'जुग जुग जियो' की शूटिंग के पहले दिन नर्वस थीं नीतू कपूर
मैं काम करती हूं। यही मेरा प्रोफेशन है और काम ना करूं तो क्या करूं, मैं इस उम्र में बिल्कुल अकेली हूं। मेरे दोनों बच्चों की शादी हो गई है। दोनों अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त है। क्या मैं घर में बैठी सोचती रहूं मेरी जिंदगी का क्या हुआ और कैसे मेरे पति अब मेरे साथ नहीं है। इतना सब सोचने के बजाय तो सबसे अच्छी बात यह है कि उठो और काम पर निकल लो। काम करने से आप बिजी भी रहते हैं और ख्याल भी अच्छे अच्छे आते हैं।
यह कहना है नीतू सिंह का फिल्म 'जुग जुग जियो' में एक बड़ी दमदार भूमिका में नजर आ रही हैं। नीतू सिंह की एक अपनी इमेज रही है। शायद ही किसी पीढ़ी में नीतू सिंह के मुरीद ना रहे हो। अब जब वह एक बार फिर बड़े बैनर के साथ लोगों के सामने आ रही है तो उम्मीदें लगाई जाना लाजमी है।
नीतू अपने दिल की बातें पत्रकारों से शेयर करे हुए आगे बताती हैं, मुझे अभी भी याद है जब मेरा पहला दिन था शूट का मैं इतनी ज्यादा नर्वस थी कि मुझसे काम नहीं हो रहा था। मेरे कुछ एक सीन हुए और फिर पेंडेमिक शुरू हो गया तो एक तरह से मैंने भगवान का शुक्रिया अदा किया कि मुझे ब्रेक मिल गया। इस दौरान में कुछ रियालिटी शोज में भी गई और वहां पर जाते-जाते मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ा।
अच्छी बात है कि तब तक जुग जुग जियो में मेरे जो महत्वपूर्ण सीन थे वह शूट नहीं किए गए थे। जब कोविड खत्म हुआ और लॉकडाउन ओपन हुआ हम लोगों ने शूट शुरू किया और उसके बाद फिर हमारे खासकर मेरे संजीदा वाले सीन शूट किए गए। हालांकि इस बीच में निर्देशक राज हमेशा डराते रहता था कि मैम देखो 2 दिन बाद हम यह वाला सीन करेंगे और फलाना सीन करेंगे। में बड़ी डर जाती थी। लेकिन अब जब यह सीन हुए हैं तो मुझे अच्छा लग रहा है। हमने पुणे में भी कुछ सीन किए, वहीं कुछ शूट हमने मुंबई में भी की है।
आपको अपने बचपन की कोई फिल्म शूट याद आती है।
मैंने तो बहुत पहले से काम करना शुरू कर दिया था। जब मैं युवा हुआ करती थी तब तो समय का बिल्कुल ध्यान ही नहीं दिया करते थे, कभी भी जा रहे हैं पूरा दिन शूट कर रहे हैं, फिर लौट रहे हैं। शूट करने के लिए सुबह पहुंच गए फिर देर रात को घर पर लौटे हैं। लेकिन उन दिनों में बड़ी मस्ती से हम लोग काम क्या करते थे। अब वो सारी सुविधाएं हैं। लेकिन पहले जैसा काम नहीं कर पाती। डांस दीवाने की जब शूट होती है तो मैं बड़ी दुखी हो जाती हूं। सुबह 7 बजे पहुंच जाती हूं। दिनभर शूट होता है। रात को दो बजे लौटती हूं फिर तीन बजे खाना खाते और फिर मैं अगले दो दिन तक कुछ नहीं सुनना और बोलना चाहती हूं। मैं सिर्फ आराम करती हूं।
उस समय की शूटिंग कैसी होती थीं?
सुविधाएं तो हमें पता ही नहीं थी उस समय। कोई विकल्प हो तो हम सोचें। आज जब हम एसी में शूट करते हैं, हमें वैनिटी वैन मिलती है अब सोचो तो महसूस होता कि अरे हमने बड़े विकट समय में शूटिंग किया है। उस समय तो सड़क पर बैठकर मेकअप हो जाया करता था। साड़ियां पकड़ के हम लोग घेरा बना लिया करते थे। उसके अंदर कपड़े बदल लिया करते थे। बाथरूम जाना हो तो इधर-उधर किसी से पूछ कर बाथरूम चले जाया करते थे। और एसी तो दूर पंखा भी नहीं मिलता था। सड़क के किनारे पर बैठकर कोई पंखा झाल रहा होता था ताकि और मेकअप खराब ना हो। अब जब देखिए बाप रे इतनी सारी सुविधाएं मिलती हैं।
आपकी इस उम्र में भी इतनी मासूमियत की वजह क्या है?
यह तो मैं नहीं जानती लेकिन यहां ऋषि जी मुझे हमेशा कहते थे कि तुम बहुत नॉर्मल हो। तब उनकी गर्लफ्रेंड हुआ करती थी। जो मुझसे कहीं ज्यादा सुंदर हुआ करती थी। उन्होंने उस लड़की को छोड़ दिया। मैंने उनसे पूछा, ऐसा क्यों किया? तब ऋषिजी ने बताया कि बाकी की लड़कियां सिर्फ अपने बारे में ही सोचती रहती हैं। तुम बहुत नार्मल हो। इसे तुम्हारे साथ शादी कर ली मैंने।
आपका करियर बहुत अच्छा चल रहा था। ऐसे में अपने शादी के बाद करियर को एकदम विराम कैसे किया आपने?
जब आप किसी को प्यार करते हैं तो आप सारा समय उसको देना चाहते हैं। आपको उस इंसान से प्यार करना होता है। बाकी चीज अपने आप हो जाती है। मैं समझती हूं कि अगर आप अपने पति से प्यार करते हैं तो आपको उसके घरवालों से भी प्यार होगा। अगर घरवालों से प्यार नहीं हुआ। इसका मतलब पति से भी प्यार नहीं करती।
आज के समय में ऋषि जी की बहन रीमा मेरी बेस्ट फ्रेंड है। मेरी भतीजी नताशा मेरी बहुत ही करीबी दोस्त से ज्यादा प्यार मुझे करती हैं ये बोल सकती हूं। जहां तक करियर का सवाल है, मेरे हिसाब से आपको सिर्फ उस शख्स को प्यार करना होता है। आपको सिर्फ उस परिवार को भरपूर प्यार देना होता है। हर सदस्य से अपने बहुत गहरे रिश्ते बनाने होते हैं। बाकी कोई चीज मायने नहीं रखती। मै सिर्फ 14 साल की थी जब ऋषि जी मेरी जिंदगी में आए और फिर वह ऐसा कुछ हो गया जैसे वह मेरे खुद के ही शख्स है। मैं हर वह चीज कर देना चाहती थी ताकी वो खुश रहें वह स्वस्थ रहें। लेकिन शायद भगवान को कुछ और ही मंजूर था।
हमेशा सुनने में आया कि आपकी कृष्णा जी से बहुत अच्छी दोस्ती हुआ करती थी।
हां, मुझे उनसे बहुत ज्यादा प्यार था। और सच्चाई यह है कि आज मैं जितना मिस ऋषि जी को करती हूं, उससे कहीं गुना ज्यादा मै मां को करती हूं। मैं उन्हें बहुत इज्जत दिया करती थी लेकिन हमारी बातें कैसे होती थी जैसे कि मैं फोन लगाती थी और कहती थी कि तुम्हारे बेटे ने मेरे साथ यह कर दिया। वह बोलती थी तुम्हारा पति ऐसा ही है। मेरा बेटा तो ठीक है अब तुमने शादी की है तो तुम ही देखो! ऋषि जी को भी मैं मिस करती हूं ऐसा नहीं है क्योंकि पहले एक साथ थे। हम बातें करते थे कि चलो आज लंच कहीं कर लेते हैं। चलो कहीं घूम आते हैं, कभी फिल्म देखने चले जाते हैं। अब एक खालीपन जरूर आ जाता है।
आलिया के बारे में क्या कहेंगे
आलिया बहुत ही प्यारी सी लड़की है। कहीं कोई दूषित ख्याल उनके दिमाग में नहीं आता है एकदम सीधी-सादी और पवित्र लगती है। मुझे ऐसा लगता है कि सास और बहू के रिश्ते में उतार चढ़ाव आना या ना आना यह सब निर्भर करता है कि बेटा कैसा है। पहले तो जिंदगी में आपने अपनी मां से बहुत प्यार किया। आपने शादी हुई और अचानक से जोरू के गुलाम बन गए तो फिर मां को तकलीफ होने लग जाती है तो संतुलन बनाए रखिए मां को भी उतना ही प्यार तुझे जितना बीवी को समय दे रहे हैं। तो तकलीफ में नहीं आती है फिर।