किन्नरों की देवत्त यात्रा में दिखा संस्कृति का अनूठा संगम, चारों धर्मों के श्रद्धालु उमड़ पड़े
प्रयागराज। उपदेवता किन्नर के देवत्त यात्रा में गंगा-जमुनी तहजीब की उस समय झलक दिखलाई पड़ी, जब हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्मों के श्रद्धालुओं ने अपनी भागीदारी कर विश्व बंधुत्व और एकता का संदेश दिया।
दर्शकों के समूह में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं भी श्रद्धापूर्वक देवत्त यात्रा का दर्शन करने के लिए कतार में खड़ी रहीं। इसके अलावा सभी धर्मों के श्रद्धालु जगह-जगह समूह बनाए खड़े थे। दारागंज क्षेत्र में कुछ मुस्लिम महिलाओं को उपदेवता का पैर छूकर आशीर्वाद लेते देखा गया। लंबे समय से सड़क किनारे खड़े श्रद्धालु अपने मजहब की दीवार को भूलाकर देवत्त यात्रा की एक झलक पाने को व्याकुल दिखे।
उनकी यही मंशा रही होगी कि हे देव, मेरे परिवार को सदैव स्वस्थ और प्रसन्न रखना। इसी धारणा के साथ न केवल मुस्लिम बल्कि अन्य धर्मों की महिला और पुरुषों को भी देखा गया। पैर छूने वालों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी। बैरहना चौराहे पर श्रद्धालुओं के मुंह से यह सुना गया कि अभी तक की निकली अखाड़ों की पेशवाई को देवत्त यात्रा ने लोकप्रियता में धूमिल कर दिया। इतनी भीड़ तो उसके अब तक निकली सभी 6 पेशवाइयों में देखने को नहीं मिली।
प्रयागराज की सड़कों पर रविवार को जब किन्नर अखाड़े के संत, महंत और महामंडलेश्वर सज-धजकर घोड़े, ऊंट और रथों पर सवार होकर देवत्व यात्रा में निकले तो उन्हें देखने के लिए मानो सारा शहर उमड़ पड़ा। सनातन धर्म में उपदेवता की श्रेणी में माने जाने वाले किन्नरों की एक झलक पाने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए लोग रथों के पास जा-जाकर उनसे आशीष लेते दिखे।
इसके साथ ही लोगों ने मान्यता के मुताबिक किन्नर संतों को रुपए और पैसे दिए। उसके एवज में उन्होंने श्रद्धालुओं को सिक्के चूमकर उन्हें आशीर्वाद दिया। बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और युवकों में अपने घर में लक्ष्मी आने और बरकत के लिए उपदेवता से पैसे बदलने की होड़ मची थी।
इस मौके पर किन्नरों ने भी किसी श्रद्धालु को निराश नहीं किया। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को आशीष दिया। कुछ ने तो मोरपंख से श्रद्धालुओं के सिर को स्पर्श कर आशीर्वाद दिया।
उपदेवता द्वारा भीड़ में लुटाया गया फूल जिस किसी भी श्रद्धालु को मिल जाता, वह चुपचाप अपने को धन्य मानकर उसे जेब में रख लेता था। किन्नर अखाड़े की देवत्व यात्रा में गंगा-जमुनी तहजीब की भी झलक देखने को मिली। हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई चारों धर्मों के लोगों ने इस देवत्त यात्रा में शामिल होकर प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया।