विकास दुबे को मौत से बचाने के लिए करवाया गया सरेंडर, शहीद के परिजनों ने उठाए सवाल
कानपुर/लखनऊ। कुख्यात अपराधी विकास दुबे की मध्यप्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तारी होने से कुछ दिन पहले मुठभेड़ में मारे गए पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा के एक करीबी रिश्तेदार ने दावा किया है कि 'यह पूरी तरह सुनियोजित आत्मसर्मपण है ताकि उसे मारे जाने से बचाया जा सके।
मिश्रा के करीबी रिश्तेदार कमलकांत मिश्रा ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह गिरफ्तारी पूरी योजना बनाकर की गई है। विकास दुबे 12 घंटे पहले फरीदाबाद में था और केवल 12 घंटे में उज्जैन के महाकाल (मंदिर) पहुंच गया। पुलिस गिरफ्तार करने गई तो वह अपने साथ मीडिया को लेकर गई। आप लोगों ने इस तरह से कितनी गिरफ्तारियां देखी हैं?
उन्होंने दावा किया कि यह गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि उसे मौत से बचाया गया है। यह आत्ममर्पण पूरी तरह से सुनियोजित है। उन्होंने कहा कि परिवार को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता है, लेकिन अगर अपराधी गिरफ्तार हो गया है तो यह हम सबके लिए संतोष की बात है। मैं नहीं समझता कि कहानी यहीं खत्म हो गई, अभी तो यह शुरुआत है।
कमलकांत ने कहा कि मुठभेड़ में जो 8 पुलिसकर्मी मारे गए उसमें केवल विकास और उसके गिरोह अकेले शामिल नही थे बल्कि कुछ अन्य लोग भी शामिल थे जो उसे अब तक बचा रहे हैं। दुबे ने उन्हीं लोगों की सलाह पर आत्मसर्मपण किया है।
इस बीच वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और आईजी सिविल डिफेंस अमिताभ ठाकुर ने एक ट्वीट में कहा कि हम विकास दुबे को गिरफ्तार नहीं कर पाए और उसने उज्जैन में आत्मसमर्पण कर दिया। इतनी बड़ी घटना के बाद भी हम उसे गिरफ्तार नहीं कर सकें और वह कई स्थानों पर घूमता हुआ सुदूर स्थान तक चला गया। मुझे लगता है कि इस बिंदु की गहराई से जांच होनी चाहिए।
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि हो सकता है कल वह यूपी पुलिस की हिरासत से भागने की कोशिश करे, मारा जाए। इस तरह विकास दूबे अध्याय बंद हो जाएगा, किंतुमेरी निगाह में असल जरूरत इस कांड से सामने आई यूपी पुलिस के अंदर की गंदगी को ईमानदारी से देखते हुए उस पर निष्पक्ष/कठोर कार्रवाई करना है। (भाषा)