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Last Updated : सोमवार, 21 फ़रवरी 2022 (18:20 IST)

बेस्टसेलर रिव्यू: बेस्ट का 'बी' भी नहीं

Bestseller webseries review in hindi  बेस्टसेलर रिव्यू: बेस्ट का 'बी' भी नहीं - Bestseller webseries review in hindi starring shruti hasan, mithun, Samay Tamrakar, Gauhar khan
Bestseller webseries review in Hindi : बेस्टसेलर की कहानी लिखते समय शुरुआत, मध्य और अंत तो सोच लिया गया, लेकिन इनको कनेक्ट करने के लिए जो दमदार स्क्रीनप्ले चाहिए था वो इस सीरिज से नदारद है। इसलिए जो भी घटनाएं आप देखते हैं वो लेखकों ने अपनी सहूलियत से लिखी है और उस पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। बेस्टसेलर सीरिज 8 एपिसोड में फैली है और औसतन हर एपिसोड 35 मिनट का है। 
 
ताहिर (अर्जन बाजवा) नामक एक अक्खड़ लेखक ने एक किताब लिखने के बल पर नाम कमाया है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वह कुछ नया नहीं लिख पाया। ताहिर की मुलाकात मीतू (श्रुति हासन) नामक एक फैन से होती है जो अपनी कहानी ताहिर को दिखाती है। ताहिर प्रभावित होकर मीतू को अपना असिस्टेंट बना लेता है। ताहिर की पत्नी मयंका कपूर (गौहर खान) एक एड फिल्ममेकर है। अपनी कंपनी में वह युवा पार्थ आचार्य (सत्यजीत दुबे) को इंटर्न रखती है। ताहिर और मयंका की जिंदगी में इन असिस्टेंट को रखने के बाद भूचाल आ जाता है। 
 
इस सीरिज में इतनी अविश्सनीय बातें और गलतियां हैं कि जिक्र नहीं किया जा सकता है। लेखकों ने जो सोचा उस पर यकीन किया और लिख डाला, यह सोचे बगैर की कि दर्शक इन बातों पर विश्वास करेंगे या नहीं। 
 
जिस तरह से ताहिर की लोकप्रियता एक ही किताब के बाद दिखाई गई है, वैसी लोकप्रियता भारत में लेखकों बहुत ही कम मिलती है। फिल्म सितारों जैसा दर्जा तो मिल ही नहीं सकता, लेकिन यहां पर वन वंडर बुक लेखक ताहिर को ऐसे दिखाया गया है मानो वे सुपरस्टार हैं। ताहिर क्यों इतना अक्खड़ है इसका जवाब भी नहीं मिलता। 
 
तीन एपिसोड बाद यह सीरिज थ्रिलर का रूप ले लेती है। जैसे ही सीआईडी ऑफिसर लोकेश प्रामाणिक (मिथुन चक्रवर्ती) की एंट्री होती है, सीरिज धड़ाम से औंधे मुंह गिर जाती है। दो युवा अपना काम इतनी सफाई से करते हैं कि बड़े बड़े अपराधी भी नहीं कर पाएं। उनका हर दांव सफल रहता है। 
 
'हैक' शब्द ऐसा है जिसकी आड़ में लेखक अपनी कमियां छिपा लेते हैं। यहां पर भी कई बार ऐसा किया गया है। फाइव स्टार होटल में कौन अजीबोंगरीब ड्रेस पहन कर घुस सकता है और मारपीट कर बाहर निकल सकता है। मुंबई जैसे शहर में कार पार्किंग में कोई किसी को जला सकता है? क्या एक इंसान भी वहां नहीं फटकता? 
 
क्लाइमैक्स तो इतनी फिल्मी है कि अब बॉलीवुड वाले भी इतने फिल्मी नहीं रहे। ऐसा लगता है कि कोई सत्तर के दशक की सी-ग्रेड मूवी देख रहे हों। 
 
लेखकों ने सस्पेंस को बीच सीरिज में ही खोल दिया। सस्पेंस जब खुल जाता है तो दर्शकों को पकड़ कर रखना बहुत कठिन चुनौती होती है और इसमें ये फेल रहे हैं। सीआईडी ऑफिसर बक-बक ज्यादा और काम कम करते हैं। ऑफिसर लोकेश की तारीफ में तो खूब फुटेज खर्च किए गए हैं, लेकिन उसका काम इस बात पर यकीन कम दिलाता है। ऐसी कई बातें और घटनाएं हैं जो सीरिज की कमजोर लिखवाट का उदाहरण है।  
 
निर्देशक मुकुल अभ्यंकर ने सीरिज को ऐसा बनाया है मानो निर्देशक नाम की कोई चीज ही न हो। कहीं उनका नियंत्रण नजर नहीं आता। 
 
अभिनय के मामले में श्रुति हासन प्रभावित करती हैं, वैसे उनके किरदार में अभिनय की काफी गुंजाइश थी जिसका वे पूरा उपयोग नहीं कर पाईं। अर्जन बाजवा का किरदार ठीक से नहीं लिखा गया है, लेकिन उनकी एक्टिंग अच्छी रही है। 
 
गौहर खान एक जैसे एक्सप्रेशन से ही काम चलाती है। सत्यजीत दुबे अपने किरदार को जरा भी विश्वसनीय नहीं बना पाए। मिथुन चक्रवर्ती का ओटीटी डेब्यू बुरा रहा। वे कमजोर लगे। अजीब सी विग और ड्रेसेस पहना कर उनके किरदार का कबाड़ा कर दिया। 
 
कुछ संवाद अच्छे हैं। सिनेमाटोग्राफी अच्छी है। एडिटर ने पूरी कोशिश की है कि जो शूट हुआ है उस पर वह अच्छे से अच्छा काम कर सके, लेकिन वह भी एक हद तक ही जा पाया। 
 
कुल मिलाकर बेस्टसेलर में बेस्ट जैसा कुछ भी नहीं है। 
  • निर्देशक : मुकुल अभ्यंकर 
  • कलाकार : श्रुति हासन, मिथुन चक्रवर्ती, गौहर खान, सत्यजीत दुबे, अर्जन बाजवा 
  • कुल एपिसोड : 8 (हर एपिसोड लगभग 35 मिनट का)
  • ओटीटी प्लेटफॉर्म : अमेजन प्राइम 
  • रेटिंग : 1/5 
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