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Last Modified: मंगलवार, 4 जून 2019 (13:42 IST)

यूपी में बसपा- सपा के गठबंधन पर ब्रेक लगने की इनसाइड स्टोरी

यूपी में बसपा- सपा के गठबंधन पर ब्रेक लगने की इनसाइड स्टोरी - Inside story on break on SP BSP collision
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठ खड़ा हुआ है। बसपा प्रमुख मायावती ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए एलान किया कि उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव बसपा अकेले लड़ेगी। मायावती ने इसके लिए लोकसभा चुनाव में गठबंधन को अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने को बड़ी वजह बताया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में सपा का कोर वोट बैंक बसपा की तरफ नहीं मुड़ा जिसके बाद बसपा को नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
 
मायावती ने सपा के तीन बड़े उम्मीदवारों की हार का जिक्र करते हुए कहा कि कन्नौज से डिंपल यादव, बदायूं से धमेंद्र यादव और फिरोजाबाद से अक्षय यादव की हार से बसपा को गठबंधन को लेकर नए सिरे से सोचने पर मजबूर होना पड़ा है। मायावती ने कहा कि अगर सपा का बेस वोटर बीसपी के वोटरों के साथ अगर जुड़ता तो सपा के तीनों बड़े नेताओं की हार नहीं होती। इसके साथ ही चुनाव परिणामों को देखने से लगता है कि यादव बाहुल्य सीटों पर भी सपा उम्मीदवारों को भितरघात का सामना करना पड़ा है।
 
मायावती ने अखिलेश को अपने कैडर को एकजुट रखने की सलाह देते हुए कहा कि आज सपा में सुधार की जरुरत है। मायावती ने स्पष्ट किया कि अभी गठबंधन टूटा नहीं है लेकिन अगर सपा अपने में सुधार नहीं लाई तो अकेले चलना ही बेहतर होगा।
 
वहीं गठबंधन के भविष्य को लेकर उतर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान राजनीतिक हालातों को देखते हुए उनका मानना हैं कि गठबंधन अभी चलेगा और अभी फिलहाल इसके टूटने का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है।
 
रामदत्त कहते हैं कि गठबंधन दोनों ही पार्टियों की अपनी राजनीतिक मजबूरी है और मायावती ने भी इसको साफ करते हुए कहा है कि गठबंधन अभी आगे भी चलेगा।
 
वहीं यादव वोट बैंक को लेकर मायावती के बयान पर रामदत्त कहते हैं कि निश्चित तौर पर मायावती ने समाजवादी पार्टी की कुछ कमियों की ओर इशारा किया है।
 
वोट ट्रांसफर नहीं होने के आरोप को सहीं ठहराते हुए रामदत्त कहते हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में सपा को उन तीन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा जो उसने 2014 में भी जीती थी। इसका मतलब साफ हैं कि चुनाव में सपा का वोट बैंक बंट गया और पार्टी आपसी गृहकलह से अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा पाई, जिसको मायावती भीतरघात बता रही है।
 
रामदत्त कहते हैं कि सपा की अंदरुनी कलह और शिवपाल यादव के नई पार्टियां बनाने का सीधा असर जिलों में सपा संगठन पर पड़ा है और बहुत सारे नेता पार्टी छोड़कर चले गए।
 
रामदत्त महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि मायावती ने जो इशारा किया है कि हो सकता है अखिलेश उस पर ध्यान दें और परिवार की जो कलह है उसको नए सिरे से खत्म कर शिवपाल को वापस पार्टी में लाने का काम करें। वहीं गठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने जो कहा है उस पर विचार करेंगे लेकिन अखिलेश ने साफ कर दिया है कि पार्टी सभी 11 सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी।
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