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Last Modified: रांची , गुरुवार, 12 दिसंबर 2024 (17:49 IST)

Jharkhand : हेमंत सोरेन सरकार को हाईकोर्ट का झटका, निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण पर लगी रोक

Hemant Soren
Jharkhand News : झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में निजी क्षेत्र में 40000 रुपए प्रतिमाह तक के वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण की गारंटी देने वाले कानून को लागू किए जाने पर रोक लगा दी है। खंडपीठ ने बुधवार को झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2021 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक लघु उद्योग संघ की याचिका पर सुनवाई की। ऐसे मुद्दों पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही निर्णय दिया जा चुका है जिसने पंजाब एवं हरियाणा सरकारों द्वारा लाए गए इसी प्रकार के कानून को खारिज कर दिया था।
 
झारखंड विधानसभा द्वारा 2021 में पारित अधिनियम के अनुसार प्रत्येक नियोक्ता, जहां सकल मासिक वेतन या मजदूरी 40000 रुपए से अधिक नहीं है, उसे ऐसे पदों के संबंध में कुल मौजूदा रिक्तियों में 75 प्रतिशत पदों को स्थानीय उम्मीदवारों द्वारा भरना होगा।
झारखंड लघु उद्योग संघ के वकील एके दास ने कहा कि इस अधिनियम से राज्य के उम्मीदवारों और झारखंड से बाहर के उम्मीदवारों के बीच स्पष्ट विभाजन पैदा हो गया है। दास ने दावा किया कि अधिनियम का कार्यान्वयन संविधान के सिद्धांतों के विरुद्ध है जो रोजगार में समानता की गारंटी देता है।
 
वकील ने दलील दी कि राज्य सरकार निजी कंपनियों को केवल एक निश्चित श्रेणी के लोगों को रोजगार देने के संबंध में निर्देश नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही निर्णय दिया जा चुका है जिसने पंजाब एवं हरियाणा सरकारों द्वारा लाए गए इसी प्रकार के कानून को खारिज कर दिया था। झारखंड उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया तथा 20 मार्च को इस पर पुनः सुनवाई की जाएगी।
झारखंड विधानसभा ने सितंबर 2021 में 'झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2021' पारित किया था, जो निजी क्षेत्र में 40000 रुपए प्रतिमाह तक के वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है। इस विधेयक को विधानसभा की एक प्रवर समिति ने कुछ बदलावों के साथ मंजूरी दी थी।(भाषा)
Edited by: Chetan Gour
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