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Last Modified: शुक्रवार, 29 नवंबर 2019 (14:19 IST)

सऊदी और यूएई मोदी राज में भारत के गहरे दोस्त कैसे बने

सऊदी और यूएई मोदी राज में भारत के गहरे दोस्त कैसे बने - How Saudi Arebia and UAE becomes friend of India
टीम बीबीसी हिन्दी
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने भारत में कम से कम 70 अरब डॉलर की रिफाइनरी प्लांट लगाने पर बात की है। यह प्लांट महाराष्ट्र में लगेगा। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान यूएई के दौरे पर हैं।
 
समाचार एजेंसी एपी के अनुसार बुधवार को क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान और अबुधाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन ज़ाएद के बीच इसे लेकर बात हुई है। इससे पहले 44 अरब डॉलर के प्लांट लगाने पर सहमति बनी थी लेकिन अब यह रकम बढ़ गई है।
 
दोनों राजकुमारों की मुलाकात के बाद एक बयान जारी किया गया है। इससे पहले इन दोनों देशों के बीच 2018 में भारत में रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्पलेक्स बनाने की बात हुई थी।
 
इस प्लांट से हर दिन छह लाख बैरल तेल भारत के बाज़ार में सप्लाई करने की योजना है। भारत में लगने वाला यह प्लांट सऊदी की कंपनी अरामको और अबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी का साझा उपक्रम होगा।
 
अक्तूबर के आख़िरी हफ़्ते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर गए थे। पिछले तीन सालों में मोदी का यह तीसरा दौरा था। यह दौरा दोनों देशों की गर्मजोशी और प्रतीकों के लिहाज़ से भी काफ़ी अहम था।
 
पीएम मोदी रियाद में आयोजित हाई प्रोफाइल फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव में शामिल होने गए थे। क्राउन प्रिंस सलमान के लिए बहुत ही महत्वाकांक्षी समिट था और उन्होंने इसमें पीएम मोदी को भी आमंत्रित किया था।
 
लेकिन मोदी का यह दौरा महज किसी समिट में शामिल होने भर नहीं था। मोदी ने भारत की विदेश नीति में मध्य-पूर्व को केंद्र में रखा और पूर्ववर्ती सरकारों से बिल्कुल अलग रुख अपनाया।
 
2014 में सत्ता में आने के बाद से पीएम मोदी ने सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और इसराइल को लेकर काफी आक्रमकता दिखाई। सऊदी और यूएई के साथ मोदी ने आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाया तो दूसरी तरफ़ इसराइल से सुरक्षा संबंधों को मजबूत किया।
 
वहीं पीएम मोदी ने ईरान को उस तरह से तवज्जो नहीं दी जैसी तवज्जो पहले की सरकारों में मिली। मोदी ने शीत युद्ध कालीन विदेश नीति की विरासत को लगभग पीछे छोड़ दिया है। कई विश्लेषकों का मानना है कि वो नेहरूकालीन विदेश नीति और वर्तमान ज़रूरतों के बीच संतुलन बनाकर चल रहे हैं।
 
2014 से अब तक मोदी मध्य-पूर्व के देशों में आठ बार जा चुके हैं। भारत की तेल ज़रूरतें मध्य-पूर्व से ही पूरी होती हैं। इसी साल फ़रवरी में सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान भारत के पहले दौरे पर आए थे।
 
क्राउन प्रिंस ने कहा था कि वो अगले दो सालों में भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि 2024 तक भारत मध्य-पूर्व से तेल ख़रीदारी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। भारत इस इलाक़े में ऊर्जा के क्षेत्र में भी निवेश भी कर रहा है। इंडिया ओएनजीसी विदेश ने अबूधाबी के ऊर्जा सेक्टर में निवेश किया है।
 
मोदी के सत्ता में आने के बाद से सऊदी और यूएई के युवा नेताओं से भारत के संबंध अच्छे हुए हैं। जब भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किया तो पाकिस्तान ने दुनिया भर के मुस्लिम देशों को एकजुट करने की कोशिश की लेकिन उसे सऊदी और यूएई से सबसे ज़्यादा निराशा हुई।
 
पाँच अगस्त को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किया और 24 अगस्त को यूएई ने मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया। इसे लेकर पाकिस्तान की तरफ़ से आपत्ति जताई गई लेकिन यूएई ने एक नहीं सुनी।
 
बाद में पूरे विवाद पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि भारत और यूएई में गहरे व्यापार संबंध हैं और दोनों देशों के एक दूसरे से हित जुड़े हुए हैं।
 
उन्होंने कहा कि इसलिए पूरे मामले को भावुक होकर नहीं देखना चाहिए। दूसरी तरफ़ सऊदी अरब ने भी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जा ख़त्म करने पर पाकिस्तान के दबाव के बाद भी भारत के खिलाफ कुछ नहीं कहा था।
 
यहां तक कि भारत इन दोनों देशों के साथ सुरक्षा संबंध भी बढ़ा रहा है। हालांकि इस मामले में वो पाकिस्तान से काफ़ी क़रीब है। 2018 में भारत ने ओमान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था जिसमें भारत की नौसेना स्ट्रैटिजिक पोर्ट डुक़्म का इस्तेमाल कर सकती है।
 
जब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान भारत आए तो दोनों देशों के बीच ख़ुफ़िया सूचना की साझेदारी पर भी समझौता हुआ था।
 
भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ऑयल-टू-केमिकल्स का 20 फ़ीसदी शेयर सऊदी के अरामको से बेचने का फ़ैसला किया है। मुकेश अंबानी की इस कंपनी का कुल मूल्य 75 अरब डॉलर है। अरामको और रिलायंस की बीच हुई ये डील सबसे बड़ा विदेशी निवेश है।
 
प्रधानमंत्री ने पिछले महीने सऊदी दौरे में अरब न्यू़ज़ को दिए इंटरव्यू में कहा था, ''भारत सऊदी अरब से 18 फ़ीसदी कच्चा तेल आयात करता है। हमारे तेल का दूसरा बड़ा स्रोत सऊदी अरब है। हम विशुद्ध क्रेता-विक्रेता वाले संबंध से आगे बढ़कर रणनीतिक साझेदारी की तरफ़ बढ़ रहे हैं। इसमें तेल और गैस प्रोजेक्ट में सऊदी अरब का निवेश भी शामिल है।''
 
लाखों की संख्या में भारतीय सऊदी में रहते हैं। इसे भी पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों से जोड़ा था। मोदी ने इस पर अरब न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में कहा था, ''लगभग 26 लाख भारतीयों ने सऊदी अरब को अपना दूसरा घर बनाया है। यहां की प्रगति में ये भी अपना योगदान दे रहे हैं। बड़ी संख्या में भारतीय हर साल हज यात्रा पर और कारोबार को लेकर यहां आते हैं। मेरा इनके लिए संदेश है कि आपने सऊदी में जो जगह बनाई है उस पर भारत को गर्व है।''
 
''इनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के कारण सऊदी में भारत का सम्मान बढ़ा है और इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध मज़बूत होने में मदद मिली है। हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि सऊदी से आपका संबंध इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा।'' द्विपक्षीय व्यापार में भारत सऊदी का चौथा सबसे बड़ा साझेदार है। 2017-18 में दोनों देशों के बीच 27।48 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था।
 
2016 में अबूधाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन ज़ाएद अल नाह्यान और यूएई आर्म्ड फ़ोर्सेज के सुप्रीम डेप्युटी कमांडर फ़रवरी 2016 में भारत के दौरे पर आए थे। 2017 में अल नाह्यान भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनकर आए थे। हालांकि यूएई और भारत का संबंध बहुत पुराना है लेकिन मोदी राज में रिश्ते और मधुर हुए हैं।
 
अगस्त 2015 में जब मोदी यूएई के दौरे पर गए तो यह 34 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यूएई दौरा था। पीएम मोदी से पहले 1981 में इंदिरा गांधी यूएई के दौरे पर गई थीं।
 
गल्फ़ न्यूज़ से भारत में यूएई के राजदूत अहमद अल बन्ना ने पिछले साल फ़रवरी में कहा था, ''अगर आप 1982 में जाएं तो यूएई और भारत के बीच व्यापार महज 18।2 करोड़ डॉलर का था। 2016-17 में यह 53 अरब डॉलर पर पहुंच गया। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध नई ऊंचाई पर है और यह कई सेक्टरों के बीच बढ़ा है। आईटी, स्पेस टेक, टूरिज़म, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग और अक्षय ऊर्जा के बीच संबंध बढ़ा है।''
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