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ईंट से इंटरनेट तक

शुक्रवार,नवंबर 19, 2010
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नेहरू जी के दो आदर्श किस्से

शुक्रवार,नवंबर 12, 2010
एक बार नेहरूजी पंजाब के एक स्थान पर एक सिंचाई योजना का उद्घाटन करने गए, तो अधिकारियों ने उन्हें चाँदी का फावड़ा थमाकर योजना का उद्घाटन करने का अनुरोध किया। नेहरूजी ने चाँदी का फावड़ा फेंककर पास में पड़ा लोहे का फावड़ा उठाकर उद्घाटन करते हुए कहा- 'भारत ...
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जब चाचा नेहरू बच्चे थे

शुक्रवार,नवंबर 12, 2010
जवाहरलाल नेहरू के बाल्यकाल की घटना है। उनके घर पिंजरे में एक तोता पलता था। पिता मोतीलालजी ने तोते की देखभाल का जिम्मा अपने माली को सौंप रखा था। एक बार नेहरूजी स्कूल से वापस आए तो तोता उन्हें देखकर जोर-जोर से बोलने लगा।
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चाचा नेहरू का हैप्पी बर्थ डे

शुक्रवार,नवंबर 12, 2010
किस्सा 1962 का है। तब चीन ने भारत पर एकाएक हमला कर दिया था, जिसमें हमारे देश को काफी हानि उठानी पड़ी थी। उस युद्ध के बाद ही 14 नवंबर को पं. जवाहरलाल नेहरू का 73वाँ बर्थडे आया। पंजाब की जनता ने प्रधानमंत्री सुरक्षा कोष में योगदान देने के लिए नेहरूजी ...
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चाचा नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और तीन मूर्ति भवन प्रधानमंत्री का सरकारी निवास था। एक दिन तीन मूर्ति भवन के बगीचे में लगे पेड़-पौधों के बीच से गुजरते हुए घुमावदार रास्ते पर नेहरूजी टहल रहे थे। उनका ध्यान पौधों पर था। वे पौधों पर छाई बहार ...
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दुनि‍या के सात अजूबे कोई भी हों लेकि‍न आठवाँ अजूबा हमेशा बच्‍चे ही रहेंगे, ऐसा मुझे लगता है। देखा जाए तो बच्‍चे ईश्वर की सबसे अद्भुत कृति‍ हैं। वि‍श्व में अगर सबसे ज्‍यादा संज्ञाएँ कि‍सी को दी जा सकती हैं तो वे बच्‍चे हैं दूसरा कोई नहीं। नि‍डरता, ...
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चाचा नेहरू को दो बातें बहुत पसंद थी पहली वे अपनी शेरवानी की जेब में रोज गुलाब का फूल रखते थे और दूसरी वे बच्चों के प्रति बहुत ही मानवीय और प्रेमपूर्ण थे। यह दोनों ही बातें उनमें कोमल हृदय है इस बात की सूचना देते हैं। बच्चों को वैसे ही लोग प्रिय है, ...
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बचपन, एक ऐसा मधुर शब्द जिसे सुनते ही लगता है मानो शहद की मीठी बूँद जुबान पर रख ली हो। जिसकी कोमल कच्ची यादें जब दिल में उमड़ती है तो मुस्कान का लाल छींटा होंठों पर सज उठता है। जब भी इन महकते हरियाले पन्नों को फुरसत में बैठकर खोला और इन पर जमी धूल की ...
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ताकि माटी साँस ले सके...

गुरुवार,अक्टूबर 7, 2010
अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सरंक्षण संगठन ग्रीनपीस ने मिट्टी की उर्वरता को बचाने की मुहिम शुरू की है। 'जीवित माटी' नाम से जारी अभियान के तहत खेती में रासायनिक कीटनाशक और उर्वरकों के प्रयोग दुष्परिणामों के बारे में किसानों को बताया जाएगा।
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रोज हो रही है हत्या गाँधी की

शुक्रवार,अक्टूबर 1, 2010
आज गाँधी जयंती है। पुण्यतिथि नौ माह पहले गुजर चुकी है। गाँधी प्रतिमाओं और उनकी तस्वीरों को पिछली पुण्यतिथि के बाद धोने-पोंछने का यह पहला अवसर आया है। प्रत्येक वर्ष ऐसा ही होता है, जयंती और पुण्यतिथि के बीच की अवधि में गाँधीजी के साथ कोई नहीं होता ...
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संत का अंत नहीं होता है

शुक्रवार,अक्टूबर 1, 2010
संत का अंत नहीं होता बल्कि संत देहमुक्त होकर अनंत हो जाता है। आज आदमी, आदमी के बीच नफरत, जाति-जाति के बीच दुश्मनी और घृणा तथा मुल्क-मुल्क के बीच आतंक, तनाव और एक-दूसरे को मिटा देने की कट्टरता व्याप्त है। आखिर इतने सारे धर्म, मजहब पालने वाले दुनिया ...
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गाँधीगिरी, गाँधीवाद नहीं है

शुक्रवार,अक्टूबर 1, 2010
गाँधी, गाँधीवाद और गाँधीगिरी तीनों जुदा-जुदा हैं, लेकिन तीनों का संबंध एक ऐसे शख्स के साथ है, जो सारी दुनिया में एक ही है- महात्मा गाँधी, जिसे इक्कीसवीं सदी का सबसे ख्यातिप्राप्त व्यक्ति चुना गया था। मोहनदास करमचंद गाँधी हाड़-माँस का एक ऐसा शख्स था ...
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मनु के लिए माँ बने बापू

शुक्रवार,अक्टूबर 1, 2010
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के वैसे तो अपने चार पुत्र थे लेकिन वे तमाम भारतीयों को अपनी मानस संतान के तौर पर देखते थे। फिर भी उन्होंने अंतिम दिनों में अपने साथ रही मनुबेन गाँधी का पालन-पोषण माँ के रूप में किया।
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भारत की आजादी के संघर्ष के दौरान अहिंसात्मक अंदोलन का नेतृत्व करने वाले महात्मा गाँधी को आज की पीढ़ी के कुछ लोग अज्ञानतावश देश का बँटवारा करने वाले गाँधी के नाम से भी पुकारते हैं। उनके संदेशों और जीवनशैली को आज की पीढ़ी सिर्फ एक बोझिल, अति आदर्शवादी ...
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एक खत, बापू के नाम

शुक्रवार,अक्टूबर 1, 2010
आज आपका जन्मदिन है और सही मायनों में जन्मदिन है। यूँ तो हर साल ही आपका जन्मदिन आता है मगर यह जन्मदिन इस बार कुछ खास लग रहा है। बापू, आपके देश में पहली बार एक ऐतिहासिक फैसला हुआ। और पूरे देश में शांति, अमन, भाईचारा और अहिंसा के कोमल स्वर सुनाई ...
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बापू : एक मं‍त्र अहिंसा का

शुक्रवार,अक्टूबर 1, 2010
गाँधीजी न तो शांतिवादी थे, न ही समाजवादी और न ही व्याख्यामय राजनीतिक रंग में रंगने वाले व्यक्ति थे। वे बस, जीवन के शुद्ध विद्यमान सत्यों से जुड़े रहे। इसी को आधार बनाकर उन्होंने सारे निर्णय लिए। गाँधीजी का जीवन इस बात का साक्षी है तथा प्रेरित करता है ...
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हिन्दी एक हाथी की तरह क्यों है? क्योंकि हाथी की तरह हिन्दी की सूँड पकड़कर फिल्म वाले बता रहे हैं कि हिन्दी की फिल्मों में अंगरेजी का प्रयोग कैसे किया जाए। हिन्दी का पैर पकड़कर टीवी वाले खासकर खबरिया चैनल लोगों को बता रहे हैं कि किस तरह से हिन्दी के ...
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कंप्यूटर पर हिन्दी हुई आसान

मंगलवार,सितम्बर 14, 2010
दोस्तो, हमने अक्सर यह देखा है कि लोग कंप्यूटर पर हिन्दी में टाइप करने में केवल इसलिए डरते हैं ‍क्योंकि उन्हें यह एक कठिन काम लगता है। वे मानते हैं कि इसके लिए उन्हें नए सॉफ्टवेयर खरीदने होंगे या विशेष किस्म का प्रशिक्षण लेना होगा। जबकि वास्तविकता यह ...
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वैसे तो मोबाइल हैंडसेटों के हिन्दीकरण के लिए मैं लंबे समय से कार्य कर रहा हूँ लेकिन वास्तविक खुशी मुझे तब होती है जब मैं अपने गाँव के बमुश्किल पढ़ पाने वाले लोगों को हिन्दी भाषा में सरपट मोबाइल चलाते देखता हूँ। किसी मित्र का नंबर सेव करने से लेकर ...
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दूरसंचार के क्षेत्र में जिस तरह की क्रांति मोबाइल के आने से हुई लगभग उसी तरह की क्रांति इंटरनेट की दुनिया में ब्लॉग, यानी इंटरनेट पर आपके निजी ठिकाने, के आने से हुई। इसकी सफलता के पीछे दो प्रमुख कारण हैं जिनमें पहला तो यह कि ब्लॉगों की शुरूआत से ...
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