शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
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प्रयाग कुंभ मेले में त्रिवेणी संगम तट पर ही स्नान करना क्यों महत्वपूर्ण?

प्रयाग कुंभ मेले में त्रिवेणी संगम तट पर ही स्नान करना क्यों महत्वपूर्ण? - triveni sangam Prayagraj
गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, गोदावरी, कृष्णा, सिंधु, क्षिप्रा, ब्रह्मपुत्र आदि सभी नदियों के अपने-अपने संगम है। हिंदू धर्म के तीन देवता हैं शिव, विष्णु और ब्रह्मा और तीन देवियां हैं पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती। इसीलिए सभी जगह त्रिवेणी का महत्व और बढ़ जाता है।- Triveni sangam rivers allahabad Prayagraj khumbha 2019
 
 
त्रिवेणी का अर्थ है वह स्थान जहां तीन नदियां आकर मिलती हों। जहां तीन नदियों का संगम होता हो। प्रयाग की गंगा नदी में एक स्थान ऐसा है जहां तीन नदियों का मिलन होता है। संगम और त्रिवेणी वस्तुत: एक ही स्थान है जहां गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम होता है। यह दुर्लभ संगम विश्व प्रसिद्ध है। गंगा, यमुना के बाद भारतीय संस्कृति में सरस्वती को महत्व अधिक मिला है।
 
 
हिन्दू धर्म के अधिकतर तीर्थ नदियों के तट पर ही बसे हुए हैं। उसमें भी जहां तीन नदियों का संगम हो रहा है वह स्थान महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रयाग संगम पर गंगा और यमुना नदी अगल अलग नजर आती है, लेकिन कहते हैं कि उसी में सरस्वती भी मिली हुई है जो कि अलग नजर नहीं आती है। सरस्वती नदी के साथ अद्भुत ही बात है कि प्रत्यक्ष तौर पर सरस्वती नदी का पानी कम ही स्थानों पर देखने को मिलता है। इसका अस्तित्व अदृश्य रूप में बहता हुआ माना गया है।
 
 
जैसे ग्रहों में सूर्य तथा तारों में चंद्रमा है वैसे ही तीर्थों में संगम को सभी तीर्थों का अधिपति माना गया है तथा सप्तपुरियों को इसकी रानियां कहा गया है। त्रिवेणी संगम होने के कारण इसे यज्ञ वेदी भी कहा गया है। पदम पुराण में ऐसा माना गया है कि जो त्रिवेणी संगम पर नहाता है उसे मोक्ष प्राप्त होता है।
 
 
प्रत्येक बारहवें वर्ष पूर्ण कुंभ का तथा प्रत्येक छठे वर्ष अर्धकुंभ मेलों का त्रिवेणी संगम पर आयोजन होता है। त्रिवेणी संगम पर महापर्व कुंभ के आयोजन में भक्तों की संख्या एक करोड़ से भी पार चली जाती है। सद्भाव, सौहार्द, सामाजिक समरसता का प्रतीक त्रिवेणी पथ का महापर्व प्रयाग कुंभ मेला छुआछूत, जातीयता, साम्प्रदायिकता से परे और सहिष्णुता की जीती जागती मिसाल है।
 
 
महापर्व में विभिन्न अखाड़ों के साधु अपनी शिष्य मंडली सहित पूरे स्नान पर्वों के दौरान उपस्थित रहते हैं। प्रथम स्नान से लेकर अंतिम स्नान तक रामायण, महाभारत, श्रीमद्भागवत, वेद, उपनिषदों तथा पुराणों के आख्यान सुनने को मिलते हैं। इस बार त्रिवेणी संगम पर अर्धकुंभ का मेला आयोजित हो रहा है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि लगभग 15 करोड़ लोग संगम पर स्नान करने के लिए जुटेंगे।