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Written By BBC Hindi
Last Updated : सोमवार, 28 नवंबर 2022 (16:36 IST)

गुजरात चुनाव, 2002 के दंगों पर बयानबाज़ी और पाकिस्तान की एंट्री

गुजरात चुनाव, 2002 के दंगों पर बयानबाज़ी और पाकिस्तान की एंट्री - Gujarat elections, rhetoric on 2002 riots and Pakistan's entry
पाकिस्तान ने भारतीय राज्य गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों को लेकर बीजेपी नेता की टिप्पणी पर गहरी चिंता जताई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा है कि ये टिप्पणी वर्ष 2002 के मुस्लिम विरोधी गुजरात दंगों में बीजेपी के नेतृत्व के सीधे शामिल होने की पुष्टि है। पाकिस्तान का कहना है कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगे में 2000 से ज़्यादा मुसलमान मारे गए थे।

बयान में कहा गया है कि गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के हाल के बयान ने लंबे समय से पाकिस्तान के रुख़ की पुष्टि की है। गुजरात दंगों को लेकर लंबे समय से पाकिस्तान ये दावा करता रहा है कि उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली बीजेपी सरकार मुसलमानों की हत्या और हिंसा को भड़काने के लिए ज़िम्मेदार थी।

पाकिस्तान की ओर से जारी बयान में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी का भी ज़िक्र किया गया है। बयान में कहा गया है कि भारत के गृहमंत्री ने हाल ही में ये दावा किया कि गुजरात दंगों के लिए जो ज़िम्मेदार थे, उन्हें सबक सिखाया गया और बीजेपी के निर्णायक क़दम के कारण गुजरात में स्थाई शांति स्थापित हुई।

पाकिस्तान ने कहा- ये काफ़ी निंदनीय है कि मुसलमानों को निशाना बनाकर किया गया मानवता के ख़िलाफ़ अपराध बीजेपी ने सिर्फ़ राजनीतिक फ़ायदे के लिए किया। बयान में कहा गया है- ये खेद की बात है कि गुजरात में हुई त्रासदी के दो दशक बाद भी बीजेपी एक बार फिर अपनी विभाजनकारी नीतियों के तहत इसे भुनाने में लगी है।

पाकिस्तान का कहना है कि बीजेपी सरकार के तहत भारत का अपने अल्पसंख्यकों ख़ासकर मुसलमानों के प्रति व्यवहार भेदभावपूर्ण, अपमानजनक, नफ़रत और हिंसा से भरा है। पाकिस्तान ने बयान में कहा- इस साल जून में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा प्रधानमंत्री और उस समय के गुजरात के सीएम को 2002 के दंगों में उनकी भूमिका को लेकर क्लीन चिट दे दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया। जिनमें से एक याचिका राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की थी। इन याचिकाओं में 2002 के गुजरात दंगों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी। बयान में ये भी कहा गया है कि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री के वर्ष 2014 तक अमेरिका समेत कई देशों में जाने पर पाबंदी लग गई थी और इसकी वजह थी गुजरात के सीएम के रूप में उनका ख़राब मानवाधिकार रिकॉर्ड।

पाकिस्तान ने भारत के क़ानूनी और प्रशासनिक मशीनरी पर भी सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि भारत में बीजेपी-आरएसएस का हिंदुत्व एजेंडा चलाया जा रहा है। अपने बयान में पाकिस्तान ने भारत से अपील की है कि वो गोधरा की घटना और गुजरात दंगों की जांच के लिए एक स्वतंत्र जांच आयोग का गठन करे, ताकि दोषियों को सज़ा मिल सके।

पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और ख़ासकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से इस मामले को गंभीरता से लेने की अपील की है और कहा है कि भारत में इस्लामोफ़ोबिया के मामले पर भी ध्यान दें। पाकिस्तान ने भारत सरकार से कहा है कि वो वहां अल्पसंख्यकों ख़ासकर मुसलमानों के अधिकारों और उनके जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करे।गुजरात में इस समय विधानसभा चुनाव की धूम है। वहां एक और पांच दिसंबर को मतदान होना है, जबकि नतीजे आठ दिसंबर को आएंगे।

क्या कहा था शंकर सिंह वाघेला और अमित शाह ने
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने पिछले दिनों गोधरा का ज़िक्र करते हुए कहा था कि अगर गोधरा हिंसा नहीं होती, तो बीजेपी सत्ता में नहीं आती।

न्यूज़लॉन्ड्री के साथ बातचीत में शंकर सिंह वाघेला ने कहा था- अगर गोधरा में दंगे न होते, डब्बे को जलाया न गया होता और राजधर्म उस समय निभाया गया होता, तो बीजेपी के सत्ता में आने का सवाल ही नहीं था। गुजरात में रक्षक ही भक्षक बन गए।

पिछले दिनों बीबीसी के साथ बातचीत में भी शंकर सिंह वाघेला ने कहा था कि 2002 के दंगों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते थे, लेकिन आडवाणी अड़ गए थे।

वाघेला ने कहा था, अप्रैल 2002 में गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। इस बैठक में वाजपेयी ने मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटाने का मन बना लिया था लेकिन आडवाणी तैयार नहीं हुए थे। 2016 में आडवाणी जी की पत्नी कमला जी का निधन हुआ तो मैं उनसे मिलने गया था। उनसे मैंने कहा कि मोदी को गोवा में आपने ही बचाया था और आपकी हालत पार्टी में क्या हो गई? आडवाणी कुछ नहीं बोले और रोने लगे।

दूसरी ओर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खेड़ा में एक चुनावी रैली के दौरान वर्ष 2002 के गुजरात दंगों का ज़िक्र किया था। उन्होंने उस रैली में कहा था- 2002 में एक बार नरेंद्र मोदी के समय में दंगे करने की कोशिश की, तो ऐसा सबक सिखाया कि 2002 के बाद 2022 आ गया, कोई गर्दन नहीं उठाता।

दंगे करने वाले गुजरात के बाहर चले गए। भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में शांति स्थापित की। भाजपा ने कर्फ़्यू रहित प्रदेश बनाने का काम किया। कांग्रेस थी तो अक्सर सांप्रदायिक दंगे हुआ करते थे। 27 फ़रवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगी और 59 कारसेवकों की मौत हो गई। इसके बाद गुजरात के कई इलाक़ों में भीषण दंगा फैल गया।

गोधरा में भीड़ ने हिंसक हमले के बाद ट्रेन के कोच एस 6 में आग लगा दी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी।मरने वालों में ज़्यादातर अयोध्या से अहमदाबाद लौट रहे कारसेवक थे। इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे।सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, गुजरात में हुए 2002 दंगे में 790 मुसलमान और 254 हिंदू मारे गए थे। 223 लोग लापता हो गए और 2500 घायल हुए थे। इसके अलावा सैकड़ों करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुक़सान हुआ था।

नरेंद्र मोदी, गुजरात दंगे और सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला
गुजरात में जब 2002 में दंगे हुए थे, उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन पर आरोप लगा कि उनके रहते गुजरात में व्यापक हिंसा हुई और इस हिंसा को सरकारी संरक्षण प्राप्त था। नरेंद्र मोदी के सीएम रहते एसआईटी ने उनसे लंबी पूछताछ भी की थी। लेकिन आख़िरकार इस साल जून में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें क्लीन चिट मिल गई।

सुप्रीम कोर्ट ने जून में गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री की विधवा ज़ाकिया जाफ़री की याचिका को ख़ारिज कर दिया था। इस याचिका में 2002 के गुजरात दंगे के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 59 लोगों को एसआईटी से मिली क्लीन चिट को चुनौती दी गई थी।

उस समय समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने तब की गुजरात सरकार पर लगाए गए आरोपों को खारिज़ किया है और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से यह भी साफ़ होता है कि वे आरोप राजनीतिक मंशा से प्रेरित थे।

अमित शाह ने कहा था कि 19 साल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जो जजमेंट दिया है, उससे पीएम मोदी पर लगे सारे आरोपों को ख़ारिज कर दिया गया है। अमित शाह ने कहा था, पीएम मोदी से भी पूछताछ हुई लेकिन कोई धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ। हमने न्याय प्रक्रिया का साथ दिया। मुझे भी गिरफ़्तार किया गया था लेकिन कोई धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ।

अमित शाह ने कहा था कि दंगे हुए थे लेकिन आरोप लगा था कि उसमें मुख्यमंत्री मोदी और राज्य सरकार का हाथ था और अब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से सबकुछ साफ़ हो गया है। उस समय उन्होंने कहा था, दंगे हुए थे, इससे कोई इनक़ार नहीं कर रहा है कि लेकिन आरोप लगा था कि दंगे राज्य सरकार ने करवाए। दंगे मोटिवेटेड थे। यहां तक कि मुख्यमंत्री का हाथ होने की बात भी कह दी गई।

शाह ने कहा कि लेकिन अब कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि मुख्यमंत्री ने बार-बार शांति की अपील की। राज्य सरकार ने दंगा रोकने की भरसक कोशिश की। उन्होंने कहा, आरोप तो यह भी लगाया गया कि गुजरात दंगों में फ़ायरिंग में सिर्फ़ मुसलमान मारे गए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज उसे भी नकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा नहीं हुआ।

अमित शाह ने कहा था, मैंने पीएम मोदी को नज़दीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे। बहुत मज़बूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है।

गुजरात दंगे के दौरान देरी से कदम उठाने के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है हमने कोई लेटलतीफी नहीं की थी, जिस दिन गुजरात बंद का ऐलान हुआ था उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था।

अमित शाह ने कहा, गुजरात दंगों के लिए गोधरा कांड को ज़िम्मेदार बताया। उन्होंने कहा था कि दंगे होने का मुख्य कारण गोधरा की ट्रेन को जला देना था। इसके कारण दंगे हुए और आगे जो दंगे हुए, वो राजनीति से प्रेरित होकर हुए थे।
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