जागरूक स्त्री : दीपाली मेहता
-
नायिका ब्यूरो आर्थिक और सामाजिक रूप से संपन्ना एक महिला उद्यमी ने गरीब तबके की महिलाओं का जीवन स्तर सुधारने के लिए एक सरल किंतु कारगर योजना तैयार की है। हैदराबाद की उद्यमी दीपाली मेहता की कामवाली बाई के पति का अकस्मात निधन हो गया तो उसके ऊपर अपने दो बच्चों का पालन-पोषण अकेले करने का भार आन पड़ा। उसने अपनी समस्या दीपाली के समक्ष रखते हुए पगार बढ़ाने की माँग की। दीपाली को उससे सहानुभूति तो थी, किंतु वे जानती थीं कि पगार बढ़ा देना इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। इसके साथ ही उनके मन में यह ख्याल भी आया कि शहर में गरीब तबके की कई अन्य महिलाएँ भी होंगी जो या तो अपने पति को खो चुकी हैं या परित्यक्त हैं या फिर शराबी पतियों से त्रस्त हैं। क्या इन महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी उपलब्ध कराने के लिए कुछ किया जा सकता है? इस प्रश्न पर गौर करते हुए दीपाली के मन में एक योजना ने आकार लिया। आज यह योजना यथार्थ के धरातल पर साकार होने के कगार पर है। '
डीएम वुमन पॉवर प्रॉजेक्ट' नामक इस योजना के तहत महिलाओं को ऑटो रिक्शा चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद वे रोज सुबह-शाम दो-दो घंटे रिक्शा चलाकर बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने का काम कर अतिरिक्त आय कमाएँगी। दिन में झाडूपोंछा या जो भी कामकरती हैं, वह तो करेंगी ही। इस योजना में शामिल होने के लिए कई जरूरतमंद महिलाओं ने अपना नाम दर्ज करा लिया है।चारों ओर से सहयोग दीपाली ने शहर के अनेक स्कूलों में तथा पालकों के बीच पर्चे वितरित कर इस योजना के लिए सहयोग की अपील की है। इसका काफी अच्छा प्रतिसाद भी मिला है। कई अभिभावकों ने कहा है कि जैसे ही यह योजना शुरू होती है, वे अपने बच्चों को इन्हीं महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाले रिक्शों से स्कूल भेजेंगे। कुछ अन्य लोगों ने पूछा है कि क्या वे अपनी परिचित जरूरतमंद महिलाओं को इस योजना में शामिल करवा सकते हैं। कुल मिलाकर अभिभावकों का ख्याल है कि महिला रिक्शा चालक बच्चों का बेहतर ख्याल रखेंगी और उनके रिक्शों में बच्चे अधिक सुरक्षित रहेंगे। हैदराबाद के कई प्रमुख स्कूलों ने भी इस योजना को भरपूर सहयोग देने का वादा किया है। इस योजना में आरंभिक तौर पर 50 रिक्शे चलाए जाएँगे। प्रशासन की ओर से अनुमति मिलने पर अगले शैक्षणिक सत्र से योजना पर अमल शुरू हो जाने की उम्मीद है। प्रत्येक स्कूल को एक सीडी दी जाएगी, जिसमें बच्चों के नाम तथा उनकी रिक्शा चालक के बारे में विस्तृत जानकारीदर्ज होगी। यही नहीं, इन महिलाओं को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग भी दी जाएगी और रिक्शा की छोटी-मोटी मरम्मत करना (जैसे पंक्चर होने पर टायर बदलना आदि) भी सिखाया जाएगा। सभी चालकों को मोबाइल फोन भी दिए जाएँगे, ताकि किसी भी समय उनसे संपर्क किया जा सके। इसके अलावा दीपाली ने पुलिस अधिकारियों से भी बात की है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि यदि पुरुष रिक्शा चालकों ने इन महिलाओं के लिए कोई परेशानी खड़ी की तो वे महिलाओं का सहयोग करेंगे। दीपाली की यह पहल इस बात की मिसाल है कि कैसे एक संपन्ना और जागरूक स्त्री अपनी जरूतमंद बहनों का जीवन स्तर सुधारने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। यह मिसाल इस दकियानूसी धारणा की खोखली जमीन को भी उजागर करती है कि औरत औरत की दुश्मन होती है। साथ ही इस सच को रेखांकित करती है कि जरूरतमंद स्त्रियों का दर्द समझने और उनकी मदद करने में स्त्री ही आगे रहती है। यकीन मानिए, यह अपनी तरह की इकलौती मिसाल नहीं है।