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Written By Author हिमा अग्रवाल
Last Updated : शुक्रवार, 19 नवंबर 2021 (23:13 IST)

संगम तट पर उमड़ा आस्था का ज्वार, 5 लाख दीपों से जगमगाया घाट

संगम तट पर उमड़ा आस्था का ज्वार, 5 लाख दीपों से जगमगाया घाट - Sangam Ghat lit up with 5 lakh lamps in Prayag
संगमनगरी प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर देव दीपावली धूमधाम से मनाई जाती है। धर्मालंबियों का मत है कि इस दिन सांझ में नदियों के तट पर दीपक प्रकाशित करने से मानव जीवन से समस्त सामाजिक और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और ऋण से उन्मुक्त होगा।
 
माना जाता है कि देव दीपावली में दीप पूजन व ध्यान में लीन आराध्यों के दुख-दर्द दूर करने के लिए देवता स्वयं स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आते हैं। यही कारण है कि देव दीपावली पर दीपदान और पूजन करके दीयों को बहते जल में प्रवाहित करके देवगणों का स्वागत किया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार (आज) की संध्या पर देव दीपावली का पर्व गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रयागराज में संगमतट पर दूर-दराज से हजारों भक्त पहुंचे और उन्होंने 5 लाख दीपकों से घाट को सजाया। इस अवसर पर परांपरागत तरीके से देवगणों के आगमन के लिए रंग-बिरंगी रोशनी के बीच मनमोहक फूलों से सजावट की गई। रंगोली, मोमबत्ती, दीपक की खूबसूरती देखते बनती थी।
 
संगम की रेती पर दीपों की आभा को यहां पहुंचे श्रद्धालु कैमरे में कैद करने के लिए आतुर नजर आए। 
संगमतट पर देवताओं के स्वागत में मां-गंगा की भव्य आरती और वैदिक मंत्रों की गूंज दू-दूर तक सुनाई दी। वैदिक मंत्रों के साथ मां-गंगा की अविरल धारा में देव दीपदान किया गया।
जिला प्रशासन की तरफ से संगम घाट पर भव्य सजावट की गई है, वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गंगा आरती के उपरांत मां गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने का संकल्प लिया गया। गंगा तट पर एक साथ आस्था के लाखों दीपक जगमगाते दीये ऐसे लग रहे थे, मानो स्वर्ग से देवता और आसमान से सितारे जमीं पर आ गए हैं। दीपक की रोशनी ऐसी लग रही थी मानो वह मां गंगा के गले का चंद्रहार हो।

इस बार, प्रयागराज में संगमतट पर छोटे-बड़े व्यवसायी सभी बेहद खुश नजर आए, क्योंकि क्योंकि बड़ी संख्या में यहां भक्त पहुंचे थे, जो मां गंगा को फूल और प्रसाद अर्पित कर रहे थे। बच्चे, बड़े और बूढ़े अपने साथ यहां से खरीदारी करके साथ ले जा रहे थे। लंबे समय बाद यहां के कारोबारी प्रसन्न नजर आए। कोरोना काल में यहां व्यवसाय न के बराबर था, अब फिर से संगमतट पर रौनक लौट आई है। 
 
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