आपको भी उन दिनों की याद होगी जब जिंदगी आसान थी? जब पेप्सी का रंग नारंगी था और कीमत एक रुपए से भी कम। जब हाथ में बैट बॉल लिए बच्चे गलियों में खेलते नजर आते थे। रामायण और महाभारत के दौर में जब सड़कें सुनसान हो जाती थीं। ये बातें सिर्फ नब्बे के दशक में बिताए बचपन वाले लोग ही याद कर और समझ सकते हैं।
भावनाओं को समझते हुए एक वेबसीरिय, जिसे 'वो दिन' कहा गया है, शुरू हुई है। इसमें नब्बे के दशक के बच्चे
का दिन कैसा बीतता था दिखाया गया है। पहला ही एपीसोड जिंदगी के साधारण होने का गवाह है। ऐसे दिन जब बडे लडकों के साथ खेलने का सपना छोटे बच्चों के आंखों में पलता था। जब सुपर मारियो गेम का मालिक बच्चा पहली बैटिंग पाता था। आइए याद करें वो दिन।