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खतरे की घंटी, नए साल में बढ़ेगा आतंकवाद

खतरे की घंटी, नए साल में बढ़ेगा आतंकवाद - terrorism
सीरिया और इराक के आतंकवाद की पदचाप अब यूरोप और अमेरिका में भी सुनाई देने लगी है। पेरिस का आतंकवादी हमला हो या फिर कैलीफोर्निया की गोलीबारी, इन घटनाओं ने दुनिया के दिग्गज देशों को भी हिलाकर रख दिया। 2015 विदा हो रहा है, लेकिन आतंकवाद के लिहाज से 2016 दुनिया के लिए मुश्किल वर्ष साबित हो सकता है।


हाल ही में अमेरिका के कैलीफोर्निया, ऑस्ट्रेलिया के सिडनी और फ्रांस के पेरिस में हुए आतंकी हमलों के मद्देनजर ऑस्ट्रेलिया के एक प्रमुख रक्षा विशेषज्ञ ने आशंका जाहिर की है कि इस वर्ष आतंकी हमलों में इजाफा हो सकता है। उन्होंने इस दौरान बेल्जियम में हुई घटनाओं का भी उल्लेख किया।

हाल ही में कुछ रिपोर्टों में यह भी आशंका जाहिर की गई थी कि शरणार्थियों के भेष में कुछ आतंकवादी भी अमेरिका, जर्मनी आदि देशों में घुस सकते हैं और भविष्य में आतंकवादी हमलों को अंजाम दे सकते हैं।

आतंकवादी हमलों की आशंका जताने वाले क्लॉर्क जोंस ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। जोंस वैश्विक विशेषज्ञों के समूह के साथ हिंसक चरमपंथ से निपटने और हस्तक्षेप के लिए देश के पहले केंद्र ‘सेंटर फॉर इंटरवेंशन एंड काउंटरिंग वायलेंट एक्ट्रीमिज्म’ की स्थापना पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञों और अपने अब तक के शोध पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि पिछले 1 साल में आतंक का मिजाज बहुत बदला है। पिछले साल के मुकाबले 2016 का साल ज्यादा कठिन और हिंसक रहने की आशंका है। उनका कहना है कि दुनिया के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।

उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए अलग-अलग तरीकों को अपनाने को कहा, क्योंकि चरमपंथी बनाने का कोई एक पहलू नहीं है। जोंस के इस केंद्र में सामाजिक कार्यकर्ता, मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सकों का एक दल भी शामिल है। यह दल वैश्विक स्तर पर चरमपंथ को समझने और उनके व्यवहारों का आकलन करने का काम करता है।