंखों को सुकून देता है। रात के मुंबई को खूबसूरती के साथ फिल्माया गया है। फिल्म का तकनीकी पक्ष मजबूत है।
जैसा पहले कहा जा चुका है लीड एक्टर्स की एक्टिंग बढ़िया है। यामी गौतम जिनका किरदार शुरू में छुईमुई सा है जो बाद में आग का गोला बन जाती हैं ने अपने रोल को बिंदास तरीके से जिया है।
प्रतीक गांधी इस तरह का रोल पहले भी निभा चुके हैं। रूल फॉलो करने वाला, कई तरह के फोबिया से ग्रस्त, संकोची और डरपोक व्यक्ति के किरदार को प्रतीक बारीकी से जीते हैं।
प्रतीक बब्बर छोटे से रोल में असर छोड़ते हैं। सपोर्टिंग कास्ट अपने-अपने रोल को यादगार बनाती है और निर्देशक ने इन्हें निखरने का पर्याप्त अवसर भी दिया है।
कुल मिला कर धूम धाम जैसी फिल्में ओटीटी दर्शकों की पसंद के अनुरूप है। दो घंटे मनोरंजक तरीके से पास हो जाते हैं।
निर्देशक : ऋषभ सेठ
फिल्म : DHOOM DHAAM (2025)
गीतकार : सिद्धांत कौशल
संगीतकार : शोर पुलिस
कलाकार : प्रतीक गांधी, यामी गौतम, एजाज खान, प्रतीक बब्बर, मुश्ताक खान, कविन दवे
ओटीटी: नेटफ्लिक्स