ग़ाज़ा पट्टी में बच्चों के प्रतिरक्षण, पोषण व विकास को सुनिश्चित करने के इरादे से इस सप्ताह एक मुहिम की शुरुआत की जाएगी, जिसका लक्ष्य उन 44 हज़ार बच्चों तक ये सेवाएं पहुंचाना है, जो हिंसक टकराव की वजह से इन सेवाओं से कट गए थे। बच्चों के लिए चलाई जाने वाली इस मुहिम के तहत ख़सरा (एमएमआर), डिप्थीरिया, टेटनस, हेपेटाइटिस बी, पोलिया, रोटावायरस, न्यूमोनिया, समेत अन्य बीमारियों से रक्षा के लिए टीके लगाए जाएंगे।
एक अनुमान के अनुसार, ग़ाज़ा पट्टी में तीन वर्ष से कम आयु के हर पांच में से एक बच्चे को या तो वैक्सीन की कोई ख़ुराक नहीं मिली है या फिर उनका कोई टीका छूट गया है। इस वजह से बच्चों के ऐसी बीमारियों की चपेट में आने का जोखिम है, जिनकी आसानी से रोकथाम की जा सकती है।
टीकाकरण के दायरे से बाहर छूट गए बच्चों के लिए चलाई जाने वाली इस मुहिम के तहत ख़सरा (एमएमआर), डिप्थीरिया, टेटनस, हेपेटाइटिस बी, पोलिया, रोटावायरस, न्यूमोनिया, समेत अन्य बीमारियों से रक्षा के लिए टीके लगाए जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपने साझेदार संगठनों के साथ मिलकर, ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के समन्वय में इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगे।
ग़ाज़ा में पिछले दो वर्ष से अधिक समय से जारी रहे हिंसक टकराव का बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण पर भयावह असर हुआ है। इसके मद्देनज़र, यूनीसेफ़ अपने साझेदारों के साथ मिलकर बच्चों में कुपोषण मामलों की जांच करेगा ताकि ज़रूरत होने पर उपचार मुहैया कराया जा सके।
फिलिस्तीन के लिए यूनीसेफ़ के विशेष प्रतिनिधि जोनाथन वेइच ने बताया कि दो वर्षों की अनवरत हिंसा ने 20 हज़ार बच्चों के जीवन को समाप्त कर दिया है। अन्तत: अब हमारे पास एक अवसर है कि जीवित बचे बच्चों की रक्षा कर सकें।
हर बच्चे का टीकाकरण और उनके स्वास्थ्य व पोषण के लिए समर्थन, केवल एक मानवतावादी उपाय नहीं है, यह एक नैतिक अनिवार्यता है। इसी तरह से हम इस विनाश में जन्म लेने वाले बच्चों के भविष्य की रक्षा कर सकेंगे और तबाही के बीच आशा के पुनर्निर्माण की शुरुआत होगी।
स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण
तीन चरणों में चलाई जाने वाली इस मुहिम का पहला चरण 9 से 18 नवम्बर तक होगा। अगले दो चरणों को दिसम्बर व जनवरी में चलाए जाने की योजना है। इसके लिए 450 से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों व अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि टीकाकरण प्रयासों को मज़बूती मिल सके।
इसके अलावा 149 डॉक्टरों को ट्रेनिंग मिली है ताकि प्रतिरक्षण के बाद बच्चों में नज़र आने वाली किसी परेशानी की पहचान और उसके अनुरूप देखभाल सम्भव हो सके। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि ग़ाज़ा के बच्चों के लिए यह प्रतिरक्षण अभियान एक जीवनरेखा है और इससे बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा होगी, भविष्य के लिए उनकी आशा बहाल होगी।
मगर अभी और अधिक स्तर पर प्रयास किए जाने होंगे, चूंकि ग़ाज़ा में स्वास्थ्य व्यवस्था नाज़ुक स्थिति में है और उसे फिर से खड़ा किए जाने की आवश्यकता है, ताकि हर बच्चे, हर समुदाय तक ज़रूरी देखभाल पहुंचाई जा सके। लड़ाई से पहले ग़ाज़ा में 54 प्रतिरक्षण केन्द्र थे और बाल टीकाकरण कवरेज की दृष्टि से (98 फ़ीसदी) यह विश्व में अग्रणी था, लेकिन अब 31 केन्द्रों में कामकाज ठप है और टीकाकरण कवरेज घटकर 70 प्रतिशत रह गया है।