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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 19 अक्टूबर 2024 (15:35 IST)

Bhai Dooj 2024: भाई दूज कब है, जानिए तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

Bhai Dooj 2024:  भाई दूज कब है, जानिए तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त - Bhai dooj ka shubh muhurat ate and time 2024
Bhai dooj date and time: रक्षा बंधन पर भाई अपनी बहन को बुलाता है और भाई दूज पर बहन अपने भाई को अपने घर बुलाकर टीका लगाती हैं और भोजन कराकर भाई के लम्बे और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करती हैं। इस दौरान भाई अपनी बहनों को उपहार देता। भैय्या दूज को भाऊ बीज, भाई दूज, भात्र द्वितीया और भतरु द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज तिलक एवं भोजन मुहूर्त: अपराह्न 01:10 से 03:22 के बीच रहेगा।
द्वितीया तिथि प्रारम्भ- 02 नवम्बर 2024 को रात्रि 08:21 बजे।
द्वितीया तिथि समाप्त- 03 नवम्बर 2024 को रात्रि 10:05 बजे।
उदयातिथि के अनुसार भाई दूज का त्योहार 03 नवंबर 2024 को रहेगा।
 
भाई दूज तिलक एवं भोजन मुहूर्त: अपराह्न 01:10 से 03:22 के बीच।
 
भाई दूज का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर 2024:
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:42 से 12:26 के बीच।
विजय मुहूर्त : दोपहर 01:54 से 02:38 के बीच।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:34 से 06:00 के बीच।
अमृत काल: रात्रि 08:45 से 10:30 के बीच।
bhai dooj
कैसे मनाएं भाई दूज का पर्व?
  • इस दिन बहनें प्रात: स्नान कर, अपने ईष्ट देव और विष्णु एवं गणेशजी का व्रत-पूजन करें।
  • फिर चावल के आटे से चौक तैयार करने के बाद इस चौक पर भाई को बैठाएं और उनके हाथों की पूजा करें।
  • फिर भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं, उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें।
  • फिर हाथों में कलवा बांधे। कहीं-कहीं पर इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर कलाइयों में कलावा बांधती हैं।
  • इसके बाद माखन-मिश्री से भाई का मुंह मीठा करें। फिर भोजन कराएं। भोजन के बाद पान खिलाएं।
  • इस दिन बहुत से भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं और उन्हें कुछ उपहार भी भेंट करते हैं।
  • अंत में संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीये का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें।
  • मान्यता है कि इस दिन बहनें आसमान में उड़ती हुई चील देखकर अपने भाईयों की लंबी आयु के लिए जो प्रार्थना करती हैं, वह पूर्ण हो जाती है और साथ ही वह अखंड सौभाग्यवती रहती हैं।
  • इसके साथ ही इस दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान कर इसके तट पर यम और यमुना का पूजन करते हैं जिससे दोनों ही अकाल मृत्यु से छुटकारा पाकर सुखपूर्वक जीवनयापन करते हैं।
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