नई दिल्ली। पूर्वोत्तर के 3 राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आज घोषित हो जाएंगे। मतगणना सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगी। तीनों ही राज्यों में विधानसभा की 60-60 सीटें हैं। करीब 800 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला आज हो जाएगा। बहुमत पाने के लिए 31 सीटों आवश्यकता है। इस आंकड़े को छूने वाली पार्टी राज्य में सरकार बना लेगी। तीनों राज्यों में 178 सीटों के लिए मतगणना होगी। त्रिपुरा में 16 फरवरी को वोटिंग हुई थी जबकि मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को वोट डाले गए थे।
भाजपा का बहुत कुछ दांव पर : भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है। इन राज्यों के परिणाम इस बात का संकेत देंगे कि भाजपा ने 2018 में वाम दलों से उनके गढ़ त्रिपुरा को छीनने के बाद से वहां अपनी जड़ें मजबूत की हैं या नहीं।
चुनावी परिणामों से यह भी स्पष्ट होगा कि पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्यों की सत्ता पर काबिज भाजपा मेघालय तथा नगालैंड में अपनी पैठ और मजबूत करने में सफल हुई है या नहीं या फिर विपक्ष उसके प्रभाव में सेंध लगाने में कामयाब रहा है।
तीन राज्यों में त्रिपुरा ऐसा राज्य है जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर सबकी निगाहें हैं क्योंकि वैचारिक रूप से यहां जीत दर्ज करना भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि क्योंकि पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और वाम दलों ने राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए पहली बार हाथ मिलाया है।
राष्ट्रीय दलों के बीच इस लड़ाई में प्रद्योत देबबर्मा के नेतृत्व वाला टिपरा मोथा भी है जो एक प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावी ताकत के रूप में उभरा है। जनजातीय आबादी के एक बड़े हिस्से के बीच इसके प्रभाव ने पारंपरिक पार्टियों को परेशान किया है। इसके संस्थापक देबबर्मा पूर्ववर्ती शाही परिवार के वंशज हैं और राज्य की जनजातीय आबादी में उनका खासा प्रभाव माना जाता है। पिछले चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने जनजातीय क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया था।
पिछली बार के चुनाव में भाजपा ने 36 और आईपीएफटी ने आठ सीटें जीती थीं। आईपीएफटी के संस्थापक एन सी देबबर्मा के निधन के बाद माना जा रहा है कि पार्टी की प्रभाव कम हुआ है। ऐसे में बहुमत हासिल करने का भार काफी हद तक भाजपा के कंधों पर है जबकि उसके दो मुख्य प्रतिद्वंद्वी एकजुट हो गए हैं।
दो दशक तक वाम दलों का गढ़ रहे त्रिपुरा में भाजपा ने 2018 में शानदार जीत दर्ज की थी और उसके इस किले को उसने छीन लिया था। इससे पहले हुए 2013 के चुनाव में भाजपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। अलबत्ता, 2018 में भाजपा की आश्चर्यजनक वृद्धि को पार्टी ने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर अपनी वैचारिक जीत के रूप में पेश किया था। ऐसे में भाजपा यदि यहां हारती है तो उसे एक झटके के रूप में देखा जाएगा। भले ही राष्ट्रीय फलक पर त्रिपुरा का अपेक्षाकृत मामूली प्रभाव हो।
पीएम मोदी सहित बड़े नेताओं ने किया था प्रचार : मेघालय और नगालैंड, दोनों में क्षेत्रीय दल बड़े खिलाड़ी बने हुए हैं, वहीं भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित अपने सभी बड़े नेताओं के साथ राज्यों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए एक धारादार अभियान चलाया।
पहली बार भाजपा मेघालय की सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और लगातार नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री कोनराड संगमा पर देश की सबसे भ्रष्ट राज्य सरकार चलाने के लिए निशाना साध रही है।
मेघालय में भाजपा संगमा के नेतृत्व वाली सरकार में साझेदार थी लेकिन चुनाव से पहले उसने गठबंधन तोड़ लिया था। पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा में उसकी ताकत बढ़ेगी और विधायकों की संख्या में चार गुना से अधिक की वृद्धि हो सकती है। पिछले चुनाव के बाद वहां विधानसभा त्रिशंकु बनी थी और इस बार भी ऐसी ही संभावना जताई जा रही है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए भाजपा के रणनीतिकार व असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने चुनाव के बाद संगमा से मुलाकात की थी और संकेत दिया कि दोनों दल फिर से साथ मिलकर काम कर सकते हैं।
इन चुनावों का एक दिलचस्प पहलू पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस है। बंगाल की सत्ताधारी पार्टी ने भी इन चुनावों में पूरी ताकत झोंकी है और उसकी कोशिश खुद को कांग्रेस की तुलना में भाजपा खिलाफ एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश करना रही है। लोकसभा चुनाव से पहले बनर्जी की यह कोशिश कितना रंग लाती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
कांग्रेस ने भी इन राज्यों में व्यापक प्रचार अभियान चलाया है। राहुल गांधी ने मेघालय में एक रैली की है। कांग्रेस की कोशिश अपने खोए हुए प्रभाव को वापस पाने की रही। नगालैंड में भाजपा फिर से एनडीपीपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी है।
शर्मा ने मंगलवार को दावा किया है कि त्रिपुरा, नगालैंड या मेघालय में कोई त्रिशंकु विधानसभा नहीं होगी और भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए तीनों पूर्वोत्तर राज्यों में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगा। मतदान के बाद आए चुनावी सर्वेक्षणों में अधिकांश ने मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा होने की संभावना जताई है। इनपुट भाषा Edited By : Sudhir Sharma