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Last Modified: शुक्रवार, 23 जून 2023 (19:21 IST)

UP में मुख्य विकास अधिकारी ने ग्राम विकास अधिकारी को पीटा, वीडियो हुआ वायरल

UP में मुख्य विकास अधिकारी ने ग्राम विकास अधिकारी को पीटा, वीडियो हुआ वायरल - Chief Development Officer beat up Village Development Officer
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में मुख्य विकास अधिकारी हिटलर बन गए। यह हिटलरशाही उन्होंने अपने अधीनस्थ पर दिखाई। लायब्रेरी के निरीक्षण के दौरान वह अपना आपा खो बैठे और ग्राम विकास अधिकारी पर चांटे जड़ दिए। थप्पड़बाज सीडीओ को भनक नहीं थी कि पंचायत घर में सीसीटीवी लगे हैं और चालू हालत में हैं। उनका मारपीट का यह तमाशा वहां लगी तीसरी आंख में कैद हो गया, जो अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।

बिजनौर जिले के सीडीओ पूर्ण बोरा तीन दिन पहले नजीबाबाद विकासखंड का निरीक्षण करने गए थे। निरीक्षण के दौरान उन्होंने पंचायत घर में बनी लायब्रेरी देखने की इच्छा प्रकट की। वहां मौजूद ग्राम विकास अधिकारी दीपेंद्र ने सीडीओ को लायब्रेरी दिखाई, लायब्रेरी में नाममात्र की किताबें मौजूद थीं, जिसे देखकर वे भड़क गए।उन्होंने दीपेंद्र पर नाराजगी जाहिर करते हुए थप्पड़ रसीद कर दिया, जो पंचायत घर में लगे सीसीटीवी में कैद हो गया।

मुख्य विकास अधिकारी के इस व्यवहार को देकर वहां मौजूद लोग सन्न रह गए। जैसे ही ग्राम पंचायत अधिकारी के साथ हुए घटनाक्रम की जानकारी अन्य पंचायत अधिकारियों को मिली तो वह आक्रोशित हो गए और उन्होंने सीडीओ पूर्ण बोरा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए विकास भवन में धरना दे दिया।

इस पूरे घटना की शिकायत बिजनौर के एसपी सिटी से भी की है। घटना की जानकारी मिलते ही बिजनौर डीएम ने हस्तक्षेप करते हुए फिलहाल धरना समाप्त करवा दिया है। धरने में शामिल लोगों का कहना है कि वह न्याय के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

रामपुर चाठा के ग्राम प्रधान दीपेंद्र का आरोप है कि लायब्रेरी निरीक्षण के दौरान किताबें कम मिलीं, जिसके चलते सीडीओ ने मेरे साथ अभद्रता करते हुए गाली-गलौज करते हुए कान पकड़वाए और मुर्गा बनने के लिए कहा, लेकिन कमर में दर्द के चलते मैंने मुर्गा बनने से मना कर दिया, गुस्से से तमतमाए सीडीओ ने थप्पड़ जड़ दिए। आरोप यह भी है कि बीडीओ नजीबाबाद, अन्य कर्मियों और ग्रामीणों की मौजूदगी में थप्पड़ मारे गए।

ग्राम विकास अधिकारी इस घटना के बाद से बेहद वेदना में हैं। उनका कहना है कि 40-50 हजार रुपए की तनख्वाह थप्पड़ खाने के लिए नहीं लेते हैं। अपने साथ हुए अन्याय के लिए वे न्याय चाहते हैं, भले ही उनको न्यायालय की शरण में क्यों ना जाना पड़े।
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