गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. आजादी का अमृत महोत्सव
  3. कल, आज, कल
  4. 75th Independence day kal aaj aur kal

आज़ादी का अमृत महोत्सव : जो अदृश्य लग रहा है उसे देखना होगा

आज़ादी का अमृत महोत्सव : जो अदृश्य लग रहा है उसे देखना होगा - 75th Independence day kal aaj aur kal
किसी व्यक्ति या संस्था के लिए 75 साल बहुत बड़ी अवधि हो सकती है, लेकिन एक देश के लिए 75 साल की अवधि बहुत लंबी नहीं कही जा सकती। 15 अगस्त 1947 को हमने जिस सफर की शुरुआत की थी, उसमें हमने बहुत-सी ऊंचाइयां हासिल की है।  बहुत-सी उपलब्धियां हैं, जिसके बारे में 75 साल पहले किसी ने पहले कल्पना नहीं की थी। 
 
भारत में अपना संविधान बनाया।  देश के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं की नींव रखी।  हरित और श्वेत क्रांति की।  अंतरिक्ष में ऊंची छलांग लगाई। परमाणु विस्फोट किए। आर्थिक मोर्चे पर अनेक उपलब्धियां हासिल की और विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत को शुमार करने में कामयाबी  प्राप्त की। औद्योगिक क्षेत्र में नए परचम लहराए।  इनोवेशन को बढ़ावा दिया।  अनेक बीमारियों को देश से सदा के लिए विदा कर दिया और कोरोना वायरस से निपटने में भी कामयाबी पाई। 
 
•क्या किसी ने यह कल्पना पहले कभी की होगी कि लगभग 140 करोड़ की आबादी वाले देश के लोग बेसिक टेलीफोन का उपयोग तो नहीं कर पाएंगे, लेकिन मोबाइल फोन करोड़ों लोगों के हाथ में होगा। 
 
•आजादी के वक्त जिस भारत की साक्षरता की दर महज 12 प्रतिशत थी, जो आज 74 प्रतिशत से ज्यादा है। इतनी कम साक्षरता वाला वह देश आज विश्व की तमाम प्रमुख कंपनियों और सरकारों  में अपनी बौद्धिक सम्पदा का लोहा मनवा रहा है। 
 
•जिस देश में 1950-51  में प्रति व्यक्ति औसत आय 274 रुपये थी, आज 1 लाख 26 हज़ार रुपये है। आज़ादी के बाद हमारी जीडीपी पचास गुना बढ़ी है। 
 
•आज़ादी के पहले किसी भारतीय का  60 साल तक जीवित रह पाना ही बहुत बड़ी उपलब्धि लगती थी, क्योंकि भारतीयों की औसत आयु 34 साल थी, आज वह 69 साल हो गई है।
 
•1951 में बाल मृत्यु दर 1000 बच्चों पर 146 थी,  जो एक साल भी नहीं जी पाते थे। आज बाल मृत्यु दर 32 पर है और लगातार कम हो रही है।  
 
•तब करीब दो लाख स्कूल थे, आज 15 लाख से ज़्यादा स्कूल हैं। तब देश में केवल 414 कॉलेज थे, आज 42 हजार से ज़्यादा कॉलेज हैं। 
 
1990 तक किस को कल्पना थी कि भारत में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा और शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा सामग्री निर्माण जैसे क्षेत्र में निजी कंपनियां आएगी? भारत के हवाई अड्डे दुनिया के बेहतरीन हवाई अड्डों में और दिल्ली मेट्रो दुनिया की बेहतरीन मेट्रो में गिनी जाएगी। भारत दुनिया के देशों के उपग्रह प्रक्षेपित करेगा और मंगल मिशन पर जायेगा।
 
पहले  किसने यह कल्पना की थी कि भारत में भी सड़कों का ऐसा जाल बिछ जाएगा जिसकी तुलना उन्नत बड़े देशों से की जा सकेगी और भारत जल्दी ही अमेरिका के बराबर सड़क नेटवर्क वाला देश बन जाएगा।  ये सब कोई छोटी उपलब्धियां नहीं है।  स्टार्टअप यहां की अर्थव्यवस्था में अनूठा योगदान देने वाले हैं। 
 
इतना सब होने के बाद भी लोगों के मन में शिकवे-शिकायतों तो हैं ही।  जितनी बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं होनी चाहिए थी, वह लोगों को नहीं तो नहीं मिल पा रही हैं।  जितने रोजगार होना चाहिए थे, उतने रोजगार नहीं है।  विकास की दर जो होनी चाहिए, वह नहीं है।  महंगाई और मुद्रास्फीति की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। 
 
आज देश सामने जो खतरे हैं,  उन पर विजय पाने के लिए भारत को कहीं अधिक प्रयास करने पड़ेंगे।  आखिर वे कौन-कौन सी चुनौतियां भारत के सामने आ सकती हैं ? 
 
सीमाओं पर तनाव होता है जो साधारण आँखों से नज़र नहीं आता। कूटनीति की टेबलों पर विश्व-शक्तियों के आर्थिक दबाव भी  बहुत आसानी से नज़र नहीं आते हैं। सरकार उनसे जूझती ही रहती है। इन चुनौतियों पर विजय पाने के लिए सरकार कोई रायशुमारी भी नहीं कर सकती।  लोगों को विश्वास में लेकर ही इस दिशा में काम किया जा सकता है। 
 
ऐसी ही बड़ी चुनौती देश में सांप्रदायिक ताकतों को कुचलने की है। एकता और भाईचारा कैसे बढ़े, इस पर ध्यान देना होगा। 
 
भारत के सभी वर्गों के लोगों को साथ में लेकर आगे बढ़ना होगा। सरकार ने निजी क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए जो कदम उठाए हैं उनकी भले ही निंदा हो रही हो, लेकिन कुछ  ऐसे फैसले हैं  जो भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएंगे।  भारत की सीमाएं जितनी सुरक्षित हैं उसके लिए हम अपने देश के जवानों का एहसान कभी नहीं भूल सकते, लेकिन देश को यह याद रखना चाहिए कि उन जवानों की आर्थिक सुरक्षा और प्रशिक्षण  के लिए साजो सामान उपलब्ध कराए जाने चाहिए। भारत की जिन  सीमाओं पर हमें शांति नजर आती है, वह शांति  इतनी निरापद नहीं है।  पड़ोसी देशों की सीमाओं के अलावा भारत को अन्य आर्थिक मोर्चों पर भी ज्यादा चतुराई से निपटना होगा। 
 
स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत ने जिस तरह से कश्मीर, सिक्किम, उत्तर पूर्व राज्य, गोवा आदि के मामले सुलझाए,  उससे हमारे पड़ोसी देश को बहुत ज्यादा परेशानी हो  रही है।  इससे निपटने के लिए भारत को वैसे कदम उठाने होंगे जो आमतौर पर नजर नहीं आते। जहाँ पड़ोसियों की सोच पहुँच सकती है, उससे आगे का सोचकर काम करना है। इन कार्यों को आँकड़ों में नहीं समझाया जा सकता। 
ये भी पढ़ें
बदला है उत्तर प्रदेश का परसेप्शन, बदल देंगे पहचान