संविधान के तहत न्यायपालिका को न्यायिक समीक्षा का अधिकार प्राप्त है। अनुच्छेद 13 में स्पष्ट किया गया है कि कोई भी कानून, जो किसी मौलिक अधिकार का हनन करता है, वह निष्प्रभावी है। कोई भी कानून अथवा कार्यपालक कार्य किसी मूलभूत अधिकार का हनन करता है या नहीं, इसका निर्णय भी अदालतें ही करेंगी। किसी मूलभूत अधिकार पर लगाई गई रोक तर्कसंगत है या नहीं, इस मामले में अदालतों का दृष्टिकोण कैसे निर्धारित हो, यह मद्रास राज्य बनाम वीजी राव मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तर्कसंगतता की कोई अमूर्त या सामान्य शैली निर्धारित नहीं की जा सकती, जिसे सभी मामलों में मान्य किया जा सके। भारतीय अदालतों ने हमेशा कानून के शासन के पालन पर जोर दिया है। कार्यपालिका का कोई भी निर्णय, जो कानून द्वारा अनुमोदित नहीं है और किसी व्यक्ति के खिलाफ जाता है, उसे अदालतों ने रद्द कर दिया है। राज्य कानून से ऊपर नहीं है। कानून के शासन को संविधान की एक अनिवार्य विशेषता के रूप में माना गया है।
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