September 23 Day and Night Equal: आज दिन रात होंगे बराबर, जानें खगोलीय कारण और ज्योतिषीय महत्व
खगोलीय कारण:
सूर्य की स्थिति: विषुव के दिन, पृथ्वी की भूमध्य रेखा (equator) सूर्य के ठीक सामने होती है। इसका मतलब है कि सूर्य की किरणें सीधे भूमध्य रेखा पर पड़ती हैं।
अक्षीय झुकाव का प्रभाव: पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है। वर्ष के दौरान, यह झुकाव सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की परिक्रमा के साथ मिलकर अलग-अलग समय पर अलग-अलग गोलार्धों को अधिक या कम सूर्य का प्रकाश देता है। विषुव के दिन, न तो उत्तरी गोलार्ध और न ही दक्षिणी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है। पूरे साल, पृथ्वी का झुकाव कभी सूर्य की ओर होता है, जिससे गर्मी पड़ती है और कभी सूर्य से दूर होता है, जिससे ठंड पड़ती है।
ज्योतिषीय महत्व: ज्योतिष में, शरद विषुव को एक महत्वपूर्ण क्षण माना जाता है:
संक्रमण का समय: इसे प्रकृति के एक चरण से दूसरे चरण में संक्रमण का समय माना जाता है। उत्तरी गोलार्ध में यह गर्मियों के अंत और सर्दियों की शुरुआत का प्रतीक है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में यह सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत का प्रतीक है।
ऊर्जा का संतुलन: ज्योतिषियों का मानना है कि इस समय ऊर्जा में एक विशेष संतुलन होता है। यह दिन ध्यान, आत्म-चिंतन और संतुलन प्राप्त करने के लिए अनुकूल माना जाता है।
पितृ पक्ष: हिन्दू धर्म में, शरद विषुव का समय अक्सर पितृ पक्ष के साथ मेल खाता है। यह वह अवधि होती है जब पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके लिए श्राद्ध और तर्पण जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन को पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो 23 सितंबर एक ऐसा दिन होता है जब सूर्य और पृथ्वी की स्थिति बिल्कुल सीधी होती है, जिससे दिन और रात का संतुलन बना रहता है।
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