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Last Modified: गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025 (14:22 IST)

मोदी और ट्रंप की मुलाकात का क्या होगा भारतीय शेयर बाजार पर असर?

दुनिया में बढ़ते ट्रेड वॉर के खतरे के बीच आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होने जा रही है।

modi and trump
Narendra Modi Donald Trump Meet : दुनिया में बढ़ते ट्रेड वॉर के खतरे के बीच आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होने जा रही है। इस मुलाकात पर भारत ही नहीं दुनिया भर की नजरें लगी हुई है। एक ओर ट्रंप टैरिफ लगाते जा रहे हैं, इसका पूरी दुनिया के कारोबार पर असर पड़ रहा है तो दूसरी तरह भारतीय कारोबारियों का मानना है कि पीएम मोदी ट्रंप के साथ मुलाकात में कोई बीच का रास्ता निकालने में सफल रहेंगे। अब इसी बीच के रास्ते पर दुनियाभर के विशेषज्ञों की निगाहें हैं।

भारतीय शेयर बाजार लगातार गिर रहे हैं। इस बाजार का सहारा बने म्यूचुअल फंड में 56 लाख नई एसआईपी हुई। हालांकि इस दौरान 61 लाख लोगों ने अपनी एसआईपी बंप कर दी। बहरहाल म्यूचुअल फंड निवेशक अभी में रिस्क लेने से परहज नहीं कर रहे हैं। गत इक्विटी में म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से लगभग 40,000 करोड़ का निवेश हुआ। शेयर बाजार में गिरावट की वजह से एनपीएस का रिटर्न सिर्फ 4 माह में 40 से घटकर 11 फीसदी रह गया। अब देखना होगा कि मोदी और ट्रंप की मुलाकात का भारतीय कारोबार जगत और विशेषकर भारतीय शेयर बाजार पर क्या असर होगा?
 
शेयर बाजार विशेषज्ञ नितिन भंडारी का मानना है कि भारत एक बड़ा कंज्यूमर मार्केट है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने देश का प्रोटेक्शन चाहते हैं, वह अमेरिका को ग्रेट बनाना चाहते हैं। इसी वजह से टैरिफ बड़ा रहे हैं। इसका सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी और ट्रंप दोनों अनुभवी नेता है। दिग्गजों की इस मुलाकात में बीच का रास्ता निकल सकता है। 
 
भंडारी ने कहा कि अमेरिका टेस्ला की भारत में एंट्री चाहता है। एफआईआई को हथियार बनाकर निकासी की जा रही है। इसके माध्यम से दबाव डाला जा रहा है। जब भी कोई बड़ा सत्ता परिवर्तन होता है तो नया शासक अपनी बातें मनवाने के लिए इस तरह का दबाव डालता है। ऐसा पहले भी हो चुका है। फिलहाल बाजार में उतार चढ़ाव जारी रहेगा। उनका मानना है कि जनवरी में शेयर बाजार में जो 'लो' बना था, अब बाजार के उससे नीचे जाने की संभावना नहीं है। 
 
शेयर बाजार विशेषज्ञ सागर अग्रवाल ने कहा कि ट्रंप बिजनेस मैंटिलिटी से चल रहे हैं। वह फिलहाल अमेरिका का फायदा ही देख रहे हैं। ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच किसी बहुत बड़ी डील की संभावना नहीं है। हालांकि वह कुछ लॉलीपॉप जरूर दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप टैरिफ को लेकर सख्‍त बने हुए हैं। स्टील और एल्यूमीनियम पर उन्होंने टैरिफ बढ़ा दिया है। इससे प्रोडक्शन पर असर पड़ रहा है। 
 
अग्रवाल का कहना है कि शेयर बाजार में फिलहाल मंदी का दौर जारी है। जब तक निफ्टी 23500 क्रॉस नहीं कर लेता बाजार में मंदी का दौर जारी रहेगा। हाई से स्माल और मिडकैप में 18 से 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। डॉलर 87 रुपए पार पहुंच गया है। FII तेजी से माल बेच रहे हैं। हालांकि शेयर बाजार को म्यूचुअल फंड का बड़ा सपोर्ट मिल रहा है। अगर यह इंडस्ट्री इस समय बाजार में खरीदी नहीं करती तो स्थिति और खराब होती है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस स्थिति में निफ्टी के 22000 तक जाने की संभावना है।
 
वित्त विशेषज्ञ और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर करीब से नजर रखने वाले गौरव क्षीरसागर का मानना है कि टैरिफ मामले में ट्रंप फिलहाल एग्रेसिव मोड में हैं। स्टील, एल्यूमीनियम समेत कई वस्तुओं पर टैरिफ लगने का भारत पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। यहां औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हुआ है हालांकि इससे हमारे लिए नए अवसर भी बन रहे हैं। कुछ सेक्टर में फायदा होगा। हमारे पास चीन का रिप्लेसमेंट बनने का भी अवसर है। उन्होंने कहा कि टैरिफ लगने से अमेरिका की भी परेशानी बढ़ रही है। वहां एक बार फिर महंगाई बढ़ने की आशंका है। इससे फेडरल रिजर्व के लिए इंटरेस्ट रेट कम करना मुश्किल हो जाएगा। वहां की सरकार पर भी देश की जीडीपी से ज्यादा कर्ज है। ऐसे में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि अमेरिकी सरकार किस तरह चीजों को मैनेज करती है।  
 
क्षीरसागर ने कहा कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में पैसा आने के बहुत सारे कारण है। भारत में पिछले सालों में हुए रिफॉर्म की वजह से भी लोगों का पैसा बाजार में आया। निवेशकों को पता है कि भले ही शेयर बाजार में गिरावट की वजह से अभी अच्छा रिटर्न नहीं मिल रहा हो लेकिन आगे पीछे स्थिति बदलेगी। हालांकि रिटर्न के लालच में आए कुछ लोग भले ही निराश हुए हों लेकिन बड़ी संख्‍या में निवेशकों की पहली पसंद म्यूचुअल फंड ही है। लोगों के पास म्युचुअल फंड में भी निवेश के काफी विकल्प है। इसके अलावा उनके पास पैसा लगाने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं है। इसी वजह से FDI और FII की लगातार निकासी के बाद भी म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का पैसा बाजार में आ रहा है। उनकी कैपेसिटी कम नहीं हुई है। इसी तरह आने वाले समय में भी MF शेयर बाजार को मजबूती से सहारा देते रहेंगे।      
 
बहरहाल इस ट्रेड वार से भारत, चीन, यूरोप समेत पूरी दुनिया दहशत में है। खुद अमेरिका के लोगों में भी घबराहट दिखाई दे रही है। ऐसे में सभी चाहते हैं दोनों दिग्गजों की मुलाकात में बीच का कोई रास्ता निकल जाता है तो शेयर बाजार में गिरावट में कमी आ सकती है। अगर दोनों देश इस मामले में किसी निष्कर्ष पर पहंचते हैं तो पू‍री दुनिया के लिए एक नया रास्ता खुला सकता है। सभी की अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर होगा। 
Edited by : Nrapendra Gupta