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Written By गिरीश पांडेय
Last Modified: शनिवार, 24 सितम्बर 2022 (23:07 IST)

गोरक्षपीठ की परंपरा है मातृशक्ति की पूजा

गोरक्षपीठ की परंपरा है मातृशक्ति की पूजा - The tradition of Gorakshpeeth is the worship of mother power
22 सितंबर 2022 की तारीख देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से इस दिन उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र का एक दिन सिर्फ महिलाओं के लिए समर्पित रहा। महिला विधायक ही सदन की पीठ की अध्यक्ष थीं। नेता सत्ता पक्ष और नेता प्रतिपक्ष के औपचारिक संबोधन के बाद सिर्फ महिलाओं ने ही सदन में अपनी बात रखी।

योगी ने अपने संबोधन की शुरुआत अथर्ववेद के इस श्लोक से की, यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता: (जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं)। महिलाओं का यह सम्मान योगी आदित्यनाथ के लिए कोई नई बात नहीं है। दरअसल मुख्यमंत्री के साथ वह देश के प्रमुख धर्मपीठों में शुमार गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं।

महिलाओं का सम्मान (आराधना) इस पीठ की परंपरा रही है। सिर्फ आराधना ही नहीं बल्कि व्यवहारिक स्तर पर भी महिलाओं के शिक्षा एवं स्वावलंबन में 1932 में गठित महाराणा शिक्षा परिषद बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बड़ी भूमिका के साथ मातृशक्ति के लिए उनके दायित्व का फलक भी बड़ा हो गया है। वह इस भूमिका को बखूबी निभा भी रहे हैं। विधानमंडल के मौजूदा सत्र में एक दिन सिर्फ महिला जनप्रतिनिधियों के लिए इसका ताजा प्रमाण है।

उल्लेखनीय है कि सनातन संस्कृति में साल में पड़ने वाले नवरात्र के दोनों पर्व मातृशक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा को समर्पित होता है। ये दोनों नवरात्र गोरक्षपीठ के लिए बेहद खास होते हैं। इस दौरान पीठ में मातृशक्ति की पूजा और उसकी महत्ता का जीवंत स्वरूप गोरक्षपीठ में दिखता है।

नवरात्र के पहले दिन मठ की पहली मंजिल पर कलश स्थापना के साथ ही प्रतिदिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की खास पूजा होती है। नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन से इसका समापन होता है। इस दिन खुद पीठाधीश्वर के रूप में मुख्यमंत्री कन्याओं का पांव पखारते हैं। उनको भोजन कराते हैं और दक्षिणा देकर विदा करते हैं। यह खुद में नारियों के प्रति सम्मान का एक बहुत बड़ा संदेश है।

यह तो रहा मातृशक्ति के आराधना एवं पूजा का पक्ष। अगर व्यावहारिक रूप से महिलाओं के स्वालंबन एवं सशक्तिकरण के लिहाज से पीठ के योगदान को देखें तो इसमें भी पीठ का खासा योगदान रहा है। पीठ के शैक्षिक प्रकल्प महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद करीब एक सदी से आधी आबादी के शैक्षिक पुनर्जागरण और आर्थिक स्वावलंबन का अलग-अलग तरीकों से पूरे पूर्वांचल में अलख जगा रहा है।

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शिक्षण संस्थाओं में से कई में बालिकाओं के लिए सह शिक्षा (को-एजुकेशन) की व्यवस्था है। महाराणा प्रताप बालिका इंटर कॉलेज, महाराणा प्रताप महिला पीजी कॉलेज, महाराणा प्रताप टेलरिंग कॉलेज, दिग्विजयनाथ बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय, महाराणा प्रताप मीराबाई महिला छात्रावास, दिग्विजयनाथ महिला छात्रावास, गुरु श्री गोरक्षनाथ स्कूल ऑफ नर्सिंग, योगीराज बाबा गम्भीरनाथ नि:शुल्क सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र जैसे करीब एक दर्जन संस्थान सिर्फ महिलाओं के लिए समर्पित हैं। इन संस्थानों से निकलीं हजारों बालिकाएं हर वर्ष अपने जीवन पथ पर ससम्मान आगे बढ़ रही हैं।

मुख्यमंत्री बनने के बाद भी पीठ की परंपरा के अनुसार वह मातृशक्ति की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन के लिए अपने पहले कार्यकाल से ही दायित्व के अनुसार एक बड़े फलक पर इस भूमिका को पूरी संजीदगी से निभा रहे हैं।इन योजनाओं का दायरा किसी बालिका के जन्म से लेकर उसके लालन-पालन, शिक्षा, विवाह से लेकर जीवनपर्यंत तक है।

मसलन मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना का लाभ बालिका के जन्म से लेकर उसकी पढ़ाई तक के विभिन्न चरणों में मिलता है। इसी तरह मुख्यमंत्री सामूहिक योजना के तहत मिलने वाला 511 हजार का लाभ भी हर वर्ग की पात्र महिलाओं के लिए है। यही स्थिति निराश्रित महिला पेंशन में भी है। सरकार ने पेंशन बढ़ाने के साथ इस योजना में पहले से तय उम्र सीमा को भी खत्म कर दिया है।

महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने और उनमें सुरक्षा का भाव जगाने के लिए 'मिशन शक्ति' योगी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। दो साल पहले शारदीय नवरात्र के दौरान बलरामपुर से इसकी शुरूआत खुद में एक बड़ा संदेश थी। बलरामपुर के ही तुलसीपुर में देश की शक्तिपीठों में से एक मां पाटेश्वरी देवी का मंदिर है। मौजूदा समय में इसका चौथा चरण चल रहा है।

यकीनन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा (बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ) और गोरक्षपीठ की शक्ति (देवी) उपासना की परंपरा के अनुसार उत्तर प्रदेश आने वाले वर्षों में नारी सशक्तिकरण, स्वावलंबन और सुरक्षा की नजीर बनेगा। घर से लेकर बाहर तक किसी भी समय महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी। मानसिक रूप से और आर्थिक रूप से भी।

इसमें प्रदेश सरकार द्वारा शुरु अन्य योजनाओं के साथ एंटी रोमियो स्क्वॉड, पीएसी में महिला बटालियनों का गठन, पिंक बूथ, हर थाने पर महिला हेल्प डेस्क, महिला पुलिसकर्मियों की बीट पर तैनाती, अवंती बाई लोधी, उदा देवी एवं झलकारी बाई वीरांगना अवॉर्ड आदि योजनाएं नारी सशक्तिकरण, सुरक्षा और स्वावलंबन का जरिया बनेंगी।

लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद चैत्र नवरात्र के दौरान योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर नवरात्रि‍ के पहले दिन से ही पुलिस विभाग की ओर से महिला सुरक्षा को लेकर विशेष अभियान इसी की एक कड़ी थी। इसी क्रम में बेटियों में सुरक्षा का भाव और मजबूत करने के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड को और सक्रिय करने का निर्देश भी मुख्‍यमंत्री की ओर से दिया गया था।
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