Beginning of Holi in Braj and Kashi : उत्तर प्रदेश के मथुरा में ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में फाल्गुन शुक्ल पक्ष की रंगभरनी एकादशी के मौके पर सोमवार को भक्तजनों के साथ टेसू और केसर मिश्रित गीले रंगों की होली की शुरुआत के साथ ही वृंदावन सहित ब्रज के सभी मंदिरों में गीले रंगों की होली खेलने का सिलसिला शुरू हो गया। वहीं संभल में सोमवार को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच रंगभरी एकादशी का जुलूस निकाला गया। श्री काशी विश्वनाथ महादेव के दिव्य धाम में भी रंगभरनी एकादशी का भव्य आयोजन किया गया। काशीवासी एवं श्रद्धालु श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा को फूलों की पंखुड़ियां, अबीर-गुलाल अर्पित कर आनंदित होते रहे।
फूलों से सुसज्जित रजत पालकी पर विराजमान श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा की मनभावन रजत प्रतिमा की शोभायात्रा में शामिल होकर भक्तगण धन्य हो गए। वहीं संभल में सोमवार को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच रंगभरी एकादशी का जुलूस निकाला गया। अधिकारियों ने बताया कि जिले में हर जगह शांति व्यवस्था कायम है।
रंगभरनी एकादशी के मौके पर बिहारी जी महाराज ने मंदिर के जगमोहन में श्वेत पोशाक धारण कर, रजत सिंहासन पर विराजमान हो सोने-चांदी से बनी पिचकारी से भक्तों संग होली की शुरुआत कर दी। इस परंपरा के निर्वहन के साथ ही बिहारी जी सहित सभी मंदिरों में रंग वाली होली का आगाज हो गया।
मंदिर के सेवायत आचार्य प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि रंगभरनी एकादशी पर बिहारी जी के लिए शुद्ध केसर का रंग बनाया जाता है और सेवायत सबसे पहले सोने-चांदी से निर्मित पिचकारी से ठाकुरजी के ऊपर रंग डालते हैं, जिसके बाद होली की परंपरागत शुरुआत होती है।
गोस्वामी के अनुसार, अब मंदिर में टेसू के रंग के साथ-साथ चोवा, चंदन और अबीर-गुलाल से होली खेली जाएगी तथा यह सिलसिला पूर्णिमा की शाम तक चलेगा। उन्होंने बताया कि मंदिर की परंपरा के अनुसार यहां ठाकुरजी धुलेंडी वाले दिन भक्तों पर रंग नहीं डालते, बल्कि स्वर्ण सिंहासन पर गुलाबी पोशाक पहनकर राजा के रूप में बैठते हैं और अपने भक्तों को होली खेलते देखते हैं।
गोस्वामी के मुताबिक, इसी दिन सुबह मंदिर के सेवायत क्षेत्र में चौपई (भ्रमण) निकालते हैं, जिसके साथ गोस्वामी समाज के लोग समाज गायन (होली के पद) व बधाई गीत गाते चलते हैं। ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के साथ ही ठाकुर राधावल्लभ, ठाकुर राधादामोदर, ठाकुर राधा श्याम सुंदर, ठाकुर राधारमण मंदिर, ठाकुर राधा गोपीनाथ, ठाकुर मदन मोहन मंदिर आदि सप्त देवालयों एवं यशोदानंदन धाम, गोदाहरिदेव दिव्य देश आदि मंदिरों में भी टेसू के रंगों का इस्तेमाल शुरू हो गया।
मंदिर के सेवायतों ने परंपरानुसार सोने-चांदी की पिचकारी से भक्तों पर टेसू और केसर मिश्रित रंग बरसाया, जिससे श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। चारों ओर लाल, गुलाबी, नीले, पीले रंगों की बौछार से अद्भुत नजारा देखने को मिला। रंगभरनी एकादशी पर हर साल राधावल्लभ मंदिर से निकाली जाने वाली परंपरागत प्रिया-प्रियतम की रंगीली होली शोभायात्रा मंदिर से अपराह्न एक बजे से प्रारंभ हुई और पूरे नगर में भ्रमण करती हुई शाम को मंदिर प्रांगण में संपन्न हुई। शोभायात्रा में प्रिया-प्रियतम के स्वरूप सुसज्जित रथ पर सवार होकर भक्तों संग होली खेलते जा रहे थे।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन भी मुस्तैद रहा। पुलिस ने शहर में प्रवेश के हर मार्ग पर तिपहिया और चौपहिया वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था, ताकि यातायात सुचारू रहे। इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने नगर परिक्रमा की।
उधर वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ महादेव के दिव्य धाम में रंगभरी एकादशी का भव्य आयोजन हुआ और मंदिर न्यास की ओर से परंपरा का निर्वहन करते हुए श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा का शास्त्रोक्त विधि से पूजन अनुष्ठान किया गया।
काशी विश्वनाथ मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी गजेंद्र ने बताया कि रंगभरनी एकादशी उत्सव में महादेव के अनन्य भक्त काशीवासियों और श्रद्धालुओं ने प्रत्येक परंपरा के निर्वहन में अपनी भूमिका निभाई और समारोहपूर्वक विधि-विधान से प्रत्येक परंपरागत अनुष्ठान को संपन्न करने में मंदिर न्यास का पूर्ण सहयोग किया।
त्सव में शामिल हुए काशीवासी एवं श्रद्धालु श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा को फूलों की पंखुड़ियां, अबीर-गुलाल अर्पित कर आनंदित होते रहे। गोधूलि बेला में मंदिर चौक से डमरू के गगनभेदी नाद और शंख की मंगल ध्वनि के बीच शास्त्री अर्चन करते हुए श्री विश्वेश्वर महादेव एवं मां गौरा की पालकी यात्रा प्रारंभ की गई।
पालकी पर शोभायमान श्री विश्वेश्वर महादेव एवं मां गौरा की प्रतिमा की अद्वितीय आभा ने श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। हर हर महादेव के गगनचुंबी उद्घोष और बम बम भोले के अटूट जयघोष के बीच शोभायात्रा आगे बढ़ती रही। अबीर-गुलाल और फूलों की पंखुड़ियां की वर्षा के बीच देवाधिदेव महादेव एवं माता गौरा की पालकी शोभायात्रा मंदिर प्रांगण से होते हुए श्री काशी विश्वनाथ महादेव के गर्भगृह पहुंची। गर्भगृह में पहुंचने पर श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा की चल रजत प्रतिमा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई।
वहीं संभल में रंगभरनी एकादशी पर श्री श्याम सेवा समिति ने आर्य समाज रोड से जुलूस निकाला, जिसमें दर्जनभर से अधिक मनमोहक झांकियां प्रदर्शित की गईं। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों सहित भारी मात्रा में पुलिस बल इस जुलूस के दौरान सुरक्षा के लिए मौजूद दिखे। जुलूस में सभी श्रद्धालु गुलाल उड़ाते हुए और रंगों से सराबोर नजर आए।
संभल के अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) श्रीशचंद्र ने बताया कि रंगभरनी एकादशी का जुलूस परंपरागत रूप से निकाला जा रहा है और सब जगह शांति व्यवस्था कायम है। उन्होंने कहा कि जुलूस के साथ पर्याप्त पुलिस बल लगाया गया है और सभी संदिग्ध लोगों पर सीसीटीवी के जरिए नजर रखी जा रही है।
संभल में पिछले साल 24 नवंबर को अदालत के आदेश पर शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। सर्वेक्षण इस दावे के बाद शुरू किया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल काल में ढहाए गए एक हिंदू मंदिर के खंडहर पर किया गया है।
पंडित शोभित शास्त्री ने बताया कि रंगभरनी एकादशी पर श्याम बाबा के जुलूस ने 'सब मंगलमय हो' कामना के साथ गुलाल और रंगों के साथ लोगों को आनंदित किया। उन्होंने कहा कि बाबा श्याम की शोभायात्रा में शामिल होने को लेकर लोगों में भारी उत्साह दिखा। स्थानीय निवासी अजय अग्रवाल ने बताया कि यह जुलूस लगभग 50 वर्षों से निकाला जा रहा है और ऐसी मान्यता है कि रंगभरनी एकादशी पर जो भी इस यात्रा में शामिल होता है, उस पर श्याम बाबा की विशेष कृपा होती है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour