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Written By अवनीश कुमार
Last Updated : मंगलवार, 15 दिसंबर 2020 (22:44 IST)

बेहमई कांड- न्याय की आस लिए राजाराम ने दुनिया को कहा अलविदा...

Rajaram Singh
कानपुर देहात। उत्तरप्रदेश के कानपुर देहात में 39 साल से बेहमई कांड में इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे और मुकदमे में वादी राजाराम की लंबी बीमारी के चलते मौत हो गई। वे 85 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्होंने फूलनदेवी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। फूलनदेवी ने वादी राजाराम के सगे भाई और भतीजों समेत परिवार के 6 लोगों की हत्या कर दी थी। घटना जिले के राजपुर थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में हुई थी।
फूलनदेवी ने की थी 20 लोगों हत्या : कानपुर देहात में 14 फरवरी 1981 को जिले के बेहमई गांव में डकैत फूलनदेवी ने लाइन से खड़ा करके 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद देश व विदेशी मीडिया ने भी जिले में डेरा डाला था और वहीं जब सारा गांव कांप रहा था तो राजाराम मुकदमा लिखाने के लिए आगे आए थे। उन्होंने फूलनदेवी और मुस्तकीम समेत 14 को नामजद कराते हुए 36 डकैतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन पूरे देश को दहला देने वाला बेहमई कांड लचर पैरवी और कानूनी दांव-पेंच में ऐसा उलझा कि 39 सालों में भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया।
 
39 साल ​व 28 गवाहों की मौत : देश के इस बहुचर्चित मुकदमे में नामजद अधिकांश डकैतों के साथ ही 28 गवाहों की मौत हो चुकी है। आरोपित मानसिंह, विश्वनाथ व रामकेश मुकदमे में 39 साल से फरार चल रहे हैं। कुर्की के साथ ही इनके स्थायी वारंट जारी किए गए और फिर मुकदमे से इनकी पत्रावली अलग कर बाकी बचे आरोपितों के खिलाफ सुनवाई पूरी की गई। इस पूरे मुकदमे में वादी राजाराम न्याय पाने की आस में हर तारीख पर आते थे और सुनवाई के लिए जिला न्यायालय पहुंचते थे। लेकिन न्याय की आस लिए वे दुनिया को अलविदा कह गए।
 
बेटे ने किया अंतिम संस्कार : फूलनदेवी के खिलाफ मुकदमा लिखाने के बाद पूरा देश राजाराम को जानने-पहचानने लगा था और वे बेहमई कांड में न्याय पाने के लिए 39 साल तक लगातार लगे रहे लेकिन न्याय मिलने से पहले ही उनका निधन हो गया। उनके निधन की जानकारी होते ही पूरे गांव में मातम पसर गया और उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जहां किसी भी पार्टी के राजनीतिक नेता नहीं दिखाई दिए तो वहीं ग्रामीणों की भीड़ उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुई। उनका अंतिम संस्कार यमुना नदी घाट पर किया गया, जहां उनके बड़े बेटे रामकेश सिंह ने मुखाग्नि दी। इस दौरान राजाराम के छोटे भाई शिवपाल ने कहा कि बेहमई कांड में न्याय की आस लिए मेरे बड़े भाई ने दुनिया को अलविदा कह दिया है लेकिन न्याय के लिए अपने भाई की संघर्ष को अब वे आगे बढ़ाएंगे।