योगी के सचिव ने मांगी 25 लाख की रिश्वत, राज्यपाल ने सीएम को भेजा पत्र
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख सचिव एसपी गोयल पर एक पेट्रोल पंप के लिए जमीन आवंटन को लेकर 25 लाख रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप हैं। आरोपों की जानकारी राज्यपाल रामनाईक द्वारा योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर दी, जो पत्र मीडिया में लीक हो गया और तो प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव राजीव कुमार को व्यवसायी अभिषेक गुप्ता के जनपद हरदोई में पेट्रोल पंप की स्थापना संबंधी प्रकरण की तथ्यात्मक स्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
भाजपा नेता की शिकायत पर अभिषेक गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और उसे हजरतगंज पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। एफआईआर दर्ज होने के बाद अभिषेक ने कहा कि इंसाफ नहीं मिला तो आत्मदाह कर लूंगा।
अभिषेक गुप्ता ने राज्यपाल से की थी घूसकांड की शिकायत : राज्यपाल राम नाइक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 30 अप्रैल 2018 को पत्र लिख अभिषेक गुप्ता के पत्र पर समुचित कार्यवाही हेतु प्रेषित किया था। इसमें कहा गया कि लखनऊ निवासी अभिषेक गुप्ता ने ई-मेल से मुझे अवगत कराया कि गुप्ता द्वारा ग्राम रैसो, जनपद हरदोई में एस्सार ऑयल लिमिटेड द्वारा स्वीकृत पेट्रोल पंप की स्थापना किया जाना प्रस्तावित है परन्तु पेट्रोल पंप मुख्य मार्ग की चौड़ाई कम होने के कारण आवश्यक भूमि उपलब्ध कराए जाने के लिए गुप्ता द्वारा प्रेषित किया गया प्रत्यावेदन वर्तमान में निर्णय हेतु प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एस.पी. गोयल के स्तर पर लंबित है।
गुप्ता का कथन है कि पेेट्रोल पंप के मुख्य मार्ग की चौड़ाई बढ़ाए जाने हेतु भूमि उपलब्ध करवाये जाने के लिए गोयल द्वारा गुप्ता से 25 लाख रुपए की मांग की जा रही है और उक्त रिश्वत नहीं दिए जाने के कारण गोयल द्वारा गुप्ता के प्रत्यावेदन पर निर्णय नहीं लिया जा रहा है जिससे पैट्रोल पंप की स्थापना नहीं हो पा रही है।
उच्च स्तरीय जांच की मांग : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने राज्यपाल राम नाईक द्वारा मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र पर जिसमें मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमेश दीक्षित ने उक्त पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि सरकार बहादुर के नाक के नीचे सरकार के दावो को धज्जियां उड़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि करप्शन फ्री निजाम का जुमला उछाल कर सत्ता में आने वाली भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव पर 25 लाख की घूस का आरोप लगा है। इस बाबत स्वं राज्यपाल महोदय ने पत्र लिख कर मुख्यमंत्री को भेजा है। डॉ. रमेश दीक्षित ने इस पूरे प्रकरण की एक उच्च स्तरीय जाँच कमेटी बनाकर जांच की भी मांग की।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमेश दीक्षित ने यह भी कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जब भ्रष्टाचार से सम्बंधित मामले को लेकर महामहीम राज्यपाल खुद मुख्यमंत्री को उनके एक अफसर के बारे में घूस लेने की शिकायती पत्र को भेज रहे है।