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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 1 मई 2024 (15:25 IST)

Pishach yoga : पिशाच योग क्या होता है, जातक को जो कर देता है तहस-नहस, जानें उपाय

Pishach yoga
Pishach yoga
Pishach yoga effects ke upay: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में कई अशुभ योग होते हैं, जैसे अतिगंड योग, केमद्रूम योग, दरिद्र नारायण योग, प्रेतबाधा योग, कालसर्प योग आदि। इसी तरह एक पिशाच योग भी होता है। यह योग बहुत ही खतरनाक होता है। इसे कालसर्प योग और चांडाल योग से भी भयानक माना जाता है। आओ जानते हैं कि जन्मपत्री में यह योग कैसे बनता है।
क्या है पिशाच योग, कैसे बनता है यह योग?
- शनि एक क्रूर ग्रह है और राहु पापी ग्रह है। इन दोनों की युति से पिशाच योग बनता है। 
- शनि को अंधेरा और राहु को भ्रम ग्रह के नाम से जाना जाता है। इनकी आपसी दृष्टि भी इस योग का निर्माण करती है। 
- लग्न में चंद्रमा और राहु, शनिदेव पंचम में और नवम में मंडल हो तो इसे पिशाच योग कहा गया है।
- जन्म पत्रिका में शनि-राहु या शनि-केतु की युति होती है तो इस युति को प्रेत शाप योग कहते हैं। 
- राहु अथवा केतु का चतुर्थ या दूसरे (कुटुम्ब स्थान) से संबंध होने पर या लग्न के अंश के समीप होने पर भी ये योग बनता है। 
पिशाच योग का प्रभाव : 
  • शनि-राहु या शनि-केतु की युति जिस भी भाव में होती है, यह उस भाव के फल को बिगाड़ देती है या नष्ट कर देती है।
  • ऐसे में व्यक्ति को हर कदम पर संघर्ष करना होता है और उसके जीवन में अचानक ही कोई घटना घट जाती है। 
  • ऐसी घटना जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता या अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। 
  • ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि इस योग के कारण एक के बाद एक कठिनाइयां सामने खड़ी होने लगती हैं।
  • उम्र के 7 से 12 या 36 से लेकर 47 वर्ष तक का समय हो तो मुसीबतों का दौर थमता नहीं है। 
  • ऐसा भी देखा गया है कि इस उम्र के दौरान यदि किसी शुभ या योगकारी ग्रह की दशा काल हो और शनि+राहू की युति हो तो इस योग के कारण उक्त ग्रहों की दृष्टि का दुष्प्रभाव उस ग्रह पर हो जाने से शुभ फल नष्‍ट हो जाता है। 
  • अधिकतर ज्योतिषाचार्य इसे पितृदोष नहीं मानते हैं लेकिन यह माना जाता है कि यह पूर्व जन्म के दोषों में से शनि ग्रह से निर्मित पितृदोष है। 
  • कहते हैं कि इससे जमीन-जायदाद संबंधी विवाद भी पैदा होते हैं, प्रॉपर्टी बिक जाती है, कारखाना या दुकान हो तो बंद हो जाते हैं, पिता पर कर्ज इतना चढ़ जाता है कि उसे चुकाना मुश्किल हो जाता है। नौकरी हो तो छुट जाती है।
  • यह भी कहा जाता है कि ऐसे योग के कारण या ऐसे योग वाले के घर में जगह-जगह दरारें पड़ जाती हैं। 
  • सफाई के बावजूद बदबू आती रहती है। घर में से जहरीले जीव-जंतु निकलना भी इसकी निशानी है। मतलब यह कि इस घर में प्रेत योग का असर हो रहा है।
  • यदि यह युति सप्तम भाव पर प्रभाव डाले तो विवाह टूट जाता है। 
  • अष्टम पर डाले तो जातक पर जादू-टोने जैसा अजीब-सा प्रभाव रहता रहता है और हो सकता है कि उसकी दर्दनाक मौत हो जाए। 
  • नवम भाव में हो तो भाग्य साथ छोड़ देता है। 
  • एकादश भाव में हो तो मुसीबतों से लड़ते-लड़ते इंसान हारकर बैठ जाता है। 
  • इसी तरह कुंडली के हर भाव में इसका प्रभाव अलग-अलग होता है।
पिशाच योग के उपाय:-
1. पितरों का अच्छे से श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
2. यदि कन्या हो तो गाय का दान और कन्या दान करना चाहिए।
3. शनि, राहु और केतु के उपाय करना चाहिए।
4. दोनों कान छिदवाकर उसमें सोना पहनना चाहिए।
5. छाया दान करना चाहिए।
6. अंधों को भोजन करवाना चाहिए।
8. कुत्तों को प्रतिदिन रोटी खिलाना चाहिए।
9. शराब पीना और मांस खाना छोड़ देना चाहिए।
10. ब्याज का धंधा करना और पराई स्त्री से संबंध छोड़ देना चाहिए।
11. शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
12. अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें।
13. कभी भी अहंकार व घमंड न करें, विनम्र बने रहें।
14. किसी भी देवी, देवता और गुरु आदि का अपमान न करें।
15. तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए।