इंग्लैंड में खेले जा रहे वर्ल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट में भारत की जीत का सिलसिला जारी है। इस विजय रथ को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पहले बारिश और फिर अफगानिस्तान ने कुछ स्पीड ब्रेकर लगाने की कोशिश जरूर की, लेकिन टीम इंडिया के लड़के हर बाधा को पार कर गए।
गुरुवार को ओल्ड ट्रैफर्ड में पहले बल्लेबाजर कर रही भारतीय टीम वेस्ट इंडीज के गेंदबाजों के सामने रन जुटाने के लिए जूझती दिखी, लेकिन बाद में मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह और युजवेंद्र चहल की घातक गेंदबाजी के दम पर भारत ने वेस्ट इंडीज को 143 रन से आगे नहीं बढ़ने दिया और मुकाबला 125 रनों से जीत लिया।
कप्तान विराट कोहली ने इस मैच में 82 गेंदों पर 72 रनों की मजबूत पारी खेली और मौजूदा वर्ल्ड कप में अपना चौथा अर्द्धशतक बनाया। कोहली के अलावा केएल राहुल ने 48 रन, हार्दिक पांड्या ने 46 रन और विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी ने 56 रनों की नाबाद पारी खेली।
कोहली को उनकी पारी के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया। लेकिन कुछ लोग इस फैसले से खुश नजर नहीं आए और उन्होंने सोशल मीडिया पर इस फैसले की आलोचना करते हुए दलील दी कि मैच में गेंदबाजों की भूमिका को अहमियत नहीं दी गई और इस मुकाबले में प्लेयर ऑफ द मैच के असली हकदार 4 विकेट चटकाने वाले मोहम्मद शमी थे।
मोहम्मद शमी स्विंग गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार के चोटिल होने के बाद टीम में आए थे और अफगानिस्तान के खिलाफ उन्हें पहला मौका मिला। शमी ने इस मौके को हाथों हाथ लिया, लेकिन आखिरी ओवर में हैट्रिक के साथ 4 ओवर में 4 विकेट चटकाने के बावजूद वो प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब नहीं पा सके। इस मैच में प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया जसप्रीत बुमराह को। बुमराह ने 39 रन देकर 2 विकेट चटकाए थे।
लेकिन सिर्फ आंकड़े बुमराह के शानदार प्रदर्शन की कहानी बयां नहीं करते। दुनिया के नंबर एक गेंदबाज बुमराह ने उस वक्त मेडन ओवर में रहमतशाह और हशमुतुल्लाह शाहिदी के विकेट चटकाए, जब अफगानिस्तान हावी होता नजर आ रहा था। यही नहीं 49वें ओवर में जब अफगानिस्तान को जीत के लिए 12 गेंदों पर 21 रनों की दरकार थी तो बुमराह ने 5 यॉर्कर डालकर बल्लेबाजों पर भारी दबाव बनाया।
नतीजा ये हुआ कि जब आखिरी छह गेंदें डालने की जिम्मेदारी शमी को मिली तो उनके सामने बचाने के लिए 16 रन थे। लेकिन एक चौका खाने के बाद शमी ने वो करिश्मा कर दिखाया जो विश्व कप में 32 साल से कोई भारतीय नहीं कर सका था। मोहम्मद नबी को आउट करने के बाद उन्होंने अगले दो बल्लेबाजों के भी विकेट झटके और हैट्रिक पूरी की। 32 साल पहले 1987 के विश्व कप में चेतन शर्मा ने न्यूजीलैंड के खिलाफ हैट्रिक बनाई थी।
ओल्ड ट्रैफर्ड में भी शमी मैन ऑफ द मैच से चूक गए। शमी ने 269 रनों का पीछा कर रही वेस्ट इंडीज टीम के सबसे खतरनाक बल्लेबाज क्रिस गेल को आउट कर टीम इंडिया की आधी चिंता दूर कर दी। इसके बाद शाई होप को अपनी उस गेंद का शिकार बनाया, जिसका होप को कुछ पता ही नहीं चला। होप का बल्ला जमीन पर ही रखा रह गया और गेंद उनका विकेट ले उड़ी।
फिर शमी ने टीम के बेहतरीन मध्यक्रम के बल्लेबाज शिमरोन हेटमायर को आउट कर इंडीज की उम्मीदों को बड़ा झटका दिया। शमी ने अपना चौथा शिकार ओशेन थॉमस को बनाया और पांचवीं जीत भारत की झोली में डाल दी।
क्रिकेट समीक्षक अयाज मेमन का भी मानना है कि मोहम्मद शमी लगातार दूसरी बार बदकिस्मत रहे और मैन ऑफ द मैच से चूक गए। मेमन ने ट्वीट किया, "मोहम्मद शमी लगातार दूसरी बार मैन ऑफ द मैच से चूक गए, लेकिन मेरा मानना है कि वर्ल्ड कप में तीसरे मैच में उन्होंने अपनी जगह पक्की कर ली है। आज भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा"
श्रीजीत मुखर्जी ने ट्वीट किया, "मोहम्मद शमी को मैन ऑफ द मैच पुरस्कार पाने के लिए क्या करना होगा? लगातार दो मैचों में चार-चार विकेट। एक में हैट्रिक और दूसरे मैच में दो अहम विकेट और फिर भी अनदेखी।" एक यूजर सोहिनी ने ट्वीट किया, "विराट मैन ऑफ द मैच हैं। कोई और दिन होता तो मैं बहुत खुश होती, लेकिन आज शमी इसके हकदार थे। क्या आपको ऐसा नहीं लगता?" नेत्रा पारिख ने भी लिखा, "हाँ, मैं भी ऐसा ही सोच रही थी शमी ही इसके हकदार थे।"
@RanjiveMadhu हैंडल से ट्वीट किया गया, "इस मैच के लिए मोहम्मद शमी और विराट कोहली दोनों को मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया जा सकता था। ये नियमों के खिलाफ नहीं है। जब चेतन शर्मा ने वर्ल्ड कप में हैट्रिक ली और उसी मैच में जब सुनील गावस्कर ने वनडे करियर का पहला और इकलौता शतक बनाया तो दोनों को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।"
चेतन शर्मा ने 1987 विश्व कप के इस मैच में न्यूजीलैंड के केन रदरफोर्ड, इयान स्मिथ और इवेन चेटफील्ड तीनों को बोल्ड आउट कर हैट्रिक ली थी। साथ ही गावस्कर ने 88 गेंदों पर 10 चौकों और 3 छक्कों की मदद से 103 रनों की नाबाद पारी खेली थी।