देहरादून। उत्तराखंड में हिमालयी पहाड़ी क्षेत्र में बर्फबारी के कारण अलग-अलग स्थानों पर 13 लोगों की मौत हो गई है। इसमें 10 ट्रेकर्स शामिल हैं। खबरों के मुताबिक मृतकों में उत्तरकाशी जिले में भारत-चीन सीमा पर तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के लिए काम करने वाले तीन कुली भी शामिल हैं। 6 लापता बताए जा रहे हैं। छितकुल के लिए निकले 11 ट्रैकर्स दल लापता हो गया था। इनकी तलाश के लिए आईटीबीपी का दल सुबह करीब 4.30 बजे सर्च अभियान चला रहा था, वहीं सेना के हेलीकॉप्टर की मदद भी ली जा रही थी।
गृह मंत्री शाह ने किया दौरा : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड में भारी बारिश से प्रभावित क्षेत्रों में क्षति के आकलन के लिए बृहस्पतिवार को हवाई सर्वेक्षण किया। वहीं राज्य सरकार ने इस प्राकृतिक आपदा से करीब 7,000 करोड़ रुपये की क्षति होने की बात कही है। कुमाऊं क्षेत्र में प्रभावित इलाकों का सर्वेक्षण कर जॉली ग्रांट हवाई अड्डा लौटने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में शाह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों के अलर्ट रहने की वजह से नुकसान को कम करने में मदद मिली।
इस बीच, सर्वाधिक प्रभावित कुमाऊं क्षेत्र में संपर्क बहाल करने और संवेदनशील इलाकों से लोगों को बाहर निकालने के प्रयासों के बीच राहत एव बचाव कार्य जारी है। इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में तीन दिन तक लागातार बारिश से 7,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों के नेटवर्क को बहाल करना तथा फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना इस समय प्राथमिकता है।
शाह ने कहा कि भारी बारिश का अलर्ट पहले से जारी होने की वजह से चारधाम यात्रा रोकने समेत अन्य एहतियाती कदम उठाने में मदद मिली। अगर ऐसा नहीं किया गया होता तो और क्षति पहुंच सकती थी। समय पर तलाश एवं बचाव दलों को काम पर लगाने और बचाव अभियान में भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर के शामिल होने की वजह से संभावित क्षति को कम करने में मदद मिली। उन्होंने कहा, बारिश से संबंधित दुखद घटनाओं में 64 लोगों की मौत हुई, जबकि 11 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं।
राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में मृतकों की संख्या बढ़कर 54 हो गई। वहीं 19 लोग घायल हैं और पांच लापता हैं। नैनीताल जिले में अब तक सबसे ज्यादा 28 लोगों की मौत हुई है। केंद्रीय मंत्री ने तत्काल उत्तराखंड के लिए राहत पैकेज की घोषणा नहीं की। उन्होंने कहा कि पहले क्षति का विस्तृत आकलन तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्राकृतिक आपदाओं के खतरे के मद्देनजर 250 करोड़ रुपये की राशि पहले ही दी जा चुकी है और इससे फिलहाल राहत एवं बचाव कार्यों के खर्च की पूर्ति हो सकती है।
शाह ने कहा कि केंद्र राज्य सरकार के साथ है और वह इसके पुनर्वास कार्यों में सभी तरह की सहायता मुहैया कराएगा। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में सभी बंद सड़कों को साफ कर लिया गया है, सिवाय उनके जिसमें 25 मीटर चौड़ी दरार पड़ गई है। उन्होंने कहा कि अब तक 3,500 लोगों को बचाया गया है। मंत्री ने कहा कि चौड़ी दरार वाली सड़कों की मरम्मत में ज्यादा समय लग सकता है। मंत्री ने कहा कि प्रभावित इलाकों में अस्सी फीसदी टेलिफोन संपर्क को बहाल कर दिया गया और 60 फीसदी बिजली उपलब्धता अब तक सुनिश्चित की जा चुकी है। बाकी कमी को भी जल्द ही दूर कर दिया जाएगा।
उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री धन सिंह रावत के साथ शाह ने प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के बाद वह जॉली ग्रांट हवाई अड्डा लौटे और मुख्यमंत्री की मौजूदगी में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।
जिला अधिकारी धीरज गर्बियाल ने बताया कि भारी बारिश और नैनी झील के उफनने की वजह से नैनीताल के धोबी घाट इलाके के आसपास भूस्खलन की घटनाएं हुईं। यह क्षेत्र नैनीताल के ठीक आधार पर स्थित है और इसे शहर की बुनियाद माना जाता है। धोबी घाट में रहने वाले लगभग 100 परिवारों को स्थानांतरित कर दिया गया।
गर्बियाल ने बताया कि कई स्थानों पर राहत शिविर तैयार किए गए हैं। उन्होंने बताया कि रामनगर में 25 लोगों को हवाई मार्ग से निकाला गया जबकि छह को राफ्ट की मदद से निकाला गया। सुंदरखाल और रामनगर के 30 परिवारों को हवाई मार्ग से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। बाढ़ प्रभावित पुचड़ी इलाके में राहत शिविर बनाए गए हैं। पुचड़ी नई बस्ती में रहनेवाले 10 परिवारों के 54 लोगों को राजकीय बालिका प्राथमिक विद्यालय में बनाए गए राहत शिविर में ठहराया गया है।
उन्होंने बताया कि 150 लोगों को रोडवेज बसों में सुरक्षित रामनगर लाया गया और उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया, जबकि लालकुआं में बाढ़ से प्रभावित 97 परिवारों को एक गुरुद्वारा और राहत शिविर में स्थानांतरित कर दिया गया। उत्तराखंड में भारी बारिश की वजह से अस्थायी तौर पर रोकी गई चारधाम यात्रा भी बहाल हो गई।