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शुक्रवार,अक्टूबर 1, 2010
संत का अंत नहीं होता बल्कि संत देहमुक्त होकर अनंत हो जाता है। आज आदमी, आदमी के बीच नफरत, जाति-जाति के बीच दुश्मनी और घृणा तथा मुल्क-मुल्क के बीच आतंक, तनाव और एक-दूसरे को मिटा देने की कट्टरता व्याप्त है। आखिर इतने सारे धर्म, मजहब पालने वाले दुनिया ...