Vipreet Raj Yog: विपरीत राज योग क्या होता है, रंक से बना देता है राजा
Viprit raj yog In Astrology: ज्योतिष के अनुसार कई तरह के राजयोग होते हैं जैसे शश राजयोग, मालव्य राजयोग, हंस राजयोग, नीचभंग राजयोग, अखंड साम्राज्य राजयोग और विपरीत राज योग। विपरीत राजयोग भी कई प्रकार के होते हैं- जैसे हर्ष विपरीत राजयोग, विपरीत सरल राजयोग, विपरीत विमन राजयोग आदि। आओ जानते हैं कि क्या होता है विपरीत राजयोग जो जातक को रंक से राजा बना देता है।
विपरीत राजयोग : जब किसी जातक की जन्म पत्रिका के 6ठें, 8वें एवं 12वें भाव के स्वामी ग्रह आपस में युति संबंध रखते हो, अपने अपने घरों में स्थित हो, इन घरों में अपनी राशि में स्थित हों या ये ग्रह परस्पर ही दृष्ट हो, किसी शुभ ग्रह व शुभ भावों के स्वामी से युत अथवा दृष्ट न हों तो विपरीत राजयोग का निर्माण होता है।
रंक से बना देता है राजा : यह विपरीत राजयोग जिस भी जातक की कुंडली में है फिर भले ही वह किसी रंक (गरीब या दरिद्र) के घर में जन्मा हो, जैसे जैसे वह बड़ा होता जाएगा वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए रंक से राजा बन जाएगा। इस योग के प्रभाव से जातक भूमि, भवन और वाहन का मालिक होता है। हालांकि इस योग का प्रभाव लंबे वक्त तक नहीं रहता है। यदि समय रहते समय को पकड़कर आगे बढ़ गए तो ठीक अन्यथा पुन: वैसी ही स्थिति रहती है। यानी जो योग रंक से राजा बना देता है वह विपरीत परिस्थिति में राजा से रंक भी बना देगा।
फलित ज्योतिष में विपरीत राजयोग तीन प्रकार के होते हैं-
हर्ष विपरीत राजयोग : त्रिक भाव के स्वामी एक दूसरे के खानों में विराजमान होने पर हर्ष विपरीत राज योग बनता है। 6वें घर में एक पापी ग्रह होता या 6वें घर का स्वामी 6वें, 8 वें या 12 वें घर में होता है इस योग का निर्माण होता है। यदि 6वां घर 8वें या 12वें घर के साथ संबंध बनाता है, तो यह योग शत्रुओं पर विजय दिलाता है। ऐसा जातक शारीरिक रूप से मजबूत और धनवान होता है। समाज और परिवार में इसका प्रभाव होता है।
विपरीत सरल राजयोग : जब 6वें या 12 वें घर का स्वामी 8 वें घर में हो, या 8 वें घर का स्वामी 6 वें या 12 वें घर में हो तो सरल विपरीत राज योग बनता है। ऐसा जातक विपरीत परिस्थितियों में भी जीतने की क्षमता रखता है। ऐसा जातक विद्वान होता है और संघर्षों से घबराता नहीं है। यह अपने प्रयासों से धन, संपत्ति और यश प्राप्त कर लेता है। वह अपने सिद्धांतों पर अडिग रहता है।
विपरीत विमल राजयोग : जब 6वें, 8वें या 12वें भावों के स्वामी ग्रह 12वें भाव में हो या 12वें घर का स्वामी, 6ठे या 8वें घर में हो तो विमल विपरीत राजयोग का निर्माण होता है। ऐसा जातक स्वतंत्र होता है। वह हमेशा खुश रहने का प्रयास करता है। धन की बचत करने में आगे रहता है।