संस्कारों की शिक्षा भी जरूरी
शिक्षिका नलिनी पाल
आज मुझे पढ़ाते हुए करीब 30 साल हो गए। मेरे द्वारा पढ़ाए जाने के बाद विद्यार्थियों के चेहरे पर जो संतुष्टि के भाव आते हैं उससे मुझे बहुत खुशी मिलती है। सांदीपनि विशिष्ट गुरुजन सम्मान प्राप्त करने के संबंध में यही कहूँगी कि हम जो कार्य करते हैं उसे कोई देखता है और उसका प्रतिफल भी मिलता है। साथ ही बेहतर कार्य को आगे और भी शिद्दत से करते रहने की प्रेरणा मिलती है। एमएससी करने के बाद उदयपुर के सेंट मैरी स्कूल में नन्हे बच्चों को पढ़ाने का मौका मुझे मिला और तब से पढ़ाने का यह सिलसिला शुरू हो गया। शिक्षा ऐसा क्षेत्र है जिसके द्वारा बहुत कुछ बेहतर किया जा सकता है। मेरी नजर में किताबी ज्ञान तो मायने रखता ही है लेकिन बच्चों को संस्कार भी दिए जाने चाहिए और वे बहुत आवश्यक हैं। उन्हें भारतीय संस्कृति, रिश्ते-नाते समझाने होंगे। आवश्यक है उन्हें स्वस्थ ज्ञान देना। हमें कोशिश करनी चाहिए कि विद्यार्थी हिन्दुस्तान से जुड़े रहें, वे अपनी संस्कृति से अनभिज्ञ नहीं हों। मेरी ख्वाहिश है कि मैं गाँव से आने वाले विद्यार्थियों को भी बेहतर शिक्षा दे सकूँ। हमें यह नहीं देखना चाहिए कि माता-पिता कितना पढ़े-लिखे हैं। किन्हीं विषम परिस्थितियों की वजह से हो सकता है कि अभिभावक किताबी शिक्षा नहीं ले सके हों पर हमें बच्चों को तो पढ़ने का मौका देना चाहिए और इन बच्चों के लिए हमें बहुत कुछ करना चाहिए।सांदीपनि विशिष्ट गुरुजन सम्मान से सम्मानित शिक्षिका