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Last Modified: बुधवार, 9 मार्च 2022 (18:39 IST)

जम्‍मू-कश्‍मीर के उधमपुर में विस्‍फोट, एक व्‍यक्ति की मौत, 14 घायल

जम्‍मू-कश्‍मीर के उधमपुर में विस्‍फोट, एक व्‍यक्ति की मौत, 14 घायल - Blast in Jammu and Kashmir's Udhampur, one dead, 14 injured
जम्मू। सेना की नार्दन कमांड के मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर उधमपुर के सलाथिया चौक में संदिग्ध धमाके में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 14 लोग घायल हो गए। धमाके के बाद से स्थानीय लोगों के बीच अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया है।

जानकारी मिलते ही तुरंत पुलिस बम निरोधक दस्ता और एफएसएल की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई थी। मामले की जांच की जा रही है, आखिरकार यह किस तरह का धमाका था? वहीं आतंकी एंगल से भी इस धमाके की जांच की जा रही है।

मारे गए युवक की पहचान धलपर निवासी जुगल के रूप में हुई है। विस्फोट की सूचना मिलते ही पुलिस के आला अधिकारी, सैन्य अधिकारी और जवान भी घटनास्थल पर पहुंचकर जांच में जुट गए हैं। विस्फोट में गंभीर रूप से एक घायल की पहचान हीरालाल निवासी राजस्थान के रूप में हुई है। वह मोबाइल की दुकान में काम करता था। उसे जम्मू के जीएमसी अस्पताल में इलाज के लिए रैफर किया गया है। उसकी हालत काफी नाजुक बनी हुई है।

जानकारी के अनुसार, उधमपुर के सलाथिया चौक में बुधवार दोपहर 12.30 बजे तहसीलदार कार्यालय के समीप विस्फोट हुआ है। विस्फोट सब्जी की रेहड़ी के करीब हुआ और इसकी चपेट में आने से वहां मौजूद एक शख्स की मौत हो गई है। विस्फोट की चपेट में आने से 14 अन्य लोग भी घायल हो गए हैं। इनमें से एक की हालत नाजुक बनी हुई है।

सभी घायलों को ऊधमपुर के जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया है। विस्फोट की आवाज सुनते ही तुरंत घटनास्थल पर पुलिस के आला अधिकारी और जवान भी पहुंच गए। उधर, पीएमओ में मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक संदेश में कहा है कि उधमपुर के तहसीलदार कार्यालय के पास रेहड़ी में विस्फोट में 14 लोग घायल हुए हैं।

वह इस मामले को लेकर डीसी इंदू चिब के संपर्क में है। पुलिस और प्रशासन को इस घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा सभी घायलों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा देने को कहा गया है। विस्फोट के सटीक कारणों के बारे में पता लगाया जा रहा है।

उधमपुर में धमाकों का इतिहास
2 मई 2011 को उधमपुर में सैन्य अधिकारी को निशाना बनाने के लिए पुल पर धमाका किया गया था। इसमें मेजर जनरल डीएस पठानिया बाल-बाल बच गए थे। उस हमले में भी एक नागरिक की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। इस हमले में लश्कर का हाथ सामने आया था।

5 अगस्त 2015 को उधमपुर में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों ने बीएसएफ के काफिले पर हमला किया था। हमले में एक आतंकवादी मोहम्मद नावेद जिंदा पकड़ा गया, जबकि दूसरा मारा गया। ये दोनों पाकिस्तानी नागरिक थे। ग्रामीणों की मदद से इस आतंकी को पकड़ा गया। हमले का मास्टरमाइंड लश्कर कमांडर बाद में कश्मीर में मुठभेड़ में मारा गया था।

उधमपुर में करीब 27 वर्ष पहले दब्बड़ चौक में पहला ब्लास्ट हुआ था। 23 दिसंबर 2015 को ऊधमपुर जिले के बिरमा पुल के नजदीक स्थित धनोर गांव में ब्लास्ट हुआ था। इसमें 7 से 15 आयु वर्ष के तीन भाई मारे गए थे।

श्रीनगर के ग्रेनेड हमला मामले में पुलिस ने 2 हमलावरों को पकड़ने का किया दावा
रविवार को श्रीनगर के अमीराकदल इलाके में हुए ग्रेनेड हमले के सिलसिले में पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। हमले में 2 आम नागरिकों की मौत हो गई थी और 36 अन्य घायल हुए थे। आज पुलिस ने यह जानकारी दी।

मोहम्मद बारिक नामक पहले आरोपी को खानयार से गिरफ्तार किया गया था और उससे आरंभिक पूछताछ के बाद दूसरे आरोपी फाजिल नबी सोफी को गिरफ्तार किया गया। ग्रेनेड हमले में इस्तेमाल किए गए दोपहिया वाहन को भी विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जब्त कर लिया है। आतंकी हमले के तुरंत बाद इस एसआईटी का गठन किया गया था।

अपनी जांच के दौरान टीम ने जांच के लिए अत्याधुनिक साधनों का इस्तेमाल किया और घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण, पूरे श्रीनगर शहर में सीसीटीवी के फुटेज, सेल टावर डंप विश्लेषण, आईपी डंप विश्लेषण किया और कुछ चश्मदीदों से पूछताछ के आधार पर अपराध स्थल पर घटना का पुनर्चित्रण किया गया।

इस बीच श्रीनगर में ग्रेनेड हमले का विरोध करने कश्मीरी एकसाथ आए। तीन दशकों में ऐसा पहली बार था जब सभी क्षेत्रों के कश्मीरियों ने हमले का एकसाथ विरोध किया। एक घंटे से अधिक समय तक जारी कैंडल लाइट विरोध कश्मीर घाटी में एक अलग तरह का प्रदर्शन था। समाज के विभिन्न वर्गों के नागरिकों ने लाल चौक पर कैंडल मार्च निकाला और बाद में घंटा घर के पास फुटपाथ पर धरना दिया और आतंकी हमले के पीड़ितों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की।

प्रदर्शनकारियों ने आतंकवाद के खिलाफ नारे लगाए और हाथों में तख्तियां लिए हुए देखे गए जिस पर लिखा था ‘आखिर कब तक’ (जब तक हमें सहना होगा) जबकि हवा में ‘युवा बचाओ, कश्मीर बचाओ’ के नारे लगे। वहीं तिरंगा लिए कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने दोषियों के लिए सजा की मांग की है, जबकि एक 70 वर्षीय व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई थी, 20 वर्षीय राफिया नज़ीर, जो विस्फोट में गंभीर रूप से घायल हो गई थी और सिर में गंभीर चोट लगी थी ने भी बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।

हमले में एक पुलिसकर्मी समेत 33 लोग घायल हो गए थे। एक प्रदर्शनकारी का कहना था कि आज मानवाधिकार कार्यकर्ता कहां हैं? एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य निकाय कहां हैं, जब दो नागरिक मारे गए और 33 अन्य घायल हो गए?

एक अन्य प्रदर्शनकारी परवेज अहमद ने सवाल किया, जब अंतरराष्ट्रीय मीडिया कश्मीर में सुरक्षाबलों द्वारा नागरिकों की हत्या पर प्रकाश डालता है, तो जब आतंकवादी नागरिकों को मारते हैं तो चुप क्यों रहते हैं? या हमें यह अनुमान लगाना चाहिए कि जब नागरिकों को निशाना बनाया जाता है तो यह उनके लिए स्वीकार्य होता है?

एक अन्य प्रदर्शनकारी साजिद यूसुफ ने कहा कि वे न्याय की गुहार लगाने के लिए एकत्र हुए थे। उन्होंने कहा, कश्मीरी हिंसा से बाहर आना चाहते हैं और युवा कार्यकर्ताओं के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस तरह के कार्य के खिलाफ आवाज उठाएं।
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