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Written By हिमा अग्रवाल
Last Modified: रविवार, 19 मार्च 2023 (23:40 IST)

RSS चीफ मोहन भागवत ने किसानों को दिया गौ-आधारित खेती का संदेश

RSS चीफ मोहन भागवत ने किसानों को दिया गौ-आधारित खेती का संदेश - sangh chief bhagwat gave the message of cow based farming to the farmers
मेरठ। हस्तिनापुर स्थित मोती धनष मंडप में भारतीय किसान संघ द्वारा 3 दिवसीय कृषक संगम चल रहा है। इसमें विभिन्न राज्यों के किसानों ने अपना प्रतिनिधित्व करते हुए गौ आधारित जैविक खेती के लाभों और उत्पाद की जानकारी हासिल की। इसी कड़ी में कृषि संगम के समापन अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि रासायनिक खेती छोड़कर गौ आधारित खेती अपनाएं।

यह खेती परिवर्तन देश के लिए नहीं पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतीय खेती अपनी जन्मभूमि को नष्ट नहीं करती है बल्कि प्रकृति से उतना ही ग्रहण करती है, जितना जरूरी होता है ताकि प्रकृति का भंडार सदा हरा-भरा बना रहे। प्रकृति को पूर्ण रूप संचित रखने के लिए हमें अपनी कृषि से रसायन प्रयोग की परंपरा को छोड़ना होगा। रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग छोड़ जैविक खेती की राह पर चलना होगा। 
 
भागवत बोले कि श्रीमद्भागवत गीता में भी कहा गया है कि हर एक की अपनी जगह है। भारतीय खेती भी चक्र पर आधारित है, बस आवश्यकता उस का चक्र पहचान कर आगे बढ़ने की है। किसान ज्यादा फसल पाने के लालच में रसायनिक खेती कर रहे हैं, जो जमीन के पानी और मिट्टी के पोषक तत्वों का दोहन कर रही है। इतना ही नहीं, ये रसायन भोजन के माध्यम से हमारे अंदर जा रहे हैं और बीमार कर रहे हैं। भारत के पास खेती करने का सही रास्ता गौ आधारित जैविक खेती है, जो उपज, पृथ्वी, वायु और जल को विषैला होने से रोकेगी। 
 
मोहन भागवत ने कहा कि भारत से बाहर पश्चिम के देशों में मांस मुख्य आहार है जबकि भारत में रोटी और चावल। यह सब हमारी मातृभूमि की देन है। हर देश की एक पद्धति होती है, हमारी सदियों पुरानी परंपरा में अन्न मुख्य खाद्य है। इसलिए गौ आधारित खेती को कम लागत के साथ अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी खेती परंपरा 10 हजार सालों से चल रही है। खेती में सुधार कर ऐसा जीवन जीना पड़ेगा जो दुनिया के लिए मार्गदर्शक का काम करेगा। समाज में परिवर्तन लाना है। 
 
सरसंघचालक ने कहा कि भारत में मकान-भवन बनाने के लिए एक विशेष जाति होती थी, जो पत्थर तोड़ने और तराशने का काम करती थी। अंग्रेजों ने कानून बनाया कि जो सरकारी इमारत बनेगी वह इंग्लैंड के पोर्ट लैंड सीमेंट से बनेगी। ऐसा करने से भारत के 30 हजार मजदूर बेरोजगार हो गए। विरोध हुआ तो उन मजदूरों को अपराधी घोषित कर दिया गया, इसके चलते आंदोलन हुआ। अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का काम किया है। उन्होंने पहले व्यापार, शिक्षा और उसके बाद भारतीय कृषि को बर्बाद किया था, आज भारतीय खेती बदलाव के रास्ते पर हैं, जिसे परीक्षण करके स्वीकार किया जाना चाहिए। 
 
मोहन भागवत ने कहा कि भारत की गीर, साहिवाल गाय विदेशों में उनके पशुओं की नस्लें सुधारने के लिए गईं। अंग्रेजों ने भारतीय गाय के साथ क्रॉसब्रीड करके दूध देने वाले गाय की नयी प्रजाति पैदा की। विदेशियों का मानना था कि जब गाय दूध नहीं देगी तो वह उसका वध करके मांस खा लेंगे। वह दूध देने वाली गाय को ब्राह्मण कैटेगिरी की मानते थे। संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि भारत में भी मांस खाने वालों की कमी नहीं है। यहां पर लोग कुछ दिन मांसाहार करने से परहेज करते हैं, मुख्य भोजन रोटी-चावल के साथ मांस सेवन करते हैं, लेकिन विदेशों में मांसाहार मुख्य अन्न है, ये लोग मांस के साथ डबल रोटी खाते हैं। यदि उनको रोटी-चावल भी मिले तो भी उनका मुख्य भोजन मांस ही होगा, ये बस आदत की बात है।
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