अराजकपूर्ण भस्रिका...
2.अराजकपूर्ण भस्रिका : तेज, गहरी तथा अराजकपूर्ण भस्रिका से भी अधिक तीव्रता से श्वास लें। इसमें श्वास लेने से ज्यादा जोर छोड़ने पर। श्वास का झंझावात खड़ा कर दें जो आपके तन-मन को झकझोर दे ऐसा। चीखें, चिल्लाएं, नाचें, गाएं, रोएं, कूदें, हंसें या फिर शरीर को इस कदर हिलाएं-डुलाएं कि जैसे कोई भूत आ गया हो। पूरी तरह से पागल हो जाएं। सिर्फ 10 मिनट के लिए और फिर 10 मिनट का ध्यान करें। लेकिन यह सब योग चिकित्सक की देखरेख में ही करें।
बारह आसनों का जादू...
3.बारह आसनों का जादू : बारह आसनों को आप नियमित करें। इन्हें आपके जीवन का हिस्सा बना लें। इनके करने से किसी भी प्रकार का यौन रोग नहीं होगा। इससे आपका यौवन बरकरार रहेगा। यह बारह आसन निम्न हैं- पद्मासन, अर्धमत्स्येंद्रासन, सर्वांगासन, हलासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तनासन, मयुरासन, भद्रासन, मुद्रासन, भुजंगासन, चंद्रासन और शीर्षासन।
योगा मसाज कैसे करें...
4.योगा मसाज : आप स्वयं चेहरे पर हलका-सा क्रीम या तेल लगाकर धीरे-धीरे उसकी मालिश करें। इसी तरह हाथों और पैरों की अंगुलियां, सिर, पैर, कंधे, कान, पिंडलियां, जंघाएं, पीठ और पेट की मालिश करें।
अच्छे से शरीर के सभी अंगों को हलके-हलके दबाएं जिससे रुकी हुई ऊर्जा मुक्त होकर उन अंगों के स्नायु में पहुंचे तथा रक्त का पुन: संचार हो। हालांकि योगा मासाज और भी व्यापकर तरीके से होता है, लेकिन यहां बताने का अभी मतलब नहीं और आपके आस इतना ज्यादा पढ़ने का समय भी नहीं है।
योगा स्नान कैसे करें...
5. योगा स्नान : सुगंध, स्पर्श, प्रकाश और तेल का औषधीय मेल सभी शारीरिक व मानसिक विकारों को दूर करता है। इसे आयुर्वेदिक या स्पा स्नान भी कहते हैं। इस स्नान के कई चरण होते हैं। इन चरणों में अभ्यंगम, शिरोधारा, नास्यम, स्वेदम और लेपन आदि अनेक तरीके अपनाए जाते हैं। इसके पूर्व आप चाहें तो पंचकर्म को भी अपना सकते हैं। पंचकर्म अर्थात पांच तरह के कार्य से शरीर की शुद्धि करना। ये पांच कार्य हैं- वमन, विरेचन, बस्ति-अनुवासन, बस्ति-आस्थापन और नस्य।
यौगिक आहार जानना जरूरी...
6. यौगिक आहार : यह बहुत आवश्यक है। यदि आप कुछ तो भी खाते रहते हैं तो फिर शरीर भी कुछ तो भी आकार लेने लगेगा। यह रोगग्रस्त भी हो सकता है और इससे वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ जाता है। आप वक्त के पहले ही बुढ़े होने या दिखने लगेंगे। इसीलिए जरूरी है यौगिक आहार को समझना।
7. प्रतिबंध : जितना भोजन लेने की क्षमता रखते हैं उससे कुछ कम ही लें। भोजन मसालेदार, मांसाहार और मिर्च वाला न हो। कड़वा, खट्टा, तीखा, नमकीन, गरम, खट्टी भाजी, तेल, तिल, सरसों, मद्य, मछली, बकरे आदि का मांस, दही, छाछ, बेर, खल्ली, हींग, लहसुन और बासी भोजन का त्याग करें।