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Last Updated : शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023 (15:32 IST)

आवारा कुत्तों के गले में क्यों लगे QR Code?

आवारा कुत्तों के गले में क्यों लगे QR Code? - Why are QR codes around the necks of stray dogs?
अब देश के किसी भी शहर में चले जाएं, हर जगह बड़ी तादाद में आवारा कुत्ते दिखाई देते हैं। हाल ही में मुंबई के एक इंजीनियर और डॉग लवर, अक्षेय रिडलान ने स्ट्रीट डॉग्स के लिए QR Code लैस गले के पट्टे को विकसित किया है। इस टेग की मदद से स्ट्रीट डॉग्स को ट्रैक कर उनकी लोकेशन का पता लगाया जा सकता है।
 
पट्टे पर लगे QR Code को मोबाइल से स्केन करने के बाद कुत्ते का नाम, उसकी मेडिकल हिस्ट्री, उनके केयरटेकर की कॉन्टेक्ट डिटेल्स जैसी जानकारियां सामने आ जाती हैं। इन QR Code को पट्टे से चेन की मदद से अटैच किया गया है।
 
अक्षय ने यह भी बताया कि इससे सरकार स्ट्रीट डॉग्स की लोकेशन पता कर पाएगी एवं इस जानकारी को उनकी नसबंदी और वैक्सीनेशन के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। यह डेटाबेस की मदद से किया जा सकता है। ऐसे संस्थान एवं लोग जो जानवरों को रेस्क्यू करने एवं उन्हें खाना देने का काम करते हैं, वे इन टेग्स का उपयोग कर पाएंगे।
 
हालांकि कई लोग इस बारे में सोशल मीडिया के जरिए अपना मत सामने रख रहे हैं। कुछ लोगों ने अक्षय के इस कदम की सराहना की तो कुछ ने सवाल किया कि क्या वाकई में इससे कुत्तों की लोकेशन का पता चल सकता है? क्या QR code को इंटरनेट कनेक्टेड GPS से जोड़ा गया?
 
 
एक व्यक्ति ने कहा कि कुत्तों की आपसी लड़ाई में टैग के खो जाने के बाद यह किसी काम का नहीं रह जाएगा।